राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप
भारत की पहचान आध्यात्म,धर्म और संस्कृति है तथा उज्जैन का इसमें विशिष्ट स्थान है। महान सांस्कृतिक परम्पराओं के साथ-साथ उज्जैन की गणना पवित्र सप्तपुरियों में की जाती है। यहां स्थित महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। सिंहस्थ कुम्भ उज्जैन का महान धार्मिक पर्व है। बारह वर्ष के बाद,जब सूर्य मेष राशि में हो और बृहस्पति सिंह राशि में हो,तब उज्जैन में कुम्भ होता है। कुम्भ के दौरान चैत्र मास की पूर्णिंमा से लेकर वैशाख की पूर्णिमा तक पवित्र शिप्रा नदी में स्नान करने को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। सिंहस्थ महापर्व 2028 में 27 मार्च से 27 मई के बीच होगा। 9 अप्रैल से 8 मई 2028 के बीच 3 शाही स्नान और 7 पर्व स्नान प्रस्तावित हैं। इसमें 20 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है।
भारत में कुंभ का आयोजन लोगों के जमावड़े के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा मेला है। उज्जैन सिंहस्थ 2028 को लेकर सबसे बड़े धार्मिंक समागम की तैयारी जिस प्रकार की जा रही है उससे यह सिंहस्थ इतिहास का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बन सकता है। इसका प्रमुख कारण यह भी है कि मध्यप्रदेश के मुखिया अर्थात् मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव स्वयं उज्जैन के है और वे सिंहस्थ के आयोजन की चुनौतियों को भलीभांति जानते और समझते है। यहीं कारण है की प्रदेश के आला अधिकारियों का अमला जाकर प्रयागराज कुम्भ के आयोजन की तैयारियों का जायजा ले चूका है। मुख्यमंत्री स्वयं उज्जैन में सिंहस्थ के बेहतर के प्रबंधन और तैयारियों को लेकर बैठकों का दौर प्रारम्भ कर चूके है।
इस साल उज्जैन में करीब 7 करोड़ पर्यटक आ चूके है और मध्यप्रदेश सरकार उज्जैन को धार्मिक पर्यटन नगरी का रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सिंहस्थ में पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। उज्जैन,क्षिप्रा नदी के तट पर बसा है। क्षिप्रा नदी में श्रद्धालु स्नान करते हैं,इसलिए नदी की सफाई और अपशिष्ट जल के प्रवाह को रोकने के लिए छोटे बांध बनाए जा रहे हैं। नालों का गंदा पानी क्षिप्रा नदी में ना मिले,इसको लेकर पर्याप्त संख्या में जगह-जगह स्टॉप डैम का निर्माण हो रहा है। परिवहन की सुगम व्यवस्था,मुख्य सड़कों का विकास,नवीन सड़कों का निर्माण, पेयजल,विद्युत आपूर्ति,कानून व्यवस्था,ट्रैफिक मैनेजमेंट,सिंहस्थ अवधि में आवास व्यवस्था और पर्यटन स्थलों के विकास को लेकर वृहत योजनाओं पर क्रियान्वयन शुरू हो गया है।
दुनिया भर से तीर्थ यात्री और साधु संत नित्य महाकाल दर्शन के लिए आते है। सिंहस्थ में यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है,जिससे व्यवस्थाएं प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती है। इस बात को दृष्टिगत रखते हुए महाकाल मंदिर तक जाने के लिए सड़क मार्ग चौड़ीकरण,मंदिर तक जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग की प्लानिंग,पावर स्टेशन,हवाई पट्टी विस्तार,संग्रहालय,यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था,वाहन पार्किंग आदि के भी विकास कार्य अभी से प्रारम्भ कर दिए गए है। भीड़ प्रबंधन के लिए भी वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है तथा वाहन पार्किंग एवं शुद्ध पेयजल तथा ठहरने की उत्तम व्यवस्था के प्रबंध इस प्रकार किये जा रहे है की सम्पूर्ण कार्य योजना 2028 से पहले बनकर पूर्ण कर ली जाए।
उज्जैन में अलग-अलग स्थानों पर सात तालाब हैं,जिन्हें सप्त सागर कहा जाता है। इनका वर्णन स्कंद पुराण में है और इन सप्तसागरों की परिक्रमा को बहुत खास तथा फलदायी माना जाता है। धार्मिक एवं पौराणिक महत्व के सप्त सागरों का पर्यटन स्थल के रूप में विकास एवं सुंदरीकरण का कार्य किया जा रहा है। उज्जैन में महाकाल की सवारी की परंपरा सदियों पुरानी है। इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। सावन के महीने के प्रति सोमवार को उज्जैन में महाकाल की सवारी निकाली जाती है। भगवान महाकाल को एक रथ में बैठाकर शहर में घुमाया जाता है। ये रथ चांदी का बना होता है और इससे कई प्रकार के फूलों से भी सजाया जाता है। लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं और महाकाल के जयकारे लगाते हैं। महाकाल की एक झलक पाने के लिए भक्तों की भीड़ हफ्तों पहले से शुरू हो जाती है। जुलूस में शामिल होने वाले विभिन्न कलाकारों में भंडारी,नागा साधु,ढोल नगाड़े वाले,तलवारबाज़ और घुड़सवार भी शामिल होते हैं। यह भव्य सवारी करीब साढ़े चार किलोमीटर के मार्ग से गुजरती है जिसे अब हेरिटेज स्ट्रीट के रूप में विकसित किया जा रहा है।
इस बार सिंहस्थ की तैयारियों में आधुनिक तकनीक और व्यवस्थित प्रबंधन को प्राथमिकता दी जा रही है। बुनियादी ढांचे,परिवहन,सुरक्षा और स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है,इस पर वृहत कार्य योजना को अमल में लाया जा रहा है। देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालु मेहमान इस पर्व से कुछ खास यादें और अनुभव लेकर जाएं,इसके लिए पुरातत्व विभाग ने भी खास तैयारियां अपने जिम्मे ली हैं। विभाग सिंहस्थ क्षेत्र के आसपास के कुछ हेरिटेज स्थलों का पूर्णोद्धार करने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है।
मध्यप्रदेश की मोहन सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उज्जैन को धार्मिक-आध्यात्मिक सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के पेश किए गए बजट में सिंहस्थ 2028 के लिए इस वित्तीय वर्ष में पहले से ही 505 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है। सरकार का पूरा फोकस सिंहस्थ पर बना हुआ है। आगामी सिंहस्थ के आयोजन में बहुत बारीकी से काम किया जा रहा है जैसे मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि बुजुर्ग यात्रियों की सुविधा के लिए पार्किंग के स्थान,घाट के जितने नजदीक होंगे उन्हें उतना ही कम से कम पैदल चलना पड़ेगा। विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं और अन्य संस्थाओं के परिसर के मैदान भी पार्किंग के लिये उपयोग में लिए जाएं। इसके लिए अभी से अध्ययन और सर्वेक्षण कर जरूरी कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए गए है।
सिंहस्थ के आयोजन में जनसम्पर्क विभाग की भूमिका बेहद खास होती है और इस विभाग का कार्य कई वर्षों पहले ही शुरू हो जाता है। जिसके अंतर्गत प्रमुख रूप से सिंहस्थ कुंभ का प्रिंट,इलेक्ट्रानिक एवं वेब मीडिया तथा अन्य संचार माध्यमों के द्वारा देश-विदेश में प्रचार-प्रसार करना,सिंहस्थ के दौरान उज्जैन आने वाले एवं स्थानीय मीडिया को समाचार कव्हरेज संबंधी सुविधाएं,प्रवेश पत्र, वाहन पास,प्रेस किट आदि उपलब्ध करवाना,सिंहस्थ स्नानों के निरंतर कव्हरेज के लिए मीडिया गैलरी निर्माण एवं संचालन,सिंहस्थ का लाइव कव्हरेज एवं उसकी डाउन लिंक पूरी दुनिया को उपलब्ध कराना,सिंहस्थ संबंधी वैबसाइट का निर्माण एवं संचालन,ई-मैगजीन निकालना तथा सिंहस्थ कव्हरेज के लिए प्रशिक्षित विभागीय अमला तैनात करना। 2016 में देश विदेश के पत्रकारों के लिए उज्जैन में बेहतर व्यवस्थाएं की गई थी जिन्हें खूब सराहा गया था। 2028 में जनसम्पर्क विभाग और ज्यादा अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित होगा तथा इसे और ज्यादा प्रभावी बनाया जाएगा। 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ के स्वर्णिम आयोजन की संभावनाएं इसलिए भी नजर आ रही है क्योंकि उज्जैन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की जन्मभूमि और कर्म भूमि भी है। वे इस आयोजन को ऐतिहासिक और यादगार बनाने को अभी से कृतसंकल्पित दिखाई दे रहे है। जाहिर है सिंहस्थ का आयोजन शानदार होने की पूर्ण संभावना है और इससे मध्यप्रदेश में रोजगार और विकास की संभावनाएं भी बढ़ने की उम्मीद है।
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उज्जैन सिंहस्थ 2028-सबसे बड़े धार्मिंक समागम की जोरदार तैयारी
- by brahmadeep alune
- December 22, 2024
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