चंदे का विदेशी फंडा
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चंदे का विदेशी फंडा

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप

चुनाव  लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और राजनीतिक दल लोकतंत्र के संचालन के प्रमुख घटक है। राजनीतिक दलों के संचालन और चुनावों से सत्ता के शीर्ष पर आने की उनकी कोशिशों में धन की प्रमुख जरूरत होती है। राजनीतिक दलों के सामने यह चुनौती होती है की वे इसे वैध तरीके से कैसे प्राप्त करें।  अलग-अलग देशों ने इसके लिए अलग अलग प्रणालियां विकसित की हैं।

 

ब्रिटेन को उदार लोकतंत्र माना जाता है। ब्रिटेन एक पूंजीवादी देश है लेकिन चुनावी फंडिंग को लेकर गहरी पारदर्शिता पाई जाती है,यहां पार्टी फंडिंग नियम कई अधिनियमों,आदेशों और संकल्पों में शामिल हैं। चुनाव और जनमत संग्रह अधिनियम 2000 जिसे पीपीईआरए भी कहा जाता है। पीपीईआरए ने नियमों सहित एक नियामक ढांचा बनाया है जिससे स्पष्ट है कि कौन सा दान स्वीकार किया जा सकता है और उन्हें कैसे दर्ज किया जाना चाहिए। यहां चुनाव आयोग के द्वारा राजनीतिक पार्टियों को राजनीतिक गतिविधियों के संचालन के लिए  अनुदान दिया जाता है। यह अनुदान केवल उन पार्टियों  के लिए होता है जिनके हाउस ऑफ कॉमन्स के कम से कम दो मौजूदा सदस्य हो तथा जिन्होंने निष्ठा की शपथ ली  हो। यहां राजनीतिक दलों को दान भी दिया जाता है लेकिन इसकी प्रत्येक वर्ष में चार बार सार्वजनिक सूचना दी जाती है।  राजनीतिक दलों को उस दान की रिपोर्ट करनी होती है जिसे वे स्वीकार करते हैं और यह जानकारी भी देनी होती है कि यह दान किससे आता है,जिसमें सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित दान भी शामिल है। चुनाव आयोग  राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे या दान को की जानकारी को प्रकाशित करता हैं। यूके में आवश्यकता पड़ने पर राजनीतिक पार्टियां लोन भी ले सकती है और कोई भी आसानी से यह देख सकता है की किस राजनीतिक दल के पास पैसा कहां से आ रहा है और वे इसे कैसे खर्च कर रहे हैं।

अमेरिका में संघीय चुनाव आयोग एक स्वतंत्र नियामक एजेंसी है जिस पर संघीय अभियान वित्त कानून को प्रशासित करने और लागू करने की जिम्मेदारी है। अमेरिका की चुनावी वित्तपोषण प्रणाली निजी धन उगाहने और पारदर्शिता पर जोर देने पर आधारित है,जिसमें एक उम्मीदवार को किसी भी व्यक्ति से  तीन हजार तीन सौ अमेरिकी डॉलर तक स्वीकार करने की अनुमति है। यह पैसा विदेशी नागरिकों,निगमों या श्रमिक संघों का नहीं बल्कि व्यक्तिगत अमेरिकी नागरिकों और ग्रीन कार्ड धारकों का होना चाहिए। जबकि पार्टी समितियों के लिए यह सीमा इकतालीस हजार तीन सौ अमेरिकी डॉलर है। जो कोई भी  दो सौ अमेरिकी डॉलर से अधिक देता है,उसका नाम,उसका नियोक्ता,उसका व्यवसाय,वह सब पार्टी समितियों में उम्मीदवारों को बताया जाता है और फिर समितियां संघीय चुनाव आयोग को रिपोर्ट करती हैं।  इस सबकों बाकायदा वेबसाइट पर प्रदर्शित भी किया जाता है।  हालांकि दुनिया के सबसे  ताकतवर पूंजीवादी देश अमेरिका के बारे में यह भी कहा जाता है कि  यहां चुनावों में धन खर्च की कोई सीमा नहीं होती। जो  बाइडेन ने 2020 का राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए करीब डेढ़ बिलियन डॉलर खर्च किए थे। संयुक्त राज्य अमेरिका में,निगमों और यूनियनों के लिए किसी उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए असीमित मात्रा में धन खर्च करना पूरी तरह से कानूनी है।

 फ्रांस और पश्चिमी यूरोप के अन्य लोकतंत्रों ने चुनावीं अभियान को लेकर सख्त व्यय सीमाएं अपनाई हैं। फ्रांसीसी कानून उम्मीदवारी की स्वतंत्रता और राजनीतिक दलों के स्वतंत्र अस्तित्व दोनों को सुनिश्चित करता है। यदि कोई राजनीतिक दल वित्तपोषण और चुनावी अभियानों के नियंत्रण से संबंधित 1988 के कानून के तहत काम करना चाहता है,तो उसे अतिरिक्त रूप से आयोग से अपने प्रॉक्सी को पंजीकृत करने के लिए कहना होगा,जिसके पास एक वित्तपोषण कंपनी का कानूनी रूप है। फ़्रांस एक लोकतांत्रिक गणराज्य है। इसकी शासन प्रणाली संसदीय और राष्ट्रपति प्रणाली की विशेषताओं को मिश्रित करती है। यहां चुनावी फंडिंग को लेकर बेहद सख्त कायदे कानून है। फ्रांस में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अपने अभियान पर 25 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च नहीं कर सकते हैं।  फ्रांसीसी कानून न केवल राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्वारा जुटाई और खर्च की जाने वाली कुल राशि को सीमित करता है,बल्कि सरकार अभियान व्यय का लगभग आधा प्रतिपूर्ति करती है। इसका मतलब है कि चुनावी फंडिंग का केवल आधा हिस्सा निजी दानदाताओं से आता है। किसी व्यक्ति द्वारा दान की जाने वाली राशि की सीमा फ़्रांस में चार हजार छह सौ यूरो निर्धारित की गई है।

पूर्वी एशिया  में स्थित आर्थिक महाशक्ति जापान मजबूत संविधानिक संस्थानों,नियमित चुनावों और समृद्ध स्वतंत्र मीडिया के साथ एक सफल लोकतांत्रिक देश है। डेमोक्रेसी सूचकांकों के अनुसार जापान 2023 में दुनिया का 23 वां सबसे अधिक चुनावी लोकतांत्रिक देश था। यहां राजनीतिक दलों और राजनेताओं को सार्वजनिक धन के साथ-साथ व्यक्तियों और निगमों से दान और योगदान भी प्राप्त होता है। राजनीतिक दलों को 1994  के सब्सिडी अधिनियम के अनुसार  करों द्वारा वित्तपोषित सब्सिडी प्रदान की जाती है। राजनीतिक दलों की आय के अन्य स्रोत पार्टी सदस्यों,समर्थकों और निगमों द्वारा दिया गया दान है। राजनीतिक दलों और राजनेताओं को दान और योगदान राजनीतिक धन उगाहने वाले नियंत्रण अधिनियम के तहत कुछ प्रतिबंधों के अधीन हैं। किसी भी मौद्रिक योगदान या आर्थिक लाभ को अधिनियम के तहत दान के रूप में समझा जाता है। जापान में इसके नियम जटिल हैं और आमतौर पर पूर्ण पारदर्शिता रखी जाती  है।   राजनीतिक धन उगाहने वाले नियंत्रण अधिनियम के तहत निगमों या श्रमिक संघों द्वारा राजनेताओं को व्यक्तिगत योगदान निषिद्ध है। एक राजनेता प्रति वर्ष केवल निर्दिष्ट सीमा के भीतर ही व्यक्तियों से योगदान प्राप्त कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह अधिनियम व्यक्तिगत राजनेताओं के बजाय राजनीतिक दलों की फंडिंग को प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है ताकि व्यक्तियों के बजाय पार्टियों और नीतियों पर ध्यान केंद्रित रखा जा सके। हालांकि जापान में राजनीतिक पार्टियां धन इकट्ठा करने के लिए सार्वजनिक समारोह भी आयोजित करती है,इस प्रकार मिलने वाले धन को दान नहीं माना जाता है। इस प्रकार के आयोजन से प्राप्त धनराशि और बड़े योगदानकर्ताओं का नाम बैलेंस शीट रिपोर्ट में प्रकाशित किए जाने आवश्यक होते है। किसी विदेशी सरकार, विदेशी या विदेशी निगम द्वारा कोई भी योगदान जापान में सख्त वर्जित है।
किसी भी लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में जवाबदेही और पारदर्शिता बुनियादी मूल्य हैं।  लोकतंत्र में देश एक निश्चित संहिता के आधार पर चलता है और राजनीतिक दलों के वित्त पोषण को लेकर सख्त मानकों से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत बनाने में बड़ी मदद  मिल सकती है। लोकतंत्र में भ्रष्टाचार  की संभावना तब बढ़ जाती है जब उसमें राजनीतिक दलों के वित्तपोषण के अभियानों और कार्यों में पारदर्शिता की कमी हो। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक बहुत बड़ा कारण यह भी माना जाता है कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव के लिए धन जुटाने के लिए हर प्रकार के स्रोत से पैसा लेने की कोशिश करती हैं और अनेक प्रकार के सौदों में शामिल होती हैं। भारत में चुनावी चंदे,दान और आर्थिक भागीदारी के नियमों को पारदर्शी और पश्चिमी लोकतंत्रों के उत्कृष्ट मानकों के अनुरूप करने करने की जरूरत है।
डॉ.ब्रह्मदीप अलूने

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