पंजाब में आम आदमी पार्टी का एक साल-खालिस्तान फिर उठ खड़ा हुआ…!
article भारत मे आतंकवाद

पंजाब में आम आदमी पार्टी का एक साल-खालिस्तान फिर उठ खड़ा हुआ…!

नया इंडिया

 

               सुशासन और लोककल्याण को आधार बनाकर पंजाब की सत्ता में आई आम आदमी पार्टी अपने एक साल पूरे होने का जिस समय जश्न मना रही थी,तभी ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन शहर में भारतीय दूतावास को खालिस्तानी समर्थकों के डर से बंद करना पड़ा। हालांकि इस घटना से भारत की विदेश नीति पर भी गहरे सवाल  उठ खड़े हुए क्योंकि हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के पीएम ने भारत यात्रा के दौरान यह साफ कहा था कि वे अपनी जमीन पर भारत विरोधी ताकतों को पनपने नहीं देंगे।

दरअसल पिछले तीन दशकों से पंजाब शांत रहा लेकिन खालिस्तान को उभार देने की वैश्विक कोशिशों में कभी कमी नहीं आई।  पिछले साल भगवंत मान की खाली की हुई संसदीय क्षेत्र से उपचुनावों में सिमरनजीत सिंह मान चुने गए,यह बेहद अप्रत्याशित था। सिमरनजीत सिंह मान पंजाबी अस्मिता को खालिस्तान से जोड़कर सिख अतिवाद को बढ़ावा देते रहे है। मान की राजनीति का आधार ही खालिस्तान की बुनियाद पर टिका हुआ है और उन्होंने अपनी जीत पर इसका खुलकर इजहार करते हुए इस जीत  को भिंडरावाले की जीत बताया। भिंडरावाले खालिस्तान समर्थक एक ऐसा चरमपंथी था जिसे ऑपरेशन ब्लू स्टार की कार्रवाई में सेना ने मार गिराया था। सिमरन जीत सिंह मान भिंडरावाले को अपना हीरो मानते है। संगरूर लोकसभा उपचुनाव जीतने के बाद जनता का शुक्रिया अदा करते हुए सिमरनजीत सिंह मान ने खालिस्तान का भी ज़िक्र किया। उन्होंने साफ कहा था कि इस जीत का असर विश्व राजनीति पर पड़ेगा,लोगों का साहस ऊंचा है और वे चुप नहीं बैठेंगे।

सिमरनजीत सिंह मान,आम आदमी पार्टी से तो नहीं आते है लेकिन पंजाब की सत्ता में आम आदमी पार्टी के आने के बाद वर्ग संघर्ष और खालिस्तान समर्थन की कई घटनाएं लगातार सामने आई है। यहां पर सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त के तीखे तेवर भी समस्या को बढ़ाने वाले दिख रहे है। अकाल तख़्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह सिखों को लायसेंसी हथियार रखने,ख़ालिस्तान का समर्थन करने और सिखों को खुले आम हथियारों की ट्रेनिंग जैसे विवादास्पद बयान दे चूके है। सिमरनजीत सिंह मान मान के सांसद बनने के बाद खालिस्तानी समर्थकों के हौसले बुलंद  हुए। इस साल  फ़रवरी में अजनाला में जो हुआ वो देश भर में सब ने देखा। खालिस्तान समर्थक संगठन वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह अपने समर्थकों के साथ अपने साथी को रिहा कराने के इरादे से थाने के अंदर पहुँच गए। हथियार लिए हजारों की भीड़ का आतंक पूरे देश ने देखा और महसूस किया,पुलिस के जवान घायल हो गए। अपराधी को  रिहा करने के लिए पुलिस को मजबूर होना पड़ा। अमृतपाल सिंह के खालिस्तान समर्थक तेवरों के बाद भी अब तक  किसी पर कोई क़ानूनी कार्रवाई भी नहीं की गई है। पंजाब के मोहाली में कौमी इंसाफ़ मोर्चा के नाम पर सिख कैदियों की रिहाई को लेकर सैकड़ों लोग धरने पर बैठे,पुलिस वालों के ऊपर कथित तौर पर हमला कर दिया। पुलिस ने कई लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा तो दर्ज किया लेकिन किसी को गिरफ़्तार नहीं किया गया।

 

6 जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार  की बरसी पर अकाल तख़्त साहिब में खालिस्तानियों ने हमेशा कि तरह प्रदर्शन किए,इस दौरान उन्होंने  खालिस्तान समर्थक बैनर थामकर खालिस्तान हमारा अधिकार जैसे नारे लगाएं। खालिस्तान की मांग भारत की आन्तरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हो सकती है,अत: इससे जुडी गतिविधियों को रोकने के लिए पंजाब राज्य और केंद्र सरकार को मिलजुल कर काम करना पड़ता है। लेकिन आम आदमी पार्टी की पंजाब में सरकार आने के बाद राज्य की कानून और व्यवस्था की  स्थितियां लगातार बिगड़ रही है।

 

इसी का असर है कि कई सालों तक दुबई में रहकर व्यापार करने एक शख्स अमृतपाल सिंह पंजाब लौटते है और कहते है कि,सिख संप्रभुता संभव है। वे इसका समर्थन करते हैं और अलग सिख होमलैंड के पक्ष में ताल ठोंकते है। इसका असर आम सिखों पर भी पड़ सकता है,इससे आम आदमी पार्टी इत्तेफाक न रखे,लेकिन देश के लिए किसी संकट से कम नहीं। आम सिख धर्म को राजनीती से दूर रखना चाहता है जबकि  खालिस्तानी चाहते हैं कि ये  राजकाज और धर्म का संचालन गुरुद्वारे ही करें।

पंजाब की सीमा पाकिस्तान को छूती है। यहीं कारण है कि पाकिस्तानी प्रभाव से दिग्भ्रमित खालिस्तान के चरमपंथी दुनियाभर में सिख होमलैंड के पक्ष में प्रदर्शन करते रहे है। कनाडा में काम करने वाली पृथकतावादी ताकतें ऐसे प्रयास कर रही है कि वे कनाडा में ख़ालिस्तान समर्थन सुनिश्चित करने के लिए  स्वतंत्र पंजाब के पक्ष में एक जनमत संग्रह कराएं। हर साल अगस्त महीने में दुनिया भर में बसने वाला भारतीय समुदाय अपना स्वतंत्रता दिवस उत्साहपूर्ण तरीके से मनाता है और इस दौरान कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है। खालिस्तानी समर्थक इस मौके पर भारत विरोध का झंडा बुलंद करते है,लंदन में भी जनमत संग्रह के लिए प्रदर्शन किए जा चुके है। खालिस्तान समर्थको ने  इसके पहले 2020 के लिए खालिस्तान के पक्ष में जनमत संग्रह को लेकर एक रैली भी निकाली थी जिसमें भारत विरोधी नारे लगाए गए थे।

पाकिस्तान ने खालिस्तान के लिए ननकाना साहिब में भी लगातार मुहिम चलाई है। दुनियाभर के सिख वहां गुरु नानक देव की जयंती पर जुटते हैं। पाक सिखों को ननकाना साहिब में आने के लिए न केवल उच्च कोटि की सुरक्षा देता है बल्कि वहां खालिस्तान के समर्थन में पोस्टर भी लगाता रहा है। आईएसआई खालिस्तान के नाम पर सिख युवाओं को भडकाकर स्लीपर सेल बनाने को आमादा है। इसके लिए वह स्वर्ण मंदिर से बाहर निकालने के लिए की गई कार्रवाई और  सिख विरोधी दंगों के नाम पर विष वमन करती है। इन्टरनेट पर सिख आतंकवादियों की शहादत जैसा महिमामंडन और एनजीओ द्वारा पैसा भेजकर आईएसआई खालिस्तान के दानव को पुनः जीवित करना चाहती है। पाकिस्तान के नारोवाल ज़िले में दरबार साहिब गुरुद्वारा है और यह भारत के पंजाब राज्य की सीमा के बहुत करीब है। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के जीवन से जुडी यहां पर बहुत सारी यादें है और दुनियाभर के  सिखों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा यह पवित्र स्थल है। पाकिस्तान इन स्थानों पर सिखों को आमंत्रित करता है लेकिन भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का कोई अवसर भी नहीं छोड़ता। पंजाब राज्य में नशे का कारोबार हो या ड्रोन से हथियार गिराने की कोशिशें। भारत की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क रहती है लेकिन पंजाब राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद खालिस्तानी समर्थक पंजाब और दुनियाभर में जिस प्रकार लामबंद हुए है,वह भारत की एकता और अखंडता के लिए चुनौती बढ़ा रहा है।

#ब्रह्मदीप अलूने

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