राममय…..
मध्यप्रदेश से लेकर समूचा भारत
2024 का संकल्पित भारतराममय भारत,राम राज्य वाले भारत की ओर चलने को लालायित है। राम राज्य में सुखी,सम्पन्न और खुशहाल समाज की परिकल्पना है। प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भरता और स्वावलम्बन को जन जन तक पहुंचाया है। भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश का नया साल अनंत संभावनाओं को जगाने वाला है और इसके शुभ संकेत मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के सुशासन के विजन में दिखाई पड़ रहे है।
नया साल संकल्पित और परिवर्तनकारी भारत की स्वर्णिम संभावनाओं को जगा रहा है,जहां राम के प्रति सम्मान के दृश्य बेहद भावुक करने वाले है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में पूरे देश की भागीदारी के दिव्य और जीवंत दर्शन हो रहे है,जिसनें जाति और धर्म की दीवारों को तोड़ दिया है,ऐसा राम ही कर सकते है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अयोध्या पहुंचे तो बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी और मुस्लिम समाज के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले पर पुष्प बरसाए। उन्होंने कहा कि यहां हिंदू मुस्लिम सब मिलकर रहते हैं और एक दूसरे की खुशियों में भागीदार बनते है। इसके पहले 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर भूमिपूजन के लिए पहुंचे थे तो बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने तब भी पीएम मोदी का स्वागत किया था। इकबाल अंसारी को श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट ने भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया गया तो निमंत्रण मिलने के बाद इकबाल अंसारी ने कहा था कि मैं कार्यक्रम में जरूर जाऊंगा। उन्होंने कहा कि भगवान राम की मर्जी से हमें न्योता मिला है।
दरअसल राम सबके है। राम भारतीय संस्कृति की सहिष्णुता,समन्वय और सार्वभौमिक चरित्र और मान्यताओं की पहचान है। वे हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। राम का चरित्र और हमारी सभ्यता का विकास साथ साथ चलने वाली वह अवस्था है जिसने इस राष्ट्र को मजबूत करने में सदा योगदान दिया है। नये साल में भारत की साम्प्रदायिक एकता और अखंडता के बेहतर संकेत मिल रहे है और यह भारत के स्वर्णिम भविष्य और इसकी भावी पीढ़ियों के लिए शुभ है।
गोस्वामी तुलसीदास ने जिस समय राम चरित मानस की रचना की,उस समय भारत की जनता अनपढ़ थी। अत: राम के चरित्र को घट घट तक समझाने का सबसे बड़ा माध्यम राम लीलाओं का मंचन हो गया। इसे किसी गली,मुहल्ले या खुले मैदान में किया जा सकता है। लोकधर्मी और नाट्य धर्मी हर युग में और हर समाज में हुए है। लोग राम को बिना पढ़े ही राम मय हो गए। वे राम जैसी आज्ञाकारी संतान की मनोकामना करने लगे। रामलीला रामचरितमानस में सात कांड पर आधारित है,जिसमे बालकाण्ड,अयोध्याकाण्ड,अरण्यकाण्ड,लंका कांड,सुंदर कांड तथा उतर काण्ड सम्मलित है। रामचरित मानस में राम,सीता,भरत,लक्ष्मण,सुग्रीव, बलि,हनुमान, रावण,मेघनाद,मारीच,विभीषण तथा मन्दोदरी के सजीव चित्रण प्रस्तुत करने वाले रामलीला के किरदार किसी भी जात,संप्रदाय या धर्म का हो सकता है और यह देखा भी गया है। फिर भी राम चरित मानस के उच्च आदर्शों और मानवीय मूल्यों को सदैव प्रस्तुत और स्वीकार किया गया। राम को हम सभी नायक मानते है अत: रामचरित मानस आम जन की प्रिय हो गई। राम लीलाओं को देखकर भारत की कई पीढियां राम के चरित्र की महानता को आत्मसात करने लगी,इसमें जाति,धर्म या समाज का कभी भेद नहीं हुआ।
अयोध्या में रामपथ,भक्तिपथ,धर्मपथ और श्री राम जन्मभूमि पथ का निर्माण प्रभु राम की आलौकिकता के एहसास को जीवंत करने वाला है। अयोध्या के एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम से रखने का कदम बेहद प्रशंसनीय है और इससे सामाजिक एकता को मजबूती मिलेगी। प्रभु राम के जीवन चरित्र को जन जन तक पहुँचाने में वाल्मीकि रामायण के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
राम अनादी अनंत से इस पावन भूमि के पालनकर्ता है और उनके आदर्शों को सहेजने में कई साम्राज्यों का योगदान रहा है। फारसी में राम करदन एक प्रसिद्द मुहावरा है जिसका अर्थ होता है किसी को वशीभूत कर लेना,अपना बना लेना। भारत सार्वभौमिकता से चलता रहा है और यहां यह रचा बसा है। इस देश ने राम से परस्पर सद्भाव और सामंजस्य सीखा है। इसका प्रभाव भारत से लगे कई देशों में अब भी देखा जा सकता है। यदि आपको वाल्मीकि रामायण को आचरण और व्यवहार में देखना है तो मुस्लिम बाहुल्य इंडोनेशिया में चले जाइये,यहां के लोकाचार में इसे महसूस किया जा सकता है और वहां के लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व भी है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। आगामी 22 जनवरी राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। राम इस महाद्वीप के रोम रोम में है,इसलिए वे किसी भी देश की राष्ट्रीय अस्मिता से सहज ही जुड़ जाते है। दक्षिण पूर्व एशिया स्थित देश थाईलैंड भी प्रभु श्रीराम के जीवन से प्रेरित है। थाईलैंड में राजा को राम कहा जाता है। राज परिवार अयोध्या नामक शहर में रहता है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए थाईलैंड के राजा ने वहां की मिट्टी भेजी है। कंबोडिया से सुगंधित हल्दी आई है। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और रामलला के जलाभिषेक के लिए श्रद्धालु नेपाल की 16 पवित्र नदियों का जल लेकर अयोध्या पहुंच चुके हैं।
राममय भारत,राम राज्य वाले भारत की ओर चलने को लालायित है। राम राज्य में सुखी,सम्पन्न और खुशहाल समाज की परिकल्पना है। प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भरता और स्वावलम्बन को जन जन तक पहुंचाया है। भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश का नया साल अनंत संभावनाओं को जगाने वाला है और इसके शुभ संकेत मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के सुशासन के विजन में दिखाई पड़ रहे है। शिक्षा,स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था को लेकर उनके दूरदर्शिता पूर्ण फैसलों से नई संभावनाएं जगी है। मुख्यमंत्री युवा है और युवाओं के बारे में यह माना जाता है कि वे अच्छे अभिवावक,मित्र,गुरु,संतान और बेहतर सेवक होते हैं। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने अल्पकाल में ही बेहतर प्रबन्धन और ठोस कार्य योजना के संकेत देकर यह सन्देश दिए है कि स्वर्णिम मध्यप्रदेश का सपना आत्मनिर्भरता की मजबूती के साथ साकार होगा। बेहतर शिक्षा के लिए उनके प्रयास बेहतरीन रहे है तथा इसने करोड़ों लोगों की उम्मीदों को बढ़ाया है।
राम के चरित्र की उच्चता में राजधर्म सदैव लोककल्याणकारी और परोपकारी नजर आता है और यह भावना भारतीय मूल्यों और आदर्शों में भी परिलक्षित होती रही। राजा हरिश्चंद्र का राज पाट छोड़कर जंगल में जाना हो या भीष्म का कर्तव्यपथ में शपथ लेकर आजीवन विवाह न करने की घोषणा में रामराज्य के आदर्शों की उद्घोषणा होती है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता के घट घट में राम बसे है और यहां का जनमानस यह बखूबी जानता है कि राम की अभिलाषा में लोक कल्याण है और उनका उद्देश्य मानवता की रक्षा करना रहा। राम के पथ पर आगे बढ़ता हुआ हमारा भारत नई उम्मीदें जगा रहा है,यह स्वर्णिम उम्मीदें है।
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