विकसित देशों में लोकतंत्र और चुनाव आयोग
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विकसित देशों में लोकतंत्र और चुनाव आयोग

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप                                                                                        

2011 में हिलेरी क्लिंटन ने  अपनी भारत यात्रा के दौरान भारत के निर्वाचन आयोग को पूरे विश्व के निर्वाचन प्रबंधन में गोल्ड स्टैडर्ड का नाम दिया था। दरअसल सहभागी लोकतंत्र और निर्वाचन प्रबंधन के संबंध में शिक्षण,अनुसंधान, प्रशिक्षण और सुदृढ़ीकरण के उच्च स्तरीय संसाधन केन्द्र के रूप में भारत की वैश्विक पहचान में निर्वाचन आयोग की प्रमुख भूमिका मानी जाती है। लोकतंत्र की सफलता के लिए स्वतंत्र एवं निष्पक्ष  चुनाव प्रक्रिया आवश्यक है जिससे जनता अपनी पसंद के उम्मीदवार को चुनकर व्यवस्थाओं के संचालन में अपना योगदान दे सके।  लोकतंत्र को मजबूत बनाने  और संविधानिक रूप से चुनाव प्रक्रिया के संचालन के लिए चुनाव आयोग एक महत्वपूर्ण निकाय के रूप में कार्य करता है। आमतौर पर  चुनाव आयोग देश में चुनावों की घोषणा से लेकर परिणामों की घोषणा तक चुनावों के संचालन और नियंत्रण के हर पहलू पर निर्णय लेता है। चुनावों की घोषणा से लेकर परिणामों की घोषणा तक,चुनाव आयोग चुनावों के संचालन और नियंत्रण के हर पहलू के बारे में निर्णय लेता है। यह आचार संहिता को प्रभावी बनाता है और नियम तोड़ने वाले उम्मीदवार और राजनीतिक दलों को प्रतिबंधित करता है। भारत में निर्वाचन आयोग को यह अधिकार है लेकिन अलग अलग देशों में चुनाव आयोग की भूमिका और कार्य में भिन्नता होती है।

भारत  में चुनाव आयोग के पास राजनीतिक दल के पंजीकरण का अधिकार है लेकिन राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र को कायम रखने को लेकर वह सख्त नहीं है। राजनीतिक दलों द्वारा अपने पदाधिकारियों के चयन हेतु नियमित रूप से आंतरिक चुनाव आयोजित किये जाते हैं,किंतु किसी दंडात्मक प्रावधान के अभाव में यह अत्यंत सीमित ही है।  इसके कारण भारत के राजनीतिक दलों पर व्यक्तिवादी प्रभाव बढ़ने और राजनीतिक दलों के संकीर्ण निरंकुश संरचनाओं में बदलने की आशंका बनी रहती है। यह नागरिकों के राजनीति में भाग लेने और चुनाव लड़ सकने के समान राजनीतिक अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका के भीतर भी एक राज्य से दूसरे राज्य में,मतदान प्रणालियाँ नाटकीय रूप से भिन्न होती हैं। अमेरिकी चुनाव सहायता आयोग एक स्वतंत्र, द्विदलीय आयोग है यह मतदान से लेकर फंडिंग तक कड़ी निगरानी करता है। आयोग जनता को अपनी प्रगति और गतिविधियों के बारे में सूचित करने के लिए सार्वजनिक बैठकें और सुनवाई भी आयोजित करता है। अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव एक जटिल कार्यवाही है,इस पद्धति को आंशिक रूप से संविधान में दर्शाया गया है और इसे आंशिक रूप से कांग्रेस और आंशिक रूप से राज्यों पर छोड़ दिया गया है। अमेरिका में निर्वाचकों के चयन का तरीका राज्य के कानून पर छोड़ दिया गया है लेकिन अमेरिका के राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र को लेकर व्यापक जागरूकता है जो चुनाव आयोग के कार्य को आसान बनाती है। अमेरिका में, राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख और सरकार का प्रमुख दोनों होता है।  अमेरिका में दोनों पार्टियों के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यथासंभव अधिक से अधिक मतदाता समर्थन हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर चुनाव अभियान शुरू करते हैं। वे पूरे देश में यात्रा करते हैं और बड़े-बड़े अभियान रैलियाँ आयोजित करते हैं  जहां वे पूरे देश के लिए अपनी नीतियों और अपने विचारों को सामने रखते हैं।

दुनिया के सबसे उदार लोकतंत्र माने जाने वाले ब्रिटेन में राष्ट्रीय चुनाव आयोग एक स्वतंत्र एजेंसी है जो पार्टी और चुनाव वित्त को नियंत्रित करती है  तथा चुनाव कैसे होने चाहिए इसके लिए मानक निर्धारित करती है। ब्रिटेन में आयोग की भूमिका पार्टी और चुनाव वित्त की अखंडता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। ब्रिटेन एक स्वस्थ लोकतंत्रिक परम्पराओं वाला देश है,अत: यहां चुनाव आयोग धन संबंधी पारदर्शिता बनाएं रखने के लिए कृत संकल्पित दिखता है। राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को आय और व्यय का विवरण देते हुए खातों का वार्षिक विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है जिन्हें आयोग अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करता है। राजनीतिक दलों और विनियमित दानकर्ताओं को प्राप्त होने वाले सभी दान की रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत करना आवश्यक है। आयोग अपनी वेबसाइट पर इन दान का सार्वजनिक रूप से उपलब्ध और खोजने योग्य रजिस्टर रखता है। ब्रिटेन में मुख्य रूप से दो राजनीतिक दलों का वर्चस्व है,लेबर पार्टी और कंजर्वेटिव पार्टी। ब्रिटेन में भी अमेरिका की तरह ही राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र है। नेता अपने विचारों और नीतियों के बूते कार्यकर्ताओं का भरोसा जीतते है और इससे उन्हें राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरने में मदद मिलती है।

फ़्रांस एक  अर्द्ध राष्ट्रपति गणतंत्र है  लेकिन यहां राष्ट्रपति सबसे महत्वपूर्ण होता है। यहां चुनाव आयोग इस बात को भी सुनिश्चित करता है की देश से बाहर रहने वाले फ़्रांसिसी भी अपने वोट का उपयोग कर सकें।  फ्रांस अपने महावाणिज्य दूतावास की मतदाता सूची में पंजीकृत अपने नागरिकों को उस देश में मतदान करने का अधिकार देता है जहां वे रह रहे हैं।  पिछले साल भारत के पुडुचेरी क्षेत्र में फ्रांस के महावाणिज्य दूतावास के परिसर में मतदान केंद्र बनाया गया  था। यहां फ्रांस के लोगों ने मतदान किया। पुडुचेरी पहले एक फ्रांसीसी उपनिवेश था। केरल,तमिलनाडु और पुडुचेरी के  करीब साढ़े चार हजार फ्रेंच नागरिकों ने फ्रांस में पहले चरण के चुनाव में मतदान किया था।

फ़्रांस में राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष लोकप्रिय वोट द्वारा किया जाता रहा है। संवैधानिक परिषद द्वारा उम्मीदवारों की उम्मीदवारी को सत्यापित करने के बाद उम्मीदवार मतपत्र पर दिखाई देते हैं। किसी भी उम्मीदवार को पहले दौर में  पचास फीसदी से अधिक मत प्राप्त नहीं होने चाहिए। दो सप्ताह बाद शीर्ष दो दावेदारों के साथ एक दूसरे दौर का आयोजन किया जाता है।
फ्रांस का कानून कहता है,अगर किसी नेता को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ना है तो सबसे पहले उस उम्मीदवार को देश के 500 मेयर के हस्ताक्षर करवाने होंगे। हस्ताक्षर के बाद सुप्रीम कोर्ट इन्हें प्रमाणित करने के बाद अपनी मंजूरी देता है। इसके बगैर किसी भी उम्मीदवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए योग्य नहीं माना जाता है।
आमतौर पर पूरा चुनाव दो चरणों में होता है,इसमें वोटिंग पर्सेंटेज का अहम रोल होता है। पहले चरण के चुनाव में किसी उम्मीदवार को 50 फीसदी तक वोट मिल जाते हैं तो वही विजयी घोषित कर दिया जाता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो दूसरे चरण का चुनाव होता है। दूसरे चरण के चुनाव में यह देखा जाता है कि पहले चरण में सर्वाधिक वोट पाने वाले दो प्रमुख उम्मीदवार कौन रहे हैं। उन दो प्रमुख उम्मीदवारों के लिए दूसरे चरण में मतदान कराया जाता है।

 भारत,लोकतंत्र और निर्वाचन सहायता हेतु अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थान स्‍टॉकहोम,स्‍वीडन का एक संस्‍थापक सदस्‍य है। आयोग ने निर्वाचन प्रबंधन एवं प्रशासन,निर्वाचक विधियां एवं सुधार के क्षेत्र में अपने अनुभव एवं विशेष जानकारी को साझा करने के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय संबंधों को बढ़ाया है। दुनिया के कई देश जैसे रूस,श्रीलंका,नेपाल, इंडोनेशिया,दक्षिण अफ्रीका,बांग्‍लादेश,थाईलैण्‍ड,नाइजीरिया,नामीबिया,भूटान, आस्‍ट्रेलिया,संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका और अफगानिस्‍तान इत्‍यादि के राष्‍ट्रीय निर्वाचन निकायों के निर्वाचन अधिकारी और अन्‍य शिष्‍टमंडल भारतीय निर्वाचन प्रक्रिया को बेहतर रूप से समझने के लिए आयोग का दौरा कर चुके हैं। भारत में निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र और स्थायी संवैधानिक प्राधिकरण है और यह  निसंदेह बेहतर तरीके से काम करता है।  हालांकि चुनाव आयोग के सामने राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग का पता लगाना,चुनाव में धन बल का उपयोग रोकना,नेताओं को आचार संहिता में बांधे रखने और राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र लागू करवाने जैसी चुनौतियां बनी हुई है। भारत में लोकतंत्र को मजबूत और बेहतर करने के लिए अमेरिका,ब्रिटेन और फ़्रांस जैसे विकसित देशों की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से काफी कुछ सीखा जा सकता है।

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