नया इंडिया
प्रेरणादायक है…स्वयंसेवक मोहन से माननीय मुख्यमंत्री तक का संघर्षशील सफर
1970 के दशक में राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रचारक सालिकराम तोमर का उज्जैन कार्य क्षेत्र हुआ करता था। महाकाल की धार्मिक नगरी के कई परिवारों में उनका खासा सम्मान और प्रभाव था। महाकाल के मंदिर के मुख्य रास्ते पर बुधवरिया बाज़ार है,वहीं पर पूनम चंद यादव भजिये का ठेला लगाया करते थे। रोजी रोटी का यही एक साधन था,उनके तीन पुत्र और दो बेटियां थी। पूनम चंद बेहद धार्मिक स्वभाव के व्यक्ति के तौर पर समाज में पहचाने जाते थे। सालिकराम तोमर से उनका मिलना सहज ही हुआ और पूनमचंद ने बड़े स्नेह से सालिकराम को अपने घर भोजन पर आमंत्रित किया। पूनम चंद के सबसे छोटे बेटे मोहन की उम्र महज सात आठ साल रही होगी। मोहन की वाकपटुता से प्रचारक सालिकराम बेहद प्रसन्न हुए और यहीं से नन्हें मोहन यादव का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा में शामिल होने का सिलसिला शुरू हो गया। मालवा में सालिकराम तोमर का नाम आज भी बड़े सम्मान से लिया जाता है। वे ऐसे प्रचारक के तौर पर जाने जाते है जिन्होंने सत्ता के खिलाफ लगातार संघर्ष करते हुए और परेशानियों से जूझते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मजबूत कार्यकर्ता तैयार किए। मोहन यादव की स्वयंसेवक मोहन से माननीय मुख्यमंत्री तक के संघर्षशील सफर में सालिकराम तोमर की संघ के प्रति निष्ठा और विचारों का गहरा योगदान माना जाता है।
इन सबके बीच पूनम चंद के लिए रोजी रोटी जुटाना आसान काम नहीं था और उनके बेटे उनका बड़ा सहयोग करते थे। पारिवारिक संघर्षों के दौरान बाकी तो ज्यादा पढाई कर नहीं पायें लेकिन मोहन यादव संघर्षों के बीच भी शिक्षा के रास्ते पर आगे बढ़ते रहे और परिवार के पहले ऐसे सदस्य बने जिन्होंने राजनीति विज्ञान से एम.ए. करने के बाद पीएच.डी. कर इतिहास रच दिया।
भूखे रहकर भी प्रवास करने का जूनून
मोहन यादव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिस दौर में कार्यकर्ता रहे,वह समय बड़ा कठिन माना जाता था। प्रदेश और देश में कांग्रेस की सरकारें काम करती थी,अत: आर्थिक या राजनीतिक समर्थन की कोई गुंजाईश थी ही नहीं। 1986 में जब उन्हें विभाग प्रमुख का दायित्व मिला तो उस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में प्रवास पर जाना होता था। पारिवारिक स्थिति तो ठीक थी नहीं, रोड़ भी खराब थे या होते ही नहीं थे। गांवों में लाईट भी नहीं होती थी। फिर भी मोहन यादव प्रवास पर जाते थे,इस दौरान कई बार सुबह से शाम तक खाना नहीं मिल पाता था। कई बार कार्यकर्ताओं के यहां रुखी सुखी खाकर रात गुजारनी पड़ती थी। इन सबके बीच भी मोहन यादव ने विभाग के कई गांवों में जाकर अभाविप की इकाईयां बनाई और बाद से इससे मजबूत संगठन बना।
अशोक कडेल
मोहन यादव के बचपन के साथ,वर्तमान में वे हिंदी ग्रंथ अकादमी के निदेशक है
जब मोहन यादव की पीएच.डी.के वीवा के लिए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गुरु आएं…
मोहन यादव के गुरु और पीएच.डी. के मार्गदर्शक प्रो. गोपाल कृष्ण शर्मा बताते है.. वे अपनी पढ़ाई के प्रति बेहद ईमानदार थे और कोई चेप्टर समझ में आने के कारण कई बार घर पर आ जाते थे। उनका पीएच.डी. का विषय, मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार के प्रति प्रदेश के मीडियाकर्मियों के दृष्टिकोण का अनुशीलन था। 2008 में पीएच.डी. उपाधि प्राप्त की। पीएच.डी. केवीवा के लिए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गुरु डॉ. बृजमोहन शर्मा राजस्थान यूनिवर्सिटी से आएं। उन्होंने जब मोहन यादव से इस विषय पर पीएच.डी.करने का उद्देश्य जानना चाहा,तो मोहन यादव बोले,सर लोकतंत्र के चौथे खम्बे का दृष्टिकोण के अध्ययन से राजनीति और राजधर्म को समझने में मुझे सहायता मिल सकती थी। मैं अपने उद्देश्य को पूरा कर प्रसन्न हूँ।
डॉ. गोपालकृष्ण शर्मा
(राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन अध्ययन शाला ,विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के तत्कालीन आचार्य एवं अध्यक्ष
अपने प्रतिद्वंदियों को पटकनी देने में माहिर
चार दशकों से मोहन यादव जी की राजनीति को बहुत नजदीक से देखा है। कांग्रेस के कार्यकाल में विपक्ष में रहते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की आक्रामक और प्रभावी राजनीति करने वाले यह अग्रणी नेताओं में शुमार किए जाते है। छात्रों के हितों के लिए लगातार संघर्ष करने वाले मोहन यादव की पहचान एक ऐसे नेता की रही है जो अपने प्रतिद्वंदियों को पटकनी देने में माहिर माने जाते है।
विशाल हाडा,अध्यक्ष,प्रेस क्लब,उज्जैन
स्वयंसेवक की निष्ठा के प्रतीक है मोहन
बाल्यकाल से ही संगठन और देश के प्रति उनका समर्पण कमाल का रहा है। विद्यार्थी परिषद के बाद जब मैं 2000 से 2003 तक भारतीय जनता पार्टी,उज्जैन का नगर अध्यक्ष था तब वे नगर महामंत्री भी रहे। संगठन और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण यह दिखाती थी की वे जरुर बहुत आगे जायेंगे। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ की प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल न केवल कामयाब रहेगा बल्कि उनका चमत्कारी और दूरदर्शी नेतृत्व उन्हें राष्ट्रीय ख्याति भी देगा।
दिवाकर नातू
अध्यक्ष,सिंहस्थ विकास प्राधिकरण,उज्जैन
राजा विक्रम के महत्व को युवा पीढ़ी तक पहुँचाने की ललक का प्रतीक है,विक्रम उत्सव
उज्जैन में हर वर्ष विक्रम महोत्सव का शानदार आयोजन होता है। राजा विक्रम को ही हम विक्रमादित्य के नाम से जानते है। लोकाचार में विक्रमादित्य को न्याय प्रिय राजा के रूप में याद किया जाता है। मोहन यादव के प्रयासों से ही शिप्रा घाट पर भव्य विक्रम महोत्सव मानाने की शुरुआत हुई. इसमें देश विदेश के कलाकार आते है और उनकी प्रस्तुति देखने हजारों लोग जुटते है।
वंचित वर्ग में नायकों जैसी छवि
तीन बार के विधायक मोहन यादव हर त्यौहार जनता के बीच मनाते है। उज्जैन दक्षिण के हर जरुरतमन्द की मदद करना,गरीब परिवारों में राखी,मिठाई और कपड़े लेकर खुद जाते है। बुजुर्गों और नि:सक्तजनों ने लिए अनुभूति गार्डन की सौगात हो या मोहल्ला क्लिनिक,वे शिद्दत से सेवा कार्यो में जुटे रहते है। वंचित और गरीब वर्गों के लोगों की मदद करने और उन्हें बेहतर अवसर देने में मोहन यादव ज्यादा विश्वास करते है। यहीं कारण है की आम जनता में उनकी छवि नायकों जैसी है ।
नई शिक्षा नीति लागू कर मप्र को अग्रणी राज्य बनाया
उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल बेहद सफल रहा। उन्होंने नई शिक्षा नीति को मध्यप्रदेश में सबसे पहले लागू कर यह सन्देश दिया की चुनौतियों का सामना करना उन्हें पसंद है तथा नवाचार करने से वे कभी पीछे नहीं हटते।
बहन कलावती कहतीं है….
मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद उज्जैन में हर घर पर त्यौहार मनाया जा रहा है। यह मोहन के प्रति जनता का स्नेह और प्रेम है,जो उन्होंने आत्मीयता और जनसेवा से हासिल किया है।
जीवन परिचय
नाम – डॉ. मोहन यादव,मुख्यमंत्री,मप्र शासन
जन्म – 25 मार्च 1965 उज्जैन
शिक्षा – बीएससी, एलएलबी,एमबीए,पीएच.डी. (राजनीति विज्ञान )
तीसरी बार उज्जैन दक्षिण विधान सभा से लगातार निर्वाचित
पूर्व दायित्व: केबिनेट मंत्री,उच्च शिक्षा विभाग, जुलाई 2020 से
उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में देश में पहली बार मप्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन,54 नए महाविद्यालय खोले
सन् 2004-2010 में उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्य मंत्री दर्जा)।
सन् 2011-2013 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, भोपाल के अध्यक्ष (केबिनेट मंत्री दर्जा)।
भा.ज.पा. की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य. सन् 2013-2016 में भा.ज.पा. के अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के सह-संयोजक।
उज्जैन के समग्र विकास हेतु अप्रवासी भारतीय संगठन शिकागो (अमेरिका) द्वारा महात्मा गांधी पुरस्कार और इस्कॉन इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा सम्मानित।
मध्यप्रदेश में पर्यटन के निरंतर विकास हेतु सन् 2011-2012 एवं 2012-2013 में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत. सन् 2013 में चौदहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित।
2018 में दूसरी बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित. दिनांक 2 जुलाई 2020 को मंत्री बने। 2023 में तीसरी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित,आज मुख्यमंत्री बने।
छात्र राजनीति – अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में प्रदेश के विभिन्न पदों पर रहे, राष्ट्र्रीय महामंत्री के पद के दायित्वों का निर्वाहन, माधव विज्ञान महाविद्यालय में 1982 में छात्र संघ के संयुक्त सचिव तथा 1984 में छात्रसंघ अध्यक्ष निर्वाचित।
सामाजिक क्षेत्र- 2006 में भारत स्काउट एवं गाइड के जिलाध्यक्ष, मध्यप्रदेश ओलंपिक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष,2007 में अखिल भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष, वर्ष 1992, 2004 एवं 2016 सिंहस्थ उज्जैन केन्द्रीय समिति के सदस्य,
वर्ष 2000-2003 तक विक्रम विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद (सिंडीकेट) सदस्य के दायित्व का निर्वाहन तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, विकलांग पुर्नवास केन्द्रों में सक्रिय भागीदारी।
राजनैतिक क्षेत्र – सन् 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव एवं 1984 में अध्यक्ष. सन् 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री एवं 1986 में विभाग प्रमुख। सन् 1988 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री तथा सन् 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री. सन् 1993-95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, उज्जैन नगर के सह खण्ड कार्यवाह। सायं भाग नगर कार्यवाह एवं 1996 में खण्ड कार्यवाह और नगर कार्यवाह। सन् 1997 में भारतीय जनता युवा मोर्चा की प्रदेश कार्य समिति के सदस्य। सन् 1998 में पश्चिम रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य. सन् 1999 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के उज्जैन संभाग प्रभारी, सन् 2000-2003 में भा.ज.पा. के नगर जिला महामंत्री एवं सन् 2004 में भा.ज.पा. की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य। सन् 2004 में सिंहस्थ, मध्यप्रदेश की केन्द्रीय समिति के सदस्य। सन् 2008 से भारत स्काउट एण्ड गाइड के जिलाध्यक्ष।
धार्मिक क्षेत्र – विक्रमोत्सव-चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य द्वारा आरंभ विक्रम संवत पर प्रारंभ होने वाले भारतीय नववर्ष मनाने की परंपरा, विगत 11 वर्षों से प्रतिवर्ष भव्य उत्सव शिप्रा तट पर आयोजित किया जाता है, धार्मिक आयोजनों में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए भारतीय संस्कृति, तीज, त्यौहार, रीति-रिवाज के पारंपरिक आयोजनों में शामिल होकर साहित्यिक, सांस्कृतिक, कला, विज्ञान, पुरातत्व, वेद ज्योतिष से जुडने हेतु जनमानस को अभिप्रेरित किया।
साहित्य: विक्रमाँदित्य शोधपीठ का गठन,
लेखन: उज्जैयनी का पर्यटन, विश्वकाल गणना के केंद्र डोंगला
प्रकाशन: संकल्प शुभकृत, क्रोधी, विश्वावसु, पराभव आदि पुस्तकों का प्रकाशन
विदेश यात्रा: अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, बैंकाक, थाईलैंड, चीन, नेपाल, बर्मा, भूटान, म्यांमार, अरब देशों
#ब्रह्मदीप अलूने
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