ट्रम्प के जाल में फिर फंस गया पाकिस्तान…!
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ट्रम्प के जाल में फिर फंस गया पाकिस्तान…!

पीपुल्स समाचार
पाकिस्तान की सीमा पश्चिम में ईरान,उत्तर-पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान,पूर्व में भारत और दक्षिण में अरब सागर से लगती है। भू-राजनीतिक दृष्टि से यह देश बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और अमेरिका ने इसे सैन्य संसाधन की तरह खूब इस्तेमाल भी किया है। एक बार फिर पाकिस्तान ट्रम्प के जाल में फंस गया है और वह गजा से लेकर ईरान तक परेशानियों में उलझता जा रहा है। दरअसल पाकिस्तान,अमेरिका का पिछलग्गू बनकर दुनिया में धाक कायम करने की कोशिश तो करता है लेकिन इसका खामियाजा वह भोग भी रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को जिस प्रकार महत्व दिया है,उसके दूरगामी परिणाम पाकिस्तान के लिये जानलेवा बन सकते है।

गजा में शांति को लेकर शर्म-अल-शेख समझौते के कभी भी टूट जाने की आशंका के बीच पाकिस्तान अपने बीस हजार सैनिकों को गजा में भेजने को तैयार हो गया है। शर्म अल-शेख़ सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ग़ज़ा में युद्ध को समाप्त करने के लिए एक अंतिम समझौते तक पहुँचना बताया गया था लेकिन वहां कोई युद्द विराम हुआ नहीं है और गजा में इजराइल के हमलें जारी है। पाकिस्तान को शर्म-अल-शेख में ट्रम्प ने खास सहयोगी बताकर शाहबाज़ शरीफ का खूब महिमा मंडन किया था। शरीफ पाकिस्तान में इसे बड़ी सफलता कूटनीतिक बताकर राजनीतिक बढ़त लेने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन गजा में जिस प्रकार इजराइल ने हमलें किए है उससे कट्टरपंथी शाहबाज़ शरीफ के खिलाफ हो रहे है। वहीं फील्ड मार्शल असीम मुनीर को अमेरिकी प्यादा बताकर कट्टरपंथी तत्व पाकिस्तान की सेना के खिलाफ भी हो गए है। पाकिस्तान की आंतरिक व्यवस्था अस्त व्यस्त है और यहां पर इजराइल विरोधी शक्तियां प्रभावशील है। इसमें से एक  खतरनाक राजनीतिक और कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक है। पाकिस्तान की फेडरल कैबिनेट ने तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान को आतंकवाद-रोधी अधिनियम-1997 के तहत प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया है। टीएलपी का देश में बड़ा प्रभाव है और इससे पाकिस्तान में हिंसा भड़कने की आशंका बढ़ गई है। तहरीक-ए-लब्बैक इजराइल का अस्तित्व स्वीकार नहीं करती और वह पाकिस्तान के राजनीतिक रुख का विरोध कर रही है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान पाकिस्तान का सबसे खतरनाक आतंकी संगठन है जिसकी स्थापना 2007 में हुई थी। यह संगठन अफगान तालिबान से वैचारिक रूप से जुड़ा हुआ है और पाकिस्तान में शरीयत आधारित इस्लामी शासन स्थापित करना इसका मुख्य उद्देश्य है। इन दोनों कट्टरपंथी संगठनों की चुनौती का सामना कर रही पाकिस्तान की सेना के सामने एक बड़ी चुनौती बलूचिस्तान भी है। इस समय समूचा बलूचिस्तान उबल रहा है। बलूचिस्तान की अवाम का गुस्सा पाकिस्तानी सेना,सत्ता और व्यवस्थाओं को लेकर है। न्यायिक हिरासत, सरकारी  हिंसा,उत्पीड़न,अपहरण और शोषण से जूझते यहां के लोगों को पाकिस्तान की पुलिस से गहरी नफरत है,सेना को वे अपना दुश्मन समझते है और न्यायपालिका पर उन्हें बिल्कुल भरोसा नहीं है। आधे पाकिस्तान से बस थोड़े ही कम क्षेत्रफल वाला पाकिस्तान के इस सबसे बड़े प्रांत के बाशिंदे खुद को पाकिस्तानी बताने से परहेज करते है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे कम आबादी वाला प्रांत है। बलूचिस्तान प्राकृतिक गैस और तेल से समृद्ध है और पाकिस्तान के सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। इस समय यहां चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा का विरोध चरम पर है।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पाकिस्तान और चीन के बीच एक द्विपक्षीय परियोजना है। इसका उद्देश्य चीन के पश्चिमी भाग में स्थित शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के उत्तरी भागों में खुंजेराब दर्रे के माध्यम से बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह से जोड़ना है। इसका उद्देश्य ऊर्जा,औद्योगिक और अन्य बुनियादी  ढांचा विकास परियोजनाओं के साथ राजमार्गों,रेलवे और पाइपलाइनों के नेटवर्क के साथ पूरे पाकिस्तान में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है। यह ग्वादर पोर्ट से चीन के लिये मध्य पूर्व और अफ्रीका तक  पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करेगा,जिससे चीन हिंद महासागर तक पहुँच सकेगा। बलूचिस्तान के लोगों का मानना है कि पाकिस्तान की सत्ता और सेना मिलकर उनके खनिज संसाधनों को लूट रही है तथा इसमें चीन की प्रमुख  भागीदारी है। यहीं कारण है की बलूच लिबरेशन आर्मी के लड़ाके चीनी इंजीनियरों को भी निशाना बना रहे है। बलूच विद्रोह से चीन की महत्वकांक्षी परियोजना का भविष्य अधर में है और पाकिस्तान की सेना इससे निपट पाने में नाकामयाब रही है। पाकिस्तान की सीमा पर भी भारी तनाव और दबाव है। पाकिस्तान की सीमा भारत,अफ़ग़ानिस्तान,ईरान और चीन से लगती है। अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान को अलग करने वाली सीमा को आधिकारिक तौर पर डूरंड रेखा के नाम से जाना जाता है। यह सीमा पश्तून आदिवासी इलाकों और बलूचिस्तान क्षेत्र से होकर गुज़रती है और सीमा के दोनों ओर पश्तून और बलूच जातीय समूहों को विभाजित करती है। यह सीमा विवादित है। अफगान इस सीमा को स्वीकार नहीं करते और अब तालिबान ने पाकिस्तान की कई सैन्य चौकियां ध्वस्त कर दी है। तुर्की में तालिबान और पाकिस्तान की बातचीत असफल होने के बाद सीमा पर हिंसा की सम्भावना बढ़ गई है।  यह आतंकवाद,तस्करी और कट्टरपंथी संगठनों का गढ़ बनकर उभर आया है। इसी क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत का उभार नई चुनौती बन गया है। यह संगठन तालिबान और टीटीपी दोनों का विरोधी है। इसका मकसद पूरे क्षेत्र में एक खुरासान अमीरात स्थापित करना है।
ईरान-पाकिस्तान सीमा ईरान के सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से अलग करती है। हाल के वर्षों में ईरान और पाकिस्तान के बीच संबंध लगातार तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण दोनों देशों की साझी सीमा में सक्रिय आतंकी और अलगाववादी संगठन हैं। ईरान का आरोप है कि जैश-उल-अद्ल जैसे सुन्नी उग्रवादी समूह पाकिस्तान की सीमा से उसकी धरती पर हमले करते हैं जबकि पाकिस्तान का कहना है कि बलूच विद्रोही संगठन ईरान की ओर से सीमा पार आकर उसके सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं। पाकिस्तान और सऊदी अरब के रणनीतिक संबंधों और पाकिस्तान की अमेरिका पर बढ़ती निर्भरता से ईरान आशंकित है। वहीं भारत और पाकिस्तान के संबंध बेहद खराब है और सीमा पर गंभीर तनाव है। भारत का ऑपरेशन सिंदूर अभी ख़त्म नहीं हुआ है।
आंतरिक और बाहरी सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहे पाकिस्तान की सेना के बीस हजार जवानों को अमेरिकी दबाव में गजा भेजा जा रहा है। गजा में अधिकांश क्षेत्रों पर इजराएल का कब्जा है तथा हमास और आईडीएफ को एक दूसरे पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। दुनिया के इस सबसे विवादित क्षेत्र में जहां जार्डन और अन्य खाड़ी देश सेना तैनात करने से इंकार कर गए वहीं पाकिस्तान सेना का वहां तैनात होना इजराइल की आंखों में खटक सकता है। तनाव के बीच हमास और पाकिस्तानी सेना के बीच भी संघर्ष भड़क सकता है।  यह समूची स्थिति पाकिस्तान में गृह युद्द को भड़का सकती है।  कुल मिलाकर पाकिस्तान एक बार फिर नए युद्द मैदान में फंसता दिख रहा है ।  भारत,अफगानिस्तान और ईरान से लगती सीमा असुरक्षित है और ऐसे तनाव के बीच पाकिस्तान की सेना  गजा की सुरक्षा कैसे करेगी और शाहबाज़ शरीफ उसे क्यों भेज रहे है,यह बड़ा सवाल है।

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