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सीरिया का भविष्य

जनसत्ता सीरिया को एक राष्ट्र के तौर पर बचाएं रखने के लिए देश में एक ऐसी समावेशी सरकार की जरूरत है जो विभिन्न राजनीतिक,भाषाई,जातीय और धार्मिक समूहों में समन्वय स्थापित कर संघर्ष की संभावनाओं को पूरी तरह खत्म कर दे। सीरिया कई जातीय और धार्मिक समूहों का घर है,जिनमें कुर्द,अर्मेनियाई, असीरियन,ईसाई,ड्रुज़,अलावाइट शिया और अरब सुन्नी […]

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असामान्य अमेरिकी नीति

राष्ट्रीय सहारा   अमेरिकी विदेश नीति अमेरिकी प्रभुत्व पर आधारित रही है जिसमें इस तथ्य पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है की विदेशों में अग्रणी भूमिका  बनाएं रखने में कौन सा देश उसका सबसे ज्यादा सहयोगी है तथा इस भागीदारी को और कैसे पुख्ता किया जा सकता है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश की विदेश […]

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इंदल देव की आराधना में खूब झूमे आदिवासी

लोकदेश  सर्द आधी रात में अपने इंदल देव के आराधना गीतों पर झूमते हुए हजारों आदिवासियों के साथ संस्कृति विभाग की रंगारंग और मोहक प्रस्तुतियां। सतपुड़ा की घनी वादियों के आंचल में बसे जनजाति बाहुल्य जिले बड़वानी के मटली गांव में प्रतिवर्ष इंदल उत्सव मनाया जाता है। 23 से 25 दिसम्बर तक  जनजातीय लोक कला […]

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दक्षेस में नई रणनीति

राष्ट्रीय सहारा   महाशक्तियों की राजनीतिक और आर्थिक महत्वाकांक्षाओं ने तीसरी दुनिया के उभरने की संभावनाओं को सुनियोजित तरीके से खत्म कर दिया है। इसका प्रतिबिम्ब है दक्षिण एशिया और इन देशों का क्षेत्रीय संगठन दक्षेस जिसे सार्क भी कहा जाता है। अमेरिकी प्रभाव में पाकिस्तान की जमीन का सैन्य कार्यों के लिए उपयोग और […]

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  उज्जैन सिंहस्थ 2028-सबसे बड़े धार्मिंक समागम की जोरदार तैयारी

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप भारत की पहचान आध्यात्म,धर्म और संस्कृति है तथा उज्जैन का इसमें विशिष्ट स्थान है। महान सांस्कृतिक परम्पराओं के साथ-साथ उज्जैन की गणना पवित्र सप्तपुरियों में की जाती है। यहां स्थित महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।  सिंहस्थ कुम्भ उज्जैन का महान धार्मिक पर्व है। बारह वर्ष के बाद,जब सूर्य […]

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आशंकित भारत की वैदेशिक नीति में बदलाव की दरकार  

हस्तक्षेप,राष्ट्रीय सहारा  अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर कहा करते थे कि दोस्त बदले जा सकते हैं मगर पड़ोसी नहीं। वाजपेयी की कूटनीति सीधी और स्पष्ट  रही और पड़ोसी देशों को लेकर उनमें शक्ति,सामरिक दृष्टिकोण और संवाद की गहरी समझ शामिल थी। वाजपेयी देश की आंतरिक राजनीति की छाया में वैदेशिक नीति को प्रभावित न होने देने […]

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सीरिया किस और जायेगा

राष्ट्रीय सहारा अरब में असद का अर्थ साहस,वीरता और आक्रामकता से लगाया जाता है। लेकिन सीरिया में ऐसा बिल्कुल नहीं है।  यहां के बाशिंदों के लिए बशर अल असद निर्मम और अत्याचारी शासन व्यवस्था  के प्रतीक है। पश्चिम एशिया के  इस ऐतिहासिक देश में लोकतंत्र को कुचल कर ढाई दशकों तक अधिनायकवादी शासन व्यवस्था कायम […]

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 दलित,आदिवासी सांसदों का रिपोर्ट कार्ड

प्रजातन्त्र -6 दिसम्वर-डॉ.आंबेडकर पुण्यतिथि रक्त,जाति,समुदाय और वर्ग की श्रेष्ठता से अभिशिप्त समाज में वंचितों की अस्मिता की रक्षा करने की चुनौती से जूझते बाबा साहब अंबेडकर राजनीतिक और संविधानिक अधिकारों से करोड़ों लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाना चाहते थे। बाबा साहब का यह मानना था की  देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक संस्थाओं में विशेष अधिकार प्राप्त […]

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युद्धविराम की युद्धनीति

राष्ट्रीय सहारा युद्ध विराम को लेकर यह माना जाता है कि यह शत्रुता को कम करने का प्रयास होता है तथा इससे युद्ध के स्थायी समाधान की तरफ़ बढ़ने का संकेत होता,हालांकि इससे युद्ध की स्थिति खत्म नहीं हो जाती। और फिर जब युद्द विराम इस्राइल और उसके प्रतिद्वंदी देशों के बीच हो तो आशंकाएं […]

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बांग्लादेश की कूटनीति और भारत

जनसत्ता  राजनीतिक बदलाव किसी देश के राजनीतिक निर्णयों,रणनीतियों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को किस प्रकार प्रभावित कर सकते है इसका बड़ा  उदाहरण बांग्लादेश है। शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने  देश की वैदेशिक नीति में अभूतपूर्व बदलाव कर पाकिस्तान के साथ सामरिक,राजनीतिक और नागरिक संबंधों को प्राथमिकता से बहाल […]

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