मातम में डूबे लोगों से डर गए पुतिन…!
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मातम में डूबे लोगों से डर गए पुतिन…!

 प्रजातंत्र

ब्लॉगर एलेक्सी नवेलिनी रूस की चुनाव व्यवस्था,न्यायिक व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर सवाल उठाते थे जबकि पुतिन के सहयोगी उन्हें सीआईए का एजेंट कहते थे। पुतिन की तानाशाही से आम रूसियों को मुक्ति दिलाने की अंतिम उम्मीद संभवतः नवेलिनी ही थे जो अब इस दुनिया में नहीं है। लेकिन नवेलिनी को चाहने वाले लोग पुतिन के क़ानूनी शिकंजे से बिना डरे,अपने नायक को श्रद्धांजलि देने अपने घरों से निकल रहे है और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना सभाएं कर रहे है। 47 वर्षीय नवेलिनी पोलर वुल्फ जेल में तीन दशक की सजा काट रहे थे और इसी  दौरान उनकी संदिग्ध अवस्था में मृत्यु हो गई। नवेलनी जिस जेल में बंद थे,वह रूस की सबसे खतरनाक जेलों में से एक मानी जाती है। मॉस्को से 235 किमी पूर्वी इलाके में स्थित इस जेल में अधिकांश गंभीर अपराधों में दोषी ठहराए  गए कैदियों के साथ आर्कटिक इलाके में जबरदस्त  ठंड के मौसम से जूझना पड़ता था,यहां तापमान शून्य से 28 सेल्सियस के आसपास  गिर जाता था।  नवेलनी के समर्थक उन्हें रूस के भावी नेता के रूप में देखते  थे और विश्वास करते थे वो एक दिन जेल से छूटेंगे और अपने देश का नेतृत्व करेंगे।

गौरतलब है कि अगस्त 2020 में केजीबी ने साइबेरिया से एक विमान पर उड़ान भरने के दौरान नवेलनी को रासायनिक जहर देकर मारने की कोशिश की थी। नवेलनी जैसे ही इलाज करवाकर जर्मनी से अपने देश रूस 12 जनवरी 2021 को वापस लौटें तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी गिरफ्तारी के ख़िलाफ़ समर्थकों ने देश भर में विरोध प्रदर्शन किए जिसे रूसी पुलिस बलों ने ताक़त का इस्तेमाल कर ख़त्म कर दिया। वापस लौटे तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया। लेकिन इससे पुतिन विरोधी प्रदर्शनों की बाढ़ आ गई है। देश के कई शहरों और कस्बों में नवेलनी के पक्ष में लोगों ने खूब प्रदर्शन हुए। एलेक्सी नवेलनी को रूस में भ्रष्टाचार के खिलाफ लिखने और लोगों को लामबंद करने के लिए जाना जाता  था।  वे रूस में इतने लोकप्रिय  रहे की देश के कई क्षेत्रों के स्थानीय चुनावों में नवेलनी के समर्थक चुनाव जीत गये।  नवेलनी को शासन में सुधार के विश्वसनीय चेहरे के रूप में पहचान हासिल  करने में कामयाबी हासिल हुई थी।  उन्होंने 2018 में राष्ट्रपति चुनाव में अपनी उम्मीदवारी जताने की कोशिश भी की थी,लेकिन उन्हें चुनाव न लड़ने देने की कोशिशों के तहत् एक आरोप में दोषी ठहरा कर इस चुनाव को लड़ने से रोक दिया गया था।  इन घटनाओं से नवेलनी की लोकप्रियता में वृद्धि ही हुई और वे पुतिन के खिलाफ विरोध का सशक्त चेहरा बन गए थे।  नवेलिनी के समर्थक दावा करते थे की  रूस की सरकार ने उन्हें जेल में इसलिए डाला क्योंकि वो घोटालों और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करते थे। बीते कुछ सालों में नवेलनी ने रूस के कई क्षेत्रों में ऐसे युवाओं का नेटवर्क खड़ा कर लिया था जो देशभर में स्थानीय मुद्दों को उठाकर पुतिन को स्थानीय चुनावों में कड़ी चुनौती देने लगे थे।   इसी वजह से रूस में सत्ताधारी लोग नवेलिनी और उनके समर्थकों को अपने लिए ख़तरा मानने लगे  थे।  नवेलनी ने एंटी करप्शन फाउंडेशन की स्थापना करके कई अभियान चलायें थे। उनके इन्हीं अभियानों के कारण रूस में लगभग सभी स्तर पर  फैला व्यापक भ्रष्टाचार दुनिया के सामने आ पाया था।

नवेलनी की मौत के बाद रूस के कई इलाकों में मातम पसरा हुआ है। अगले महीने रूस में आम चुनाव होने वाले है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है। पुतिन,जो 2000 में पहली बार राष्ट्रपति चुने गए थे,पांचवें कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ेंगे। निर्वाचित होने पर वह 2030 तक पद पर बने रहेंगे। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन,देश की सर्वोच्च सत्ता पर वैधानिक प्रभाव जमायें रखने के लिए कृतसंकल्पित है। पुतिन उन तानशाहों की तरह व्यवहार करते है जो अपनी वैधता स्थापित करने या सत्तारूढ़ दल के सदस्यों को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए अक्सर चुनाव आयोजित करके लोकतांत्रिक पहलू को चित्रित करने का प्रयास  करते है लेकिन ये चुनाव विपक्ष के लिए प्रतिस्पर्धी नहीं होते हैं। तानाशाही में स्थिरता जबरदस्ती और राजनीतिक दमन के माध्यम से बनाए रखी जाती है। रूस में मीडिया,प्रशासन,सेना,केजीबी और न्यायपालिका पर पुतिन का कब्जा हो चूका है।  नवेलनी की मौत को भी बहुत छोटी खबर के रूप में  प्रसारित किया गया।

तानाशाहों का यह आसान तरीका है की लोगों में डर पैदा करो और फिर उससे रक्षा करने का दावा करो।  जार्जिया,चेचन्या,क्रीमिया और नाटो के विरुद्द पुतिन की राजनीतिक और सामरिक  योजना को जनता के द्वारा पसंद किया गया था लेकिन यूक्रेन के खिलाफ लंबी लड़ाई को लेकर पुतिन को अपने देश में जनता के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

नवेलनी जेल में बंद थे तब भी पुतिन उनसे बहुत डरते थे। नवेलनी के  समर्थकों पर भीषण अत्याचार किये गए,कई समर्थक गिरफ्तार  कर लिए गए तो कई विदेश भाग गए। 20वीं सदी की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक विचारक  हन्ना अरेंड्ट ने अपनी पुस्तक,द ओरिजिन्स ऑफ टोटलिटेरियनिज्म में लिखा है कि आधुनिक तानाशाही और अतीत के अन्य सभी अत्याचारों के बीच एक बुनियादी अंतर यह है कि आतंक का उपयोग अब विरोधियों को खत्म करने और डराने के साधन के रूप में ही नहीं किया जाता है,बल्कि जनता पर शासन करने के साधन के रूप में किया जाता है। पुतिन के घोर विरोधी नवेलनी अब दुनिया से जा चूके है लेकिन इसके बाद भी उनके समर्थकों को पकड़ा जा रहा है। रूस के कई शहरों में लोग एलेक्सी नवेलनी को श्रद्धांजलि देने निकले और उन पर पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की है। मॉस्को,सेंट पीटर्सबर्ग और कुछ अन्य जगहों की अदालतों ने नवेलनी को याद करने वालों को जेल भेज दिया है। तानाशाह मूलतः कमजोर होते है जो विरोध को सत्ता खोने का कारण समझ लेते है। पुतिन भी डरे हुए है और  उनके इस डर ने रूस  को कैद खाना बना दिया है। इस कैद खाने से एलेक्सी नवेलनी तो हमेशा के लिए आज़ाद हो गए लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता की नवेलनी की मौत के साथ ही रूस की जनता की  पुतिन की तानाशाही  से मुक्ति की अंतिम उम्मीद भी धूमिल हो गई।

डॉ.ब्रह्मदीप अलूने

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