पॉलिटिक्स
राम और मैहर
ईश्वर किसी को कभी अकेला नहीं छोड़ता,शिद्दत से चाहो तो…
मैहर कहती है जैसे पुरुष के लिए स्त्री है
वैसे ही ट्रांस वुमन के लिए भगवान ने ट्रांस मेन बनाया है।
दिल्ली की शामें तो रंगीन होती ही है। कहते है दिल्ली दिलवालों की है और जिंदगी की अनन्त संभावनाओं को तलाशने और मंजिल तक पहुंचने के लिए हजारों लोग रोज इस शहर में पहुंचते है। वह 22 अप्रैल 2022 की शाम थी। राम एक नियत स्थान पर एक शख्स का इंतजार कर रहा था। जब उसका इंतजार खत्म हुआ और कार से तीन लडकियां उतरी तो वह अचरज में पड़ या कि आखिर इसमें वो कौन है जिसका उसे इंतजार था। राम को इन्हें गरिमा गृह ले जाना था जो मूलतः ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए होता है। लेकिन राम नहीं जानता था कि इसमें से कौन ट्रांसजेंडर है। अंततः उसने सकुचाते हुए पूछ ही लिया की आप में से ट्रांस वूमन कौन है।
उन तीनों लडकियों में से सबसे खूबसूरत चेहरे ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं मेहर हूं। राम की पलके बिल्कुल झपकने को तैयार नहीं हुई। उसे लगा की भला ट्रांस वुमन भी इतनी खुबसूरत हो सकती है। राम अपनी हमउम्र मैहर को देखते ही सपनों में डूब गया।
राम की दुनिया में ऐसा भी हो सकता था,उसने कल्पना नहीं की थी। कुछ दिनों पहले ही उसने फेसबुक प्रोफाइल में लिखा था कि जैसा भी हूँ,खुद के लिए बेमिसाल हूं,किसी को हक नहीं की मेरी परख करें।
दिल्ली के किशन विहार में रहने वाला राम कभी निशा हुआ करती थी। बेहद मासूम और चंचल निशा। तीन बहनों में उसे मझली कहा जाता था। पिताजी निशा को बिल्कुल लड़कों की तरह रखा करते थे। 16 अप्रैल 1988 को जन्मी निशा को समय के साथ यह एहसास होने लगा की उसे तो लड़का ही होना चाहिए। अब उसकी उम्मीदें परवान चढ़ने लगी और उसने डिजीटल मार्केटिंग में पैसा बनाया तो वह फैसला किया जो बहुत अप्रत्याशित था। निशा ने अपना जेंडर बदलवाने की ठानी और 2019 में एक आपरेशन के बाद अंततः निशा,राम के रूप में समाज के सामने आया। हालांकि यह विचार साधारण नहीं था लेकिन निशा उर्फ़ राम को कुछ असाधारण करने की धुन सवार थी।
दूसरी और दिल्ली से करीब साढ़े सात सौ किलोमीटर दूर उज्जैन में मैहर डांस में अपना नाम कमा रही थी। मैहर अपने बड़े भाई और छोटी बहन के साथ खेलती कूदती लेकिन उसे बार बार यह एहसास होता की वह इन दोनों से अलग है। पिताजी पेंटर थे और माँ हार्ट पेशेंट थी,इसलिए मैहर को गुरबत की जिंदगी से रूबरू तो होना ही पड़ता था। मैहर सोशल मीडिया पर ट्रांस समुदाय से मिली और उसे अपनी जिंदगी का कोई अलग रास्ता नजर आने लगा। इस बीच मै उसे पता चला की दिल्ली के तालकटोरा मैदान में किन्नर महोत्सव का आयोजन हो रहा है,अत: वह उसका हिस्सा बनने दिल्ली पहुंच गई।
अब गरिमा गृह में जानी मानी डांसर मैहर का ख्याल रखने की जिम्मेदारी राम की थी। मैहर बहुत थक गई थी और उसके पैर भी बहुत दुःख रहे थे। राम ने जब पैर दबाने को कहा तो मैहर चिढ कर बोली,लड़के हो,हद में रहो। राम मुस्कुराने लगा और यही से उन दोनों की जिंदगी में मुस्कान बढती चली गई। किन्नर महोत्सव में मैहर का डांस देखकर लोग वाह वाह कर रहे थे तो राम भी मंत्रमुग्ध था। उसे अब यह लगने लगा था कि वह मैहर के बिना नहीं रह सकता। जब मैहर दिल्ली से वापस आने के लिए रवाना हुई तो राम ने मैहर को एक कागज का टुकड़ा थमा दिया जिसमें लिखा था कि अकेला नहीं हूं,बस डर लगता है कि फिर से कोई छोड़ गया तो मेरा क्या होगा… ।
ट्रेन आगे बढ़ चुकी थी जब तब मैहर वह कागज का टुकड़ा पड़ती। लेकिन अब मैहर की आंखों से आंसू बह निकले। उसे भी एहसास हुआ था कि जिंदगी का आगे का रास्ता अब अकेले तय करना मुश्किल होगा तो वह आगे के स्टेशन पर उतर गई और वापस दिल्ली पहुंच गई।
राम अपने सामने मैहर को पाकर पागलों की तरह उछलने लगा,उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका सुनहरा सपना इस प्रकार सामने आ जायेगा।
दिल्ली की रोहिणी में स्थित कालिका मंदिर में राम,निशा के रूप में अपनी माँ के साथ जाया करती थी। निशा ने वहीं सपने देखे थे,राम ने अपनी शादी के लिए उसी स्थान को चुना। 6 सितम्बर 2022 को दोनों परिवारों की मौजूदगी में राम और मैहर ईश्वर को साक्षी मानकर एक दूजे के हो गए।
राम और मैहर खुद का बच्चा चाहते है और डॉक्टर ने भरोसा दिलाया है कि यह संभव भी होगा। राम कहते है कि बच्चा तो होगा और हमारे डीएनए से होगा। लेकिन उनकी चुनौतियां भी कम नहीं है। देश के कोने कोने से ऑनलाइन ट्रांस कार्ड के लिए अप्लाई किया जाता है लेकिन ट्रांस कार्ड मिलना बहुत दूर की कौड़ी है। ट्रांस कार्ड मिलेगा तो अस्पताल में फ्री इलाज की सुविधा मिल जाएगी और तब शायद बच्चे का सपना भी सच हो जाएं।
मैहर कहती है अब उसे कोई फर्क नहीं पड़ता की लोग क्या कहते है। वह अपनी पहचान के साथ जीना चाहती है। मैहर खुश है कि उनके परिवार ने राम को स्वीकार किया जो लडकी से लड़का बने थे। राम और मैहर इस समय जयपुर में है जहां किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पुष्पा गिडवानी का एनजीओ नई भौर तीसरे समुदाय के हितों के लिए खूब काम करता है। दोनों जयपुर में नई जिंदगी शुरू करना चाहते है। मैहर डांस ग्रुप बनाकर दुनिया पर छा जाना चाहती है तो राम अपनी हमसफर के सपनों को पूरा करने के लिए संकल्पित है। राम की माँ बूढी हो चूकी है और मैहर उनकी सेवा करना चाहती है। मैहर कहती है जैसे पुरुष के लिए स्त्री है वैसे ही ट्रांस वुमन के लिए भगवान ने ट्रांस मेन बनाया है। वह कहती है ईश्वर किसी को कभी अकेला नहीं छोड़ता,शिद्दत से चाहो तो सबकी तलाश अवश्य खत्म होती है।
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