कट्टरपंथियों की वापसी
राष्ट्रीय सहारा बंगलादेश में राजनीति बंद,विरोध,गरीबी और आतंकवाद से बाहर निकलकर […]
राष्ट्रीय सहारा बंगलादेश में राजनीति बंद,विरोध,गरीबी और आतंकवाद से बाहर निकलकर […]
राष्ट्रीय सहारा वे माओवादी हिंसा को दरकिनार करके इसे गरीब आदिवासियों का विद्रोह कहती है। करीब डेढ़ दशक पहले उन्होंने रेड कॉरिडोर के केंद्र माने जाने वाले बस्तर की गुपचुप यात्रा की और दंडकारण्य में माओवादियों के साथ काफी वक्त बिताया। वे माओवादियों को भाई,साथी या कॉमरेड कहकर लाल सलाम कहने में फक्र महसूस किया […]
देश का सबसे खतरनाक संसदीय क्षेत्र है रेड कॉरिडोर का केंद्र….बस्तर फरवरी से मई महीने के बीच नक्सलियों की ओर से टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन चलाया जाता है। इस कैंपेन के दौरान नक्सली एक्टिव हो जाते हैं और अपनी पूरी ताकत […]
राष्ट्रीय सहारा करीब बारह साल पहले त्रिपुरा में उग्रवादियों के समर्पण के लिए सह पुनर्वास की एक नई विशेष […]
राष्ट्रीय सहारा किसी भी लोकतांत्रिक देश के नए प्रधानमंत्री सदन में जब पहला भाषण देते है तो वे पक्ष विपक्ष की राजनीति से कहीं दूर देश के भावी भविष्य की स्वर्णिम संभावनाओं को लेकर अपना नजरिया सामने रखते है। लेकिन पाकिस्तान में ऐसा कुछ भी नहीं होता क्योंकि वहां असल लोकतंत्र दिखाई ही नहीं पड़ता। दरअसल […]
स्वतंत्र समय बालू,पत्थर,कोयले का अवैध खनन,मछली का अवैध व्यापार,मानव तस्करी,नकली नोटों का कारोबार,नक्सलियों की आमद,आतंकियों का संरक्षण और घुसपैठियों के स्वर्ग के तौर पर पश्चिम बंगाल की पहचान को कोई नकार नहीं सकता। राजनीतिक दलों को पश्चिम बंगाल की यह पहचान बदलने के लिए पाला बदलने वाले अपराधिक किस्म के नेताओं से दूरी […]
Webdunia क्या आप सीआरपीएफ के है…? दोरनापाल में मुझसे जब एक टेम्पों वाले ने यह पूछा तो मैं चौंक गया। नक्सलियों की यहां अपनी दुनिया है जहां बस से उतरते ही अनजान लोगों की आंखें आपको घूरने लगती है। नेशनल हाइवे क्रमांक 30 राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुकमा जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर दोरनापाल […]
राष्ट्रीय सहारा पाकिस्तान के सैन्य नियंत्रित लोकतंत्र के तौर तरीकों और संचालन में इतनी जटिलताएं है कि इस इस्लामिक देश के निष्पक्ष लोकतंत्रीकरण की कोई गुंजाईश नजर नहीं आती है। राजनीतिक नेताओं की हत्या,सरकारों की […]
Politics चंपई सोरेन-नक्सल,गरीबी,खनिज माफिया और पलायन की जमीन पर आदिवासी मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन जैसे ठेठ आदिवासी नेता का झारखंड का मुखिया बनना इस मायने में महत्वपूर्ण है की लोकतंत्र,विकास के भरपूर अवसर देता है। यह भावना नक्सल प्रभावित इलाकों में बमुश्किल गुजर बसर करने वाले आदिवासियों को उत्साह से भरने वाली है लेकिन नक्सल के […]