पाक के उस गद्दार की भविष्यवाणी सच साबित हुई…
article book भारत मे आतंकवाद

पाक के उस गद्दार की भविष्यवाणी सच साबित हुई…

पाकिस्तान के उस गद्दार की भविष्यवाणी सच साबित हुई…

 

वे पाकिस्तान  की बुनियाद रखने वालों में शुमार थे। वे हिंदू थे लेकिन इसके बाद भी उन्होंने पाकिस्तान में रहने को तरजीह दी। जिन्ना उन्हें खूब पसंद करते थे और इसीलिए पाकिस्तान के पहले मंत्रिमंडल में उन्हें खास जिम्मेदारी से नवाजा गया। हालांकि कुछ ही समय में इस शख्स को यह समझ आ गया की उन्होंने पाकिस्तान को चुनकर बहुत बड़ी गलती कर दी। जिन्ना ने अपने पहले भाषण में जहां पाकिस्तान को सभी धर्मों को समान सम्मान देने की बात कहीं थी वहीं पाकिस्तान के नेताओं का ख्याल बिल्कुल इससे अलहदा था। पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री ने अपना इस्तीफा देश के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को लिख भेजा जिसमें उन्होंने कहा,पाकिस्तान  का सत्ता प्रतिष्ठान मज़हब को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है और कट्टरपंथी ताकतों के सामने घुटने टेक रहा है। उन्होंने विभाजन को गलत ठहराते हुए आगे लिखा,बंटवारे का परिणाम यह होगा कि स्थायी रूप से न सही,लेकिन लंबे समय तक,दोनों देशों के मेहनतकशों के लिए ग़रीबी,जहालत और दुखों का लंबा दौर रहेगा। मुझे डर है कि पाकिस्तान शायद दक्षिण पूर्व एशिया का सबसे पिछड़ा देश बन जाएगा।

दरअसल  वह शख्स जोगिंदरनाथ मंडल थे जो पाकिस्तान के कानून मंत्री बने लेकिन उन्होंने संविधान में इस्लामिक गणराज्य की अवधारणा को नकराते हुए त्यागपत्र दे दिया। बाद में भारत लौट आएं और यहां गुमनामी का जीवन जीते हुए दुनिया से चले गए। उनकी पाकिस्तान के भविष्य को लेकर की गई बातें अक्षरशः सच साबित हो रही है। मंडल के भारत लौटने के बाद पाकिस्तान में उन्हें गद्दार कहा गया।

14 अगस्त 1947 को अस्तित्व में आए पाकिस्तान ने तीन दशक से ज्यादा का सैन्य शासन देखा और भोगा है। 1956 में देश का संविधान लागू हुआ और इसे इस्लामिक गणतन्त्र का नाम दिया गया। लेकिन गणतान्त्रिक परम्पराओं को स्थापित होने से पहले ही 1958 में पाकिस्तान में सेना द्वारा शासन पर नियन्त्रण स्थापित कर लिया गया। मार्शल अयूब खान पाकिस्तान के नये राष्ट्रपति बने और इस प्रकार पाकिस्तान के संसदीय लोकतंत्र को सेना ने अपने अधिकार में ले लिया। इसके बाद से लगातार सेना पाकिस्तान की सुरक्षा और भारत विरोध के नाम पर अपना प्रभाव जमाए हुए है और वह अनियंत्रित होकर लोकतांत्रिक सरकारों पर भी किंग मेकर की भूमिका में होती है। आक्रामक और कूटनीतिक तरीकों से सेना का अधिनायकवाद मजबूत होता रहा और यह अब पाकिस्तान की नियति बन गया है।

सेना  ने देश की कट्टरवादी ताकतों से मिलकर भारत विरोधी साजिशें रची। आतंकी गुटों को बढ़ावा दिया और इसका नतीजा यह हुआ की पाकिस्तान में लोकतंत्र बुरी तरह विफल हो गया। इस समय पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक संकट का दौर बना हुआ है। पाकिस्तानी रुपए इतिहास के सबसे कमजोर दौर में है, देश के पास बस कुछ दिनों के आयात के लिए विदेशी मुद्रा भंडार बचा है. देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन,महंगाई पर बढ़ती नाराज़गी,टीटीपी के घातक चरमपंथी हमलों में दर्जनों की मौत जैसे संकट का सामना पाकिस्तान इन दिनों कर रहा है। इमरान खान के आक्रामक आंदोलन के कारण पाकिस्तान के लोग सेना के ठिकानों को निशाना बना रहे है। वित्तीय कुप्रबंधन और राजनीतिक अस्थिरता के वर्षों ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पतन के कगार पर धकेल दिया है। चीन ने पाकिस्तान को उच्च ब्याज़ दर पर कर्ज़ दिया है। पाकिस्तान कि खस्ताहाल आर्थिक स्थिति से यह बल मिला है कि पाकिस्तान पर आने वाले वक़्त में चीनी कर्ज़ का बोझ और बढ़ेगा।

पाकिस्तान में आर्थिक स्थिति से हाहाकार है वहीं राजनीतिक पैतरेबाज़ी से देश अस्त व्यस्त हो गया है। पाकिस्तान  के मंत्रियों को विदेश दौरों पर प्रवासी पाकिस्तानी सरेआम गाली देते हुए नजर आते है। पाकिस्तान के सर्वोच्च   राजनीतिज्ञ एक दूसरे को चोर,डाकू और आतंकवादी कहने में बिल्कुल संकोच नहीं करते।  

लोकतांत्रिक नेता,देश की सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने लगे है।  जाहिर है न तो इस देश में राजनीतिक स्थिरता की संभावना दिखाई पड़ती है और न ही किसी सर्वोच्च सत्ता पर जनता का भरोसा है। आर्थिक और राजनीतिक बदहाली के कुचक्र में फंसा यह देश एक बार फिर टूटने की कगार पर है।

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video
X