वेबदुनिया
पाकिस्तान में करीब 97 फीसदी मुसलमान है लेकिन उनमें धार्मिक पहचान से ज्यादा सांस्कृतिक पहचान के भाव है और पाकिस्तान के हुक्मरान इस खूबी को देश के लिए सबसे बड़ा संकट समझते रहे है। सांस्कृतिक पहचान व्यापक होती है और इसमें भाषा,संगीत,कला,परंपराएं,रीति-रिवाज आदि शामिल होते हैं। जबकि धार्मिक पहचान विशेष रूप से धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं पर आधारित होती है। भारतीय संस्कृति की विभिन्नता को समाहित करने की जादुई शक्ति को नजरअंदाज कर मोहम्मद अली जिन्ना ने इस्लामिक राष्ट्रवाद के आधार पर पाकिस्तान का रास्ता बनाया था। गांधी ने जिन्ना को समझाया था की भारत में धर्म के आधार पर राष्ट्रवाद का कोई भविष्य नहीं हो सकता। आजादी के आठवें दशक तक आते आते जिन्ना का धर्म आधारित राष्ट्रवाद बूरी तरह हांफ रहा है और पाकिस्तान एक बार फिर टूटने की कगार पर पहुंच गया है। रमज़ान के पवित्र महीने में मस्जिदों में धमाके हो रहे है तथा सेना और जनता हिंसक तरीके से एक दूसरे को निशाना बनाकर जिन्ना के इस्लामिक राष्ट्रवाद की कपोल कल्पित अवधारणा को आईना दिखा रहे है।
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