सीरिया में गृहयुद्द की आशंका
article

 सीरिया में गृहयुद्द की आशंका

 जनसत्ता               

अल-क़ायदा और इस्लामिक स्टेट की छाया में रहने वाले सीरिया के सत्तारूढ़ संगठन हयात तहरीर अल-शाम या एचटीएस की पृष्ठभूमि को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे कि उसके नेतृत्व में सीरिया का भविष्य क्या होगा। एचटीएस के नेता अबू मोहम्मद अल जुलानी अपनी छवि को जिहादी लड़ाके से बदल कर आधुनिक और दूरदर्शी नेता के रूप में पेश करने की कोशिश करते हुए दिखाई दिए तो उम्मीदें जगी की संभवतः वे सीरिया की विविधता को स्वीकार कर एक मजबूत और समावेशी सरकार बनाएंगे।  लेकिन हकीकत में यह महज दिखावा साबित हुआ है और सीरिया जातीय और धार्मिक हिंसक संघर्ष की और तेजी से बढ़ रहा है।  एचटीएस समर्थित मौजूदा कार्यवाहक प्रशासन के सुरक्षा बलों और अज्ञात बन्दूकधारियों द्वारा सम्प्रदाय के आधार पर आम जनता को हिंसक निशाना बनाया जा रहा है। अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और नरसंहार का स्तर इतना  व्यापक है कि यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने हिंसा में आम नागरिकों हताहत होने की निन्दा की है और कहा है कि आम नागरिकों की हत्याओं को किसी भी तरह से जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है।

सीरिया एक सांस्कृतिक और जातीय विविधता वाला देश है। अरब सीरिया का सबसे बड़ा जातीय समूह है। जबकि कुर्द एक महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं जो सीरिया के उत्तरी हिस्सों में बसे हुए हैं। इन्हें अपनी अलग संस्कृति और कुर्दी भाषा में गर्व होता है। सीरिया का पश्चिमी तट अलावाइट समुदाय से आबाद है,यह एक शिया इस्लामी संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। यह समुदाय राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद इसी समुदाय से हैं। सीरिया में ईसाई समुदाय भी महत्वपूर्ण है।  यह मुख्य रूप से दमिश्क,हुम्स,अलेप्पो और लैटाकिया में रहता है। जिसमें आर्मीनियाई,मारोनाइट और सीरियाई ऑर्थोडॉक्स जैसे विभिन्न ईसाई संप्रदायों के लोग रहते हैं। इस समय सीरिया के तटीय इलाकें सरकार समर्थित हिंसा की चपेट में है। सीरिया के सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर अलावी अल्पसंख्यक समुदाय के सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी है।  ऐसे तथ्य सामने आएं है कि हयात तहरीर अल-शाम के सुरक्षा बलों को पूर्व राष्ट्रपति असद के समर्थकों से लड़ने के लिए भेजा गया है। सीरियाई सुरक्षा बलों द्वारा सीरियाई तट के गांवों और इलाक़े के लोगों की हत्या,कब्जा और यातना  के कई वीडियों सामने आ रहे है जिसकी अंतराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता जताई जा रही है। सीरिया की अंतरिम सरकार ने देश के तटीय इलाक़े लाताकिया और तर्तूस में बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया है। लाताकिया में अलावाइट्स,सुन्नी मुस्लिम और  ईसाई  जैसे जातीय और धार्मिक समूह रहते है। लाताकिया सीरिया का अलावाइट बहुल क्षेत्र है,वहीं तर्तूस सीरिया के पश्चिमी तट पर स्थित है और यहां भी अलावाइट समुदाय की अधिकता है। यह इलाका बशर अल-असद का एक प्रमुख गढ़ माना जाता है।

देश के तटीय इलाकों में अलावी और ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय पर सुरक्षा बलों के हमलें का असर देश के दूसरे कई इलाकों पर पड़ रहा है और इससे पूरे देश में तनाव बढ़ रहा है।  सीरिया में लंबे अरसे से राजनीतिक तानाशाही रही है और किसी दूसरे सशस्त्र गुट के पास प्रशासन चलाने का अनुभव नहीं है। सीरिया के सभी इलाकों पर कभी भी बशर-अल-असद का पूर्ण नियन्त्रण नहीं था और अब हयात तहरीर अल-शाम के साथ भी कुछ ऐसा ही है। सीरिया  में विभिन्न जातीय,धार्मिक और सांस्कृतिक विविधताएं पाई जाती हैं और प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर जातीय समूह हावी होते है। बशर अल-असद के सत्ता को उखाड़ फेंकने के अभियान में हयात तहरीर अल-शाम को देश के अन्य क्षेत्रों में प्रभावशील जातीय समूहों का समर्थन इसलिए मिला था क्योंकि उन्हें उम्मीद थी की सत्ता में उनकी भी भागीदारी होगी।  लेकिन सीरिया में भविष्य की राजनीतिक भागीदारी वाली सरकार को लेकर कोई भी सहमति अभी तक न बनने के कारण हिंसक विरोध अब सड़कों पर दिखाई दे रहा है।

सीरिया के अलग अलग प्रान्तों में स्थितियां लगातार बेकाबू हो रही है। रक्का,सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्सेस के नियंत्रण में है जिसमें मुख्य रूप से कुर्द बल शामिल हैं। हसाके प्रांत का अधिकांश क्षेत्र भी कुर्दों के नियंत्रण में है।  यहां कुर्दों के अलावा अरबी और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय भी बसे हुए हैं। सीरिया के प्रांतों में जातीय और धार्मिक समूहों के बीच संघर्ष और सहयोग की स्थिति जटिल है। कई प्रांत सीरियाई सरकार के नियंत्रण में हैं जबकि अन्य में विपक्षी गुट और कुर्दों का प्रभाव है। इन क्षेत्रों में संघर्ष,राजनीतिक अस्थिरता और विदेशी हस्तक्षेप के कारण स्थिति लगातार बदल रही है। कुर्द,अरबी और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के बीच शक्ति संघर्ष ने देश की सामाजिक और राजनीतिक संरचना को प्रभावित किया है।  सीरिया का पड़ोसी देश तुर्की जो कि लंबे समय से असद सरकार का विरोध करता रहा था वो सीरिया के उत्तरी क्षेत्र में दबदबा रखने वाले कुर्द विद्रोहियों के साथ कई दशकों से लड़ता रहा है। तुर्की सीरिया में अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए विभिन्न सैन्य और राजनीतिक कदम उठा रहा है। तुर्की में लाखों सीरियाई शरणार्थी रह रहे हैं और तुर्की सरकार उन्हें वापस अपने देश में भेजने के लिए एक सुरक्षित क्षेत्र बनाने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा तुर्की की योजना है कि वह इस सुरक्षित क्षेत्र में कुर्दों के प्रभुत्व को खत्म कर सके। 2017 में इराक़ में कुर्दों ने अलग देश कुर्दिस्तान बनाने को लेकर जनमत संग्रह पर वोट किया था,इस जनमत संग्रह में भारी संख्या में कुर्द शामिल हुए थे। पड़ोसी देश तुर्की और ईरान को डर है कि इससे उनके यहां भी कुर्दों को अलगाव के लिए प्रेरणा मिलेगी। सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति असद को ईरान का समर्थन प्राप्त था,इसीलिए असद कुर्दों के खिलाफ सैन्य अभियान के समर्थक थे। असद को सत्ता से हटाने वाले एचटीएस को तुर्की का समर्थन हासिल है।  तुर्की के पहाड़ी इलाक़ों और सीमाई क्षेत्रों के साथ इराक़,सीरिया,ईरान और अर्मेनिया में कुर्द रहते हैं। इनकी संख्या क़रीब ढाई से साढ़े तीन करोड़ के बीच है। ये मध्य पूर्व में चौथे सबसे बड़े जातीय समूह हैं। कुर्दों और तुर्की के बीच गहरी दुश्मनी रही है। तुर्की में  पन्द्रह से  बीस  फ़ीसदी कुर्द हैं। पीढ़ियों से तुर्की में कुर्दों के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार होता रहा है।  हयात तहरीर अल-शाम को कुर्दों को लेकर उदार रवैया अपनाना होगा लेकिन उस पर तुर्की का बड़ा दबाव है। इसके साथ ही अलावाइट्स और ईसाईयों का विश्वास जीतने की चुनौती भी हयात तहरीर अल-शाम के सामने बनी हुई है।

इसके साथ ही सीरिया से स्थापित लाखों लोग अपने घरों को वापस लौटना चाहते है।  फ़िलहाल,देश के भीतर सड़सठ लाख लोग विस्थापित हैं जबकि  पचपन लाख शरणार्थी पड़ोसी देशों में रह रहे हैं। सीरिया में शांति की स्थापना हो इसके लिए वैश्विक एजेंसियां भी कोशिश कर रही है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी मामलों की एजेंसी यूएनएचसीआर ने सीरिया में पिछले एक दशक से चले आ रहे हिसंक संघर्ष से प्रभावित और विस्थापित एक करोड़  तीस लाख से अधिक नागरिकों के लिये अन्तरराष्ट्रीय समर्थन सुनिश्चित किये जाने का आहवान किया है। यूएनएचसीआर को शरणार्थियों की सुरक्षा और दुनिया भर में शरणार्थी समस्याओं को हल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई का नेतृत्व और समन्वय करने का अधिकार है। इसका प्राथमिक उद्देश्य शरणार्थियों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा करना है। समस्या यह भी है कि शरणार्थियों को सुरक्षा,राजनैतिक स्थिरता और बुनियादी आवश्यकताओं की क़िल्लत के प्रति चिन्ता है जो उन्हें अपने देश वापस लौटने से रोक रही है।

कई दशकों से राजनीतिक अस्थिरता और साम्प्रदायिक संघर्षों से जूझते सीरिया में क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत,स्कूल,अस्पताल,जल और बिजली आपूर्ति की ज़रूरत है। यह एक मानवीय अनिवार्यता है ,जिसकी पूर्ति से खुशहाली आ सकती है और  लोगों का जीवन बेहतर बन सकता है।  कतर सीरिया की खस्ताहाल बिजली आपूर्ति को सुधारने की कोशिश में जॉर्डन के जरिए से सीरिया को गैस की आपूर्ति करने की तैयारी कर रहा है। कतर को अमेरिकी समर्थन हासिल है।  कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी के संस्थापक सदस्य अब्दुल्लाह ओकलान ने अपने समूह से हथियार छोड़ने की अपील की है।   इससे सीरिया में शांति स्थापना में व्यापक मदद मिल सकती है।   सीरिया की वर्तमान सरकार को ऐसे ही कल्याणकारी कोशिशें करने की जरूरत है जिससे सभी समुदायों में शांति और सुरक्षा का बेहतर संदेश जाएं और वे एक राष्ट्र के रूप में सीरिया के अस्तित्व को स्वीकार कर सकें।

उत्तरी सीरिया में कुर्द बलों को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है। वहीं ईरान और तुर्की के सीरिया में  गहरे राजनैतिक,धार्मिक और सामरिक हित है।  शिया संप्रदाय से आने वाले असद जब तक सत्ता में रहे तब तक सीरिया में ईरान का दबदबा रहा।  ईरान भी शिया मुस्लिम बहुल देश है। अब तुर्की सुन्नी आधारित व्यवस्था को सीरिया में मजबूत करने में जुटा है। ईरान और तुर्की के बीच की प्रतिद्वंदिता की यह स्थिति सीरिया में साम्प्रदायिक संघर्ष को बढ़ा सकती है।  सीरिया के नए नेता अबू मोहम्मद अल जुलानी भरोसा दिला रहे है कि उनका देश जंग से थक गया है और वह सीरिया को अफ़ग़ानिस्तान नहीं बनाना चाहते हैं। उन्होंने कई बार यह  आश्वासन देने की कोशिश की उनके अतीत को लेकर देश के लोग आशंकित ना रहें। वहीं यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि सीरिया को युद्ध की परछाई से बाहर लाकर,एक ऐसे भविष्य की ओर ले जाया जाए जो गरिमा व क़ानून के राज से निर्धारित हो। जहां सभी की आवाज़ को सुना जाए और किसी समुदाय को पीछे ना छूटने दिया जाए। जबकि हकीकत में ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है। सुन्नी संगठन हयात तहरीर अल-शाम के लड़ाके सीरिया के विभिन्न इलाकों में दूसरे जातीय धार्मिक समूहों को निशाना बना रहे है और यहां इस्लामिक स्टेट जैसी बर्बरता देखी जा रही है। इसका मुकाबला करने के लिए,कई अल्पसंख्यक समूह लामबंद होकर सुरक्षा के लिए हथियार उठाने को मजबूर हो रहे है।   जाहिर है विदेशी प्रभावों  से प्रेरित होकर तथा साम्प्रदायिक विभाजन के आधार पर सीरिया में आंतरिक संघर्ष जिस प्रकार बढ़ रहा है वह देश के विभाजन,विध्वंस और विनाश के संकेत है।

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video
X