पाकिस्तान में क्रिप्टोकरेंसी अर्थात् अमीर सुरक्षित और गरीब बर्बाद
article

पाकिस्तान में क्रिप्टोकरेंसी अर्थात् अमीर सुरक्षित और गरीब बर्बाद

जनसत्ता

एक सफल डिजिटल मुद्रा प्रणाली के लिए तकनीकी नवाचार,आर्थिक स्थिरता और नियामक ढांचा होना आवश्यक है। इंटरनेट पहुंच के साथ व्यापक स्तर पर अपनाने के लिए लोगों में डिजिटल साक्षरता भी आवश्यक है। क्रिप्टोकरेंसी की सफलता के लिए इसे स्थानीय जरूरतों के अनुरूप होना चाहिए,तकनीकी रूप से सुलभ होना चाहिए और एक सहायक कानूनी व नियामक वातावरण होना चाहिए। पाकिस्तान में आतंकवाद,हिंसा,अस्थिरता,संविधानिक व्यवस्थाओं का अभाव,गरीबी और पिछड़ापन है। देश के कई इलाकों में आज भी लड़कियों की स्कूल तक पहुंच नहीं है। अर्थव्यवस्था अस्त व्यस्त है और गंभीर आर्थिक संकट है। मुद्रास्फीति बढ़ रही है,लोग स्वास्थ्य सेवा सहित बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। देश की अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और मित्र देशों से उधार लिए गए पैसे पर चल रही है। पाकिस्तान की  तीस फीसदी से अधिक आबादी स्वास्थ्य,शिक्षा और जीवन स्तर में गंभीर अभाव से ग्रस्त है जबकि लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रही है। महंगाई,गरीबी और बेरोजगारी से बूरी तरह जूझते इस देश के बारे में यह भी कहा जाता है की कभी भी पाकिस्तान में बड़े नेता,सेना के परिवारों और अफसरों के लिए कोई मंदी नहीं आती। इसका सबसे प्रमुख कारण नेताओं और सेना की अकूत सम्पत्ति है,जिसे सुरक्षित रखने के लिए ट्रम्प की क्रिप्टोकरेंसी को कवच बनाने की तैयारी हो गई है।

दरअसल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ और फील्ड मार्शल असीम मुनीर क्रिप्टोकरेंसी को अपनाकर न केवल ट्रम्प को खुश करना चाहते है बल्कि बेनामी अकूत सम्पत्ति को सुरक्षित भी रखना चाहते है। जबकि पाकिस्तान का समाज,संविधानिक स्थिति और अर्थव्यवस्था इसके लिए मुफीद नजर नहीं आती। लेकिन नेताओं और सेना के समर्थन के चलते देश में ख़ामोशी है। पाकिस्तान में आर्थिक संकट का बोझ आम जनता उठाती है,जबकि अभिजात वर्ग अपनी  पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए विदेशी वित्तीय संरचनाओं का सहारा लेता है। पाकिस्तान में  राजनीतिक अस्थिरता और नीतिगत अनिश्चितता ने पूंजी के लिए असुरक्षित वातावरण बनाया है। ऐसे में जिनके पास साधन और संपर्क हैं,वे अपनी संपत्ति को देश के भीतर रखने के बजाय विदेशों में सुरक्षित करना अधिक विवेकपूर्ण मानते हैं। विदेशी बैंक खाते,रियल एस्टेट,ऑफशोर कंपनियां और निवेश फंड इस पूंजी पलायन के पारंपरिक माध्यम रहे हैं। पाकिस्तान में कर की चोरी व्यापक समस्या रही है। जब राज्य स्वयं कर के संग्रह में असफल रहता है और कानून का समान रूप से पालन नहीं होता,तब संपन्न वर्ग के लिए अपनी आय छिपाना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है। यह छिपी हुई आय धीरे-धीरे विदेशों में निवेश के रूप में परिवर्तित हो जाती है। परिणामस्वरूप,देश के भीतर विकास के लिए आवश्यक पूंजी बाहर चली जाती है,जबकि सरकार कर्ज़ और अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर होती जाती है।

दुबई में पाकिस्तानी नागरिकों के पास दुबई में बड़ी संख्या में संपत्तियां हैं, जिनका कुल मूल्य साढ़े बारह अरब अमेरिकी डॉलर है। इनमें राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी,हुसैन नवाज शरीफ,गृह मंत्री मोहसिन नकवी की पत्नी,दिवंगत जनरल परवेज मुशर्रफ और पूर्व प्रधानमंत्री शौकत शाह अजीज की सम्पत्ति शामिल हैं। दुनिया भर के कारोबारियों और नेताओं की गुप्त डील का खुलासा पनामा लिक्स के जरिए 2016 में हुआ था और इसके केंद्र में पाकिस्तान के कई नेता,उद्योगपति और सेना के अधिकारी है। बाद में पैंडोरा पेपर्स  के मुताबिक यह सामने आया की ऑफ़शोर कंपनियों में निवेश के जरिए पाकिस्तान की कुछ बड़ी हस्तियां गुपचुप तरीके से दौलत बाहर ले गए। यह भी दिलचस्प है की इस मामलें में इमरान खान के कुछ सहयोगियों के नाम भी शामिल थे। काले धन को वैध बनाने,प्रतिबंधों से बचने और कर चोरी में मदद की वैश्विक कड़ियां जुड़ी तो पाकिस्तान की राजनीति में हलचल मच गई और यह बड़ा मुद्दा भी बना। नवाज़ शरीफ़ ने 2017 में पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद ही प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने पाकिस्तान को दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में से एक बताया है,जहां सरकार,न्यायपालिका और समाज के सभी क्षेत्रों में यह बुराई व्याप्त है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में सेना से जुड़े व्यवसायों को पाकिस्तान का सबसे बड़ा समूह बताया गया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जून 2023 में देश को दिवालिया होने के कगार से बचाने में मदद करने के लिए चीफ ऑफ स्टाफ मुनीर को सार्वजनिक रूप से धन्यवाद दिया था। पाकिस्तान की सेना की ज़मीन हड़पने की लालसा इतनी ज़्यादा है कि उनके जनरल सामंती ज़मींदारों की तरह व्यवहार करते हैं और उन्हें देश के सबसे बड़े ज़मीन हड़पने वाले और ज़मीन माफिया कहा जाता है। सेना के पास देश की  बारह फीसदी भूमि है और उस भूमि का दो-तिहाई हिस्सा वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के हाथों में है। पाकिस्तान में जवाबदेही चयनात्मक है और शक्तिशाली वर्ग कानून के प्रभाव से काफी हद तक सुरक्षित रहता है।  पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो आर्थिक संकट,कर्ज़ निर्भरता और मुद्रा अवमूल्यन से जूझ रहा है। क्रिप्टोकरेंसी इस अविश्वास के वातावरण में राज्य-निरपेक्ष संपत्ति के रूप में सामने आती है। यह न किसी बैंक में रखी जाती है और न ही किसी एक देश के कानून के अधीन होती है। इसका नियंत्रण व्यक्ति के पास उसकी निजी डिजिटल कुंजी के माध्यम से रहता है। यही कारण है कि लोग इसे पूंजी सुरक्षा के एक साधन के रूप में देखते हैं। जब मुद्रा का तीव्र अवमूल्यन होता है या  महंगाई बचत को निगलने लगती है,तब सीमित आपूर्ति वाली क्रिप्टोकरेंसी लोगों को अपनी पूंजी के मूल्य को बचाए रखने का एक विकल्प प्रतीत होती है। सीमा पार पूंजी ले जाने के संदर्भ में भी क्रिप्टोकरेंसी की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है। पारंपरिक तरीकों में विदेशी मुद्रा नियम,सरकारी अनुमति,बैंकिंग प्रक्रिया और समय की लंबी देरी शामिल होती है। इसके विपरीत क्रिप्टो नेटवर्क के माध्यम से व्यक्ति कुछ ही मिनटों में बिना किसी मध्यस्थ के दुनिया के किसी भी हिस्से में मूल्य का हस्तांतरण कर सकता है।

पाकिस्तान में वित्तीय साक्षरता का स्तर कम है,जिसके कारण आम जनता क्रिप्टोकरेंसी को अक्सर त्वरित अमीरी का साधन समझ सकती है। सोशल मीडिया प्रचार और अवास्तविक मुनाफे के वादे लोगों को आकर्षित करती हैं। नतीजतन,गरीब और निम्न-मध्यम वर्ग अपनी सीमित बचत या उधार का पैसा इसमें लगाकर भारी नुकसान झेल सकता है। यह प्रक्रिया गरीबी और आर्थिक असुरक्षा को और बढ़ा सकती है। इसके अतिरिक्त,कमजोर नियामक  ढांचे के कारण क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग अवैध गतिविधियों में भी हो सकता है। हवाला नेटवर्क, मनी लॉन्ड्रिंग और चरमपंथी फंडिंग जैसी  समस्याएं पाकिस्तान के लिए पहले से ही गंभीर हैं।

 

पाकिस्तान में क्रिप्टोकरेंसी का मूल उद्देश्य आम नागरिकों को आर्थिक सशक्तिकरण देना नहीं,बल्कि राजनीतिक अभिजात्य और सैन्य प्रतिष्ठान के धन को अंतरराष्ट्रीय निगरानी से सुरक्षित रखना प्रतीत होता है। पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली पर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और पश्चिमी वित्तीय एजेंसियों की सख्त निगरानी है। ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी सत्ता वर्ग के लिए धन छुपाने,स्थानांतरित करने और प्रतिबंधों से बचने का एक वैकल्पिक माध्यम बन सकती है। आम लोगों के लिए यह व्यवस्था लाभकारी नहीं है। पाकिस्तान की बड़ी आबादी आर्थिक रूप से असुरक्षित है,वित्तीय साक्षरता कम है और डिजिटल ढांचे की पहुंच सीमित है। क्रिप्टो जैसी अत्यधिक अस्थिर परिसंपत्तियों में निवेश उनके लिए जोखिम भरा है। न तो वहां मजबूत रेगुलेशन है,न उपभोक्ता संरक्षण और न ही किसी प्रकार की गारंटी। ऐसे माहौल में आम लोग अक्सर अफवाहों,सोशल मीडिया प्रचार और जल्दी अमीर बनने के लालच में फंसकर अपनी जमा-पूंजी गंवा सकते हैं।

 

देश की समग्र आर्थिक स्थिति पर भी क्रिप्टो से कोई सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। पाकिस्तान की असली समस्याएं औद्योगिक उत्पादन में गिरावट,निर्यात की कमजोरी,विदेशी कर्ज,ऊर्जा संकट और शासन की अक्षमता,क्रिप्टो अपनाने से हल नहीं होंगी।  वहीं यदि पूंजी औपचारिक अर्थव्यवस्था से निकलकर क्रिप्टो जैसे अनियंत्रित क्षेत्र में जाती है तो टैक्स संग्रह और राज्य की वित्तीय क्षमता और कमजोर हो सकती है। पाकिस्तान की लगभग  पैसठ फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका कृषि,पशुपालन,खेतिहर मज़दूरी और उससे जुड़े छोटे व्यवसायों पर निर्भर है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था नकद लेन-देन,परंपरागत साहूकारी,आढ़ती प्रणाली और सीमित बैंकिंग तक ही सिमटी हुई है। डिजिटल बैंकिंग,इंटरनेट और स्मार्टफोन की  पहुंच अभी भी असमान और सीमित है। ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी जैसी जटिल,तकनीकी और अस्थिर वित्तीय व्यवस्था ग्रामीण पाकिस्तान के लिए लगभग अप्रासंगिक है। ग्रामीण आबादी की प्राथमिक समस्याएं बिल्कुल अलग हैं,बीज,खाद और डीज़ल की महंगाई,सिंचाई की कमी, जलवायु संकट,फसल का उचित मूल्य न मिलना,कर्ज़ का जाल और सरकारी सहायता का अभाव। क्रिप्टो इन समस्याओं में से किसी का समाधान नहीं करता। न इससे फसल का दाम बढ़ेगा,न रोज़गार पैदा होगा और न ही ग्रामीण आय में स्थायित्व आएगा। वहीं सबसे बड़ा संकट यह है की शहरी अभिजात्य वर्ग और सत्ता से जुड़े लोग क्रिप्टो को पूंजी पलायन और धन छुपाने के औज़ार के रूप में इस्तेमाल करेंगे, जबकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग बिना समझ-बूझ के इसमें निवेश कर ठगी और भारी घाटे का शिकार हो सकते हैं। पहले ही ग्रामीण पाकिस्तान साहूकारों और अनौपचारिक कर्ज़ से त्रस्त है,क्रिप्टो इस शोषण को एक नया डिजिटल रूप दे सकता है।

जब किसी देश की अर्थव्यवस्था का आधार ग्रामीण जीवन, कृषि उत्पादन और स्थानीय बाज़ार हों,तब क्रिप्टोकरेंसी जैसी  नीतियां विकास का इंजन नहीं बनतीं। पाकिस्तान के संदर्भ में यह स्पष्ट है कि क्रिप्टो न तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और न ही देश को आर्थिक स्थिरता देगा। यह अधिकतर एक शहरी-अभिजात्य और सत्ता-संरक्षण परियोजना बनकर ही रह जाएगी,जिसका बोझ अंततः ग्रामीण और गरीब जनता पर पड़ेगा। ट्रम्प-युग की अनियंत्रित पूंजी,क्रिप्टो और सट्टा अर्थव्यवस्था में असली उत्पादन की जगह वित्तीय जुगाड़ को समाधान समझा जा रहा है। क्रिप्टो को विकास का विकल्प बताना दरअसल यह स्वीकार करना है कि राज्य के पास संरचनात्मक सुधार की क्षमता ही नहीं बची।

जाहिर है पाकिस्तान में क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देना सुधार की नीति कम और सत्ता-संरक्षण की रणनीति अधिक दिखता है। इससे न तो आम जनता का जीवन सुधरेगा और न ही देश आर्थिक स्थिरता की ओर बढ़ेगा। वास्तविक लाभ केवल उन्हीं को मिलेगा जिनके पास पहले से शक्ति,सूचना और संसाधन मौजूद हैं,जबकि जोखिम का बोझ एक बार फिर आम नागरिकों पर ही पड़ेगा।

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video