#हस्तक्षेप
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यूरोप में विविधता,असमानता और नस्लीय प्रतिनिधित्व पर खुली बहस

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप      चुनिंदा लोगों को चुनने की प्रक्रिया एक असमानता-जनक मॉडल बन जाती है, जो सामाजिक और राजनीतिक एकता को बाधित करती है तथा संकीर्णता और हिंसा को बढ़ावा देती है। इसलिए कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने कर्मचारियों की नस्लीय और जातीय विविधता के आंकड़े सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करती हैं। यूरोप एक ऐसा […]

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वैश्विक व्यवस्थाओं में वक्फ

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप   तेरहवीं शताब्दी में एक विद्वान हुआ करते थे मार्को लोम्बार्डो।  उन्होंने धर्म और राजनीति के संबंधों पर एक दिलचस्प बात कहीं थी,जो अब भी कहावतों में सुनाई पड़ती है।  मार्को लोम्बार्डो ने कहा था,रोम में दो सूर्य हुआ करते थे,एक दुनिया का मार्ग दिखाता था और दूसरा ईश्वर का मार्ग।  लेकिन समय […]

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सकते में सर्वसत्तावाद

 राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप  जब सरकार,विरोधी आवाज़ों को दबाती है तो यह अधिनायकवाद की ओर एक कदम होता है। दुनिया के कई देशों में ऐसी अधिनायकवादी और सर्व सत्तावादी सरकारों को व्यापक जनविरोध का सामना करना पड़ रहा है जिन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता में आने के बाद भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित […]

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यूरोप का भविष्य

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप बहुपक्षवाद पर आधारित अंतराष्ट्रीय व्यवस्था को अपनाकर खुशहाल समाज का यूरोप का संदेश ट्रम्प की राष्ट्रवादी सनक के आगे धराशायी होने की कगार पर है। यूरोप की सीमाएं बहुत हद तक काल्पनिक है और यूरोपियनों ने शक्ति को पूर्वानुमान से प्रस्तुत करने का जोखिम बार बार उठाया है। अब ट्रम्प ने जब यूरोप […]

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सांस्कृतिक कूटनीति से मजबूत रणनीतिक और आर्थिक संबंधों के संदेश

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप  लिथुआनिया यूरोप महाद्वीप के उत्तरी भाग में बाल्टिक सागर के किनारे स्थित एक देश है। यह तीन बाल्टिक देशों में से सबसे बड़ा है। भारत पूर्वी यूरोप में महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्रों के प्रवेश द्वार के रूप में लिथुआनिया की रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाने की कूटनीतिक कोशिशें लगातार कर रहा है। भक्ति और […]

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भारत को रूस की है जरूरत

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप   शक्ति संतुलन की व्यवस्था अस्थाई और अस्थिर होती है,वैश्विक राजनीति में शक्ति संतुलन को शांति और स्थिरता बनाये रखने का एक साधन माना जाता है। ट्रम्प के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी अविश्वसनीय वैदेशिक नीतियां भारत की चुनौतियां बढ़ा रही है। भारत अपनी भू-रणनीतिक स्थिति के कारण किसी एक महाशक्ति […]

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गुप्त कूटनीति पर आगे बढ़ने की जरूरत

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप   भारत ने चार यूरोपीय देशों के साथ पिछले साल मार्च में एक मुक्त व्यापार समझौता किया था,उस दौरान  स्विट्ज़रलैंड के अर्थव्यवस्था मंत्री गाइ पार्मेलिन ने कहा था कि भारत व्यापार और निवेश के लिए अपार अवसर देने वाला देश है। यह भी दिलचस्प है कि 1990 के दशक में ही भारत ने […]

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जमीनी पत्रकारों,सामाजिक कार्यकर्ताओं और खेतिहर किसान की भूमिका विश्वविद्यालयों में क्यों नहीं.. 

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षक कौन और कैसे होना चाहिए,यह विचार ज्ञान की वृहत दृष्टि से संबंधित होता है और इसके भिन्न भिन्न लेकिन उत्कृष्ट पैमाने रहे है। एक अच्छे शिक्षक के लाभ न केवल छात्रों के लिएबल्कि पूरे समाज और शिक्षा प्रणाली के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। अच्छे शिक्षक छात्रों के […]

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  उज्जैन सिंहस्थ 2028-सबसे बड़े धार्मिंक समागम की जोरदार तैयारी

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप भारत की पहचान आध्यात्म,धर्म और संस्कृति है तथा उज्जैन का इसमें विशिष्ट स्थान है। महान सांस्कृतिक परम्पराओं के साथ-साथ उज्जैन की गणना पवित्र सप्तपुरियों में की जाती है। यहां स्थित महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।  सिंहस्थ कुम्भ उज्जैन का महान धार्मिक पर्व है। बारह वर्ष के बाद,जब सूर्य […]

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आशंकित भारत की वैदेशिक नीति में बदलाव की दरकार  

हस्तक्षेप,राष्ट्रीय सहारा  अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर कहा करते थे कि दोस्त बदले जा सकते हैं मगर पड़ोसी नहीं। वाजपेयी की कूटनीति सीधी और स्पष्ट  रही और पड़ोसी देशों को लेकर उनमें शक्ति,सामरिक दृष्टिकोण और संवाद की गहरी समझ शामिल थी। वाजपेयी देश की आंतरिक राजनीति की छाया में वैदेशिक नीति को प्रभावित न होने देने […]

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