ईरान और चीन के अवैध व्यापार का खुफिया समुद्री मार्ग
article

ईरान और चीन के अवैध व्यापार का खुफिया समुद्री मार्ग

नवभारत टाइम्स
वैश्विक व्यापार को संचालित करने में जल क्षेत्र की बड़ी भूमिका है,अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग उद्योग के जरिए लगभग 90 फीसदी परिवहन होता है। दुनिया भर में फैले समुद्री मार्गों का संचालन अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत किया जाता है लेकिन अब चीन ने खुफिया रास्ते ढूंढकर दुनिया के सामने चुनौतियां बढ़ा दी है। ईरान वर्तमान में वैश्विक वित्तीय और बैंकिंग प्रणाली स्विफ्ट से नहीं जुड़ा है और ईरान के साथ किसी भी देश के द्वारा कोई भी लेनदेन करना आसान नहीं है। परमाणु हथियारों के निर्माण की कोशिशों के आरोपों के चलते करीब एक दशक पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान पर कठोर प्रतिबंध लगाए थे जिसने इसकी पूरी वित्तीय प्रणाली को ब्लैकलिस्ट कर दिया था।

वहीं चीन अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को धता बताते हुए बेहद गुपचुप तरीके से समुद्र के जरिए ईरान से अरबों का व्यापार कर रहा है। जिसके कारण तमाम वैश्विक प्रतिबंधों के बाद भी ईरान आर्थिक और सामरिक रूप से मजबूत बना हुआ है। ईरान ने चीन के साथ दीर्घकालिक स्तर पर आर्थिक,आधरभूत संरचना के निर्माण और सुरक्षा के मुद्दों पर सहयोग करके ख़ुद को मजबूत बनाएं रखा है जिससे वह अमरीका के प्रतिबंधों के प्रभावों को कम कर सके। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई  साफ तौर पर यह कह चूके है कि इस्लामिक रिपब्लिक प्रतिबंधों के बीच चीन के सहयोग को कभी नहीं भूलेगा। चीन बड़ी चालाकी से  ईरान के साथ अपने रणनीतिक समझौते को आगे बढ़ा रहा है। उसने वैश्विक प्रतिबंधों के सम्मान की बात कहते हुए समुद्र में संचार के ऐसे खुफियां रास्ते तलाश लिए है जहां से दोनों देशों के बीच खूब व्यापार हो रहा है। चीन की समुद्री सड़क पश्चिमी शिनजियांग से फारस की खाड़ी तक फैली हुई है। ईरान 2021 से अपने सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक और सैन्य बंदरगाह बंदर अब्बास में एक चीनी वाणिज्य दूतावास खोलने की घोषणा  कर चूका है। होर्मुज जलडमरूमध्य  फारस की खाड़ी से अरब सागर तक एकमात्र समुद्री मार्ग है और दुनिया में रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण चोक पॉइंट में से एक है। वैश्विक तेल आपूर्ति का बीस फीसदी इसी जलडमरूमध्य से होकर जाता है,जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। दुनिया ईरान पर नजर रखने के लिए होर्मुज जलडमरूमध्य में उसकी गतिविधियों पर नजर रखती है। भारत होर्मुज जलडमरूमध्य और मलक्का जलडमरूमध्य के बीच लगभग आधे रास्ते पर स्थित है।

चीन और ईरान ने अपने व्यापारिक हितों की पूर्ति के लिए दुनिया को धोखा देने से परहेज नहीं किया है। इन दोनों देशों ने सूचनाओं का पता लगाने वाले अत्याधुनिक टोही विमानों और उपकरणों  के जाल  के प्रभाव से दूर समुद्री डाकुओं से परेशान उस समुदी रास्ते को चुना जहां के बारे में कोई सोच नहीं सकता।
ईरान और चीन का व्यापारिक और खुफिया समुद्री रास्ता दक्षिण पूर्व एशिया के अंतर्गत आता है और इस क्षेत्र के कई देश चीन की दादागिरी से परेशान रहे है। दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ देश चीन की कर्ज नीति में फंसकर अपनी वैश्विक जवाबदेही से भी बचने लगे है। चीन के मददगार इन प्रमुख देशों में मलेशिया,सिंगापूर और इंडोनेशिया का नाम सामने आ रहा है। सिंगापुर और मलेशिया के पूरब में एक क्षेत्र है,जो ऐतिहासिक रूप से हमेशा एक ऐसा स्थान रहा है जहां बहुत सारे टैंकर आते हैं और अपने माल को एक दूसरे तक स्थानांतरित करते हैं। चीन इसी मार्ग के जरिए ईरान से व्यापार कर रहा है।  मलक्का और सिंगापुर जलडमरूमध्य दुनिया के दो सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण जलमार्ग हैं।  ये हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर को जोड़ते हैं,जिससे वे दक्षिण पूर्व एशिया और उससे आगे के देशों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग बन जाते हैं। मलक्का जलडमरूमध्य,जो मलय प्रायद्वीप को इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप से अलग करता है। ईरान के कुल एक्सपोर्ट की 80 फीसदी हिस्सेदारी चीन में जाती है। चीन ईरान से 15 लाख बैरल तेल हर दिन खरीद रहा है।

मलक्का और सिंगापुर जलडमरूमध्य में समुद्री डकैती की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। मलक्का और सिंगापुर जलडमरूमध्य में समुद्री डकैती की घटनाओं की बढ़ती प्रवृत्ति का एक कारण इस क्षेत्र में वस्तुओं और वस्तुओं की बढ़ती मांग है। जलमार्गों से यात्रा करने वाले अधिक जहाजों के साथ,समुद्री डाकुओं को इन जहाजों को उनके कीमती सामान के लिए निशाना बनाने का अवसर मिलता है। इसके अतिरिक्त,इस क्षेत्र में द्वीपों और जलमार्गों का विशाल और जटिल नेटवर्क समुद्री डाकुओं के लिए छिपने के कई स्थान प्रदान करता है,जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए उनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। जलमार्गों पर अधिकार क्षेत्र रखने वाले इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर की सरकारें गश्त बढ़ाने और समुद्री डाकू गतिविधियों पर खुफिया जानकारी साझा करने के लिए मिलकर काम कर रही हैं लेकिन इन देशों ने चीन और ईरान के बीच होने वाले व्यापार को लेकर चुप्पी साध रखी है। सिंगापुर जलडमरूमध्य और सिंगापुर बंदरगाह व्यस्त जलमार्ग हैं जहां बड़ी संख्या में विभिन्न प्रकार के जहाज पारगमन करते हैं और बंदरगाह पर आवागमन करते हैं। इसलिए सिंगापुर जलडमरूमध्य और सिंगापुर जल में नेविगेशन की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मलक्का जलडमरूमध्य और दक्षिण चीन सागर के बीच फैला चैनल सिंगापुर जलडमरूमध्य  कहलाता है। यह जलडमरूमध्य सिंगापुर द्वीप और इंडोनेशिया के रियाउ द्वीप के बीच स्थित है । इसमें जोहोर जलडमरूमध्य,केपेल हार्बर और कई छोटे द्वीप शामिल हैं। सिंगापुर के बंदरगाह तक गहरे पानी की पहुंच होने के कारण,यह जलडमरूमध्य दुनिया के सबसे व्यस्त वाणिज्यिक मार्गों में से एक है।
चीन और ईरान को समुद्र में खुफियां रास्ता देने वाले देशों में सिंगापूर,इंडोनेशिया,मलेशिया और मालदीव शामिल है।  ईरान और चीन के व्यापारिक जहाज मालदीव होते हुए पूर्व की और  बढ़ते है तथा  इंडोनेशिया के सुमात्रा और जोहोर जलसन्धि  से होते हुए सिंगापूर के बाद आसानी से दक्षिण चीन सागर पहुंच जाते है। जोहोर जलडमरूमध्य सिंगापुर और प्रायद्वीपीय मलेशिया के बीच दक्षिण पूर्व एशिया में एक अंतरराष्ट्रीय जलडमरूमध्य है। यह जलडमरूमध्य उत्तर में मुख्य भूमि मलय प्रायद्वीप पर मलेशियाई राज्य जोहोर को सिंगापुर और दक्षिण में उसके द्वीपों से अलग करता है। यह पश्चिम में मलक्का जलडमरूमध्य और दक्षिण पूर्व में सिंगापुर जलडमरूमध्य से जुड़ता है। अब इस क्षेत्र में चीन के लिए  हांगकांग सुरक्षित व्यापारिक केंद्र बन गया है। आने वाले समय में मकाउ भी बड़ा व्यापारिक केंद्र बन सकता है।  
सिंगापुर अच्छे बंदरगाह के साथ,यूरोप और चीन के बीच नौकायन करने वाले जहाजों का केंद्र है। यह दक्षिण पूर्व एशिया को एक एंट्रेपॉट या ब्रेक ऑफ बल्क पॉइंट के रूप में कार्य करता है। जहां सामान बड़े जहाजों से उतार दिया जाता है और दक्षिण पूर्व एशियाई समुदाय में वितरण के लिए छोटे जहाजों में ले जाया जाता है। मलेशिया हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में प्रमुख शिपिंग लेन के चौराहे पर स्थित है। इससे इसके बंदरगाहों को एशिया,यूरोप और मध्य पूर्व के बाजारों तक आसान पहुंच मिलती है। पोर्ट क्लैंग मलेशिया का सबसे बड़ा बंदरगाह और दुनिया के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक है। यह सेलांगोर राज्य में मलक्का जलडमरूमध्य पर स्थित है,जो दुनिया के सबसे व्यस्त शिपिंग लेन में से एक है। मलेशिया आसियान में चीन का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और आयात का सबसे बड़ा स्रोत है। चीन  कई वर्षों से मलेशिया का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना हुआ है और लगातार कई वर्षों से मलेशिया के निवेश का मुख्य स्रोत रहा है। मलेशिया में कई चीनी बेल्ट और रोड पहल की कई परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं ।
चीन इंडोनेशिया के समृद्ध संसाधनों का दोहन करके उसका सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया। चीन इंडोनेशिया के प्रमुख प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में शीर्ष पर बना हुआ है,जो देश के सबसे बड़े निर्यात और आयात बाजार के रूप में कार्यरत है। इंडोनेशिया में  सत्रह हजार से अधिक द्वीप हैं,जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा द्वीपसमूह बनाता है, और दो सबसे महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्ग इसके जल क्षेत्र से होकर गुजरते हैं । जबकि इसका अधिकांश घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी समुद्री मार्गों के माध्यम से होता है। दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे बड़े देश के रूप में, इंडोनेशिया वैश्विक व्यापार के केंद्र में है।

भारत,पूर्व एशिया के फिलीपींस,मलेशिया और वियतनाम के साथ सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है। दक्षिण चीन सागर में इन देशों का चीन से सीमा विवाद है। वहीं चीन दक्षिण पूर्व एशिया के देशों से प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों का फायदा उठाने की रणनीति पर लगातार काम कर रहा है। दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित मलय प्रायद्वीप के अंतर्गत आने वाले और अलग अलग देशों में रहने वाले चीनी मूल के लोग भी चीन की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाने में अभूतपूर्व योगदान दे रहे है। मलय प्रायद्वीप में  म्यांमार,मलेशिया,सिंगापुर एवं थाईलैंड आते हैं। हिंद महासागर और चीन सागर के बीच जंक्शन पर स्थित,मलय प्रायद्वीप ने पूर्व और पश्चिम के बीच व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके समृद्ध इतिहास के कारण ही चीनी इसे सिल्क रोड़ से जोड़ते रहे है। इसके साथ ही चीन सहायता की कूटनीति  और दक्षिण चीन सागर में सामरिक दबाव के बूते दक्षिण पूर्व एशिया के समुद्री मार्गों को आधिपत्य में ले रहा है। दक्षिण पूर्व एशिया पश्चिम में हिंद महासागर और पूर्व में प्रशांत महासागर के बीच स्थित है। कई द्वीपों और प्रायद्वीपों की सीमा पर विभिन्न समुद्र,जलडमरूमध्य और  खाड़ी क्षेत्र हैं जो क्षेत्र की जटिल समुद्री  सीमाएं बनाने में मदद  करते हैं।
समुद्र आर्थिक समृद्धि का एक महत्वपूर्ण माध्यम रहा है। जलमार्गों का उपयोग व्यापार के माध्यम के रूप में किया गया है और इसने समुद्री उद्यम के विकास को गति प्रदान की है। लेकिन चीन अपनी आर्थिक और सामरिक रणनीति के चलते  संचार की समुद्री लाइनों को प्रभावित कर रहा है,ड्रैगन की यह नीति वैश्विक व्यापार और सुरक्षा को बाधित करने वाली है।

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video
X