जल रहा है सीरिया
article

जल रहा है सीरिया

राष्ट्रीय सहारा

 राजनीतिक अस्थिरता,धार्मिक हिंसा,चरमपंथ,आतंकवाद और विदेशी हस्तक्षेप सीरिया की मुख्य समस्या रही है और ऐसा लगता है की असद के पतन के बाद भी मध्यपूर्व  के इस देश में शांति लौटती हुई दिखाई नहीं दे रही है। असद के समर्थकों को मोहम्मद अल-जुलानी पर भरोसा नहीं है और उनकी आशंका सच भी साबित हुई है। अल्पसंख्यक अलावी समुदाय के हजारों लोगों को मार दिया गया है। ऐसे तथ्य सामने आयें है कि हयात तहरीर अल-शाम के सुरक्षा बलों को पूर्व राष्ट्रपति असद के समर्थकों से लड़ने के लिए भेजा गया है। सीरियाई सुरक्षा बलों द्वारा सीरियाई तट के गांवों और इलाक़े के लोगों की हत्या,कब्जा और यातना  के कई वीडियों सामने आ रहे है जिसकी अंतराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता जताई जा रही है। सीरिया की अंतरिम सरकार ने देश के तटीय इलाक़े लताकिया और टार्टस में बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया है। लताकिया में अलावाइट्स,सुन्नी मुस्लिम और  ईसाई  जैसे जातीय और धार्मिक समूह रहते है। लाताकिया सीरिया का अलावाइट बहुल क्षेत्र है और  यहां अलावाइट समुदाय का यहां विशेष प्रभाव है। टार्टस सीरिया के पश्चिमी तट पर स्थित है और यहां अलावाइट समुदाय की अधिकता है। यह इलाका बशर अल-असद का एक प्रमुख गढ़ माना जाता है।   देश के तटीय इलाकों में अलावी और ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय पर सुरक्षा बलों के हमलें का असर देश के दूसरे कई इलाकों पर पड़ रहा है और इससे तनाव गहरा गया है। 

मोहम्मद अल-जुलानी देश में बाहरी हस्तक्षेप रोकने की बात कह  रहे थे लेकिन उनके कदम ठीक इससे  उलट दिखाई दे रहे है। सीरिया की सरकार ने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने और पेशेवर सेना तैयार करने के लिए देश के सशस्त्र बलों में उइगर,जॉर्डनियन और तुर्क सहित कुछ विदेशी लड़ाकों को प्रमुख जिम्मेदारियां सौंपी है। उनका यह कदम  अन्य जातीय-धार्मिक समूहों के लिए विचलित करने वाला है।  जुलानी का आईएस से गहरा संबंध रहा है और दुनिया के इस सबसे दुर्दांत आतंकी संगठन का किसी देश में सीमा पर कोई विश्वास नहीं है,आईएस को विदेशी लड़ाकों की सुस्थापित सैन्य इकाई माना जाता है।  जुलानी ने  आईएस से अलग होकर ही हयात तहरीर अल-शाम नामक गुट बनाया था और वे खुद को उदार नेता के रूप में प्रस्तुत कर सीरिया के कई जातीय समूहों का विश्वास जीतने में सफल भी हो सके।  लेकिन अब जब देश की कमान उनके हाथ में आई तो उन्हें लेकर आशंकाएं भी कम नहीं है। एचटीएस की स्थापना 2011 में एक अलग नाम,जबात अल-नुसरा के तहत अल-कायदा के प्रत्यक्ष सहयोगी के रूप में की गई थी। स्वयंभू इस्लामिक स्टेट का नेता अबू बक्र अल-बगदादी भी इसके गठन में शामिल था। अल-जुलानी ने सार्वजनिक रूप से अल कायदा और इस्लामिक स्टेट से नाता तोड़ लिया है लेकिन वे सुन्नी मुसलमान है जो खलीफ़ाओं के प्रभुत्व को स्वीकार करते हैं। ख़लीफ़ा अरबी भाषा में ऐसे शासक को कहते हैं जो किसी इस्लामी राज्य या अन्य शरिया से चलने वाली राजकीय व्यवस्था का शासक हो। यह इस्लाम की पारम्परिक और प्राचीन विचारधारा है,जिस पर बहुसंख्यक सुन्नी भरोसा करते है। दुनिया में आईएस के उभार के केंद्र में इस विचारधारा को रखा गया जब एक दशक पहले इस्लामी चरमपंथी संगठन आईएस ने इराक़ और सीरिया में अपने कब्ज़े वाले इलाक़े में ख़िलाफ़त यानी इस्लामी राज्य का ऐलान किया। शिया मुसलमान इतिहास की इस व्याख्या को स्वीकार नहीं करते।

असद के जाने के बाद शिया गहरे दबाव में है।  अलावी,इस्माइलिस और अन्य शिया सीरिया की आबादी का करीब तेरह  फीसदी हिस्सा हैं। बशर अल-असद सरकार के  पतन से पहले उनकी शासन व्यवस्था में सकारात्मक स्थिति मौजूद थी। हयात अल-शाम को सुन्नियों का संगठन माना जाता है,यदि इस विद्रोही संगठन ने शियाओं को निशाना बनाने की कोशिश की तो सीरिया में ईरान और तुर्की के हित भी टकराएंगे। सीरिया में तुर्की ईरान की जगह ले सकता है।

सीरिया की  बाईस  मिलियन आबादी में से दसवां हिस्सा ईसाईयों का है। रूस खुद को बीजान्टिन साम्राज्य और उसके रूढ़िवादी ईसाई धार्मिक विरासत के प्राकृतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखता है,जो सीरियाई रूढ़िवादी ईसाई चर्च से बहुत जुड़ा हुआ है। वहीं अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए भी रूस सीरिया में बना रहना चाहता है जिससे उसकी  वह पूर्वी भूमध्य सागर,दक्षिणी यूरोप और उत्तरी अफ्रीका तक अपनी मौजूदगी को बढ़ा सकें। भूमध्य सागर में रूस की रणनीति तीन प्रमुख लक्ष्यों पर केंद्रित है,भूमध्य सागर की भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाकर रूस की सुरक्षा में सुधार करना,भूमध्य सागर में रूस की स्थिति का उपयोग करके संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक वैकल्पिक विश्व शक्ति के रूप में रूस की स्थिति को बढ़ाना और सीरियाई में अपनी उपस्थिति को मजबूत करना। रूस का काला सागर बेड़े के लिए एकमात्र भूमध्यसागरीय नौसैनिक अड्डा सीरिया के बंदरगाह शहर टार्टस में स्थित है। टार्टस सीरिया के पश्चिमी तट पर स्थित है और यहां अलावाइट समुदाय की अधिकता है। अब अलावी समुदाय के लोग रूस से सुरक्षा की गुहार लगा रहे है। सीरिया में में रूस,तुर्की,ईरान,सऊदी अरब और अमेरिका का गहरा दखल है। तुर्की सीरिया की वर्तमान सुन्नी सरकार को समर्थन देकर कुर्दों पर दबाव बढ़ा रहा है। सीरिया में तुर्की की प्राथमिक रुचि उत्तरी सीरिया में कुर्द समूहों से लड़ने के लिए एक बफर जोन और एक पुलहेड बनाने की रही है।  उत्तरी सीरिया के कुर्द बल में कुर्दिश पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स मिलीशिया का दबदबा है।   तुर्की इसे अपनी सीमा पर मौजूद ख़तरे की तरह देखता है।  तुर्की कुर्दों के एक हिस्से को आतंकवादी समूह बताता है।  असद को ईरान का समर्थन हासिल था लेकिन अब तुर्की समर्थक सरकार बनने से मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक परिदृश्य बदल  गया है।  मोहम्मद अल-जुलानी को अपने देश में शांति की स्थापना के लिए विदेशी हस्तक्षेप को रोकना होगा और सभी वर्गों से बातचीत कर सर्वमान्य सरकार बनाना होगा। फ़िलहाल जुलानी आर्दोआन के हितों को आगे बढ़ा रहे है और यह स्थिति सीरिया में गृहयुद्द की आशंका को बढ़ा रही है।    

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video
X