नक्सली क्षेत्र में सीआरपीएफ का तिरंगा महोत्सव
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नक्सली क्षेत्र में सीआरपीएफ का तिरंगा महोत्सव

सुकमा के घोर नक्सली क्षेत्र में सीआरपीएफ के जांबाजों का हर घर तिरंगा महोत्सव 

छत्तीसगढ़ के सुकमा के जंगलों में नक्सल सरकार और जनता का दरबार की कहानियां तो आपने बहुत सुनी होगी लेकिन हम आपको जो बता रहे है वह सबको हैरान कर देगा। दरअसल हम आपको बताने जा रहे है सीआरपीएफ की 227 वीं बटालियन के बारे में जो सुकमा के अति संवेदनशील इलाकों में तकरीबन ग्यारह सालों से तैनात है। इस दौरान इस बटालियन के एक भी जवान का बाल भी बांका नहीं कर पाए नक्सली। वहीं इस बटालियन के जांबाजों ने कई  नक्सलियों को मार गिराया । नक्सली प्रभाव से ग्रस्त और अतिसंवेदनशील माने जाने  वाली दरभा घाटी,झीरम घाटी,तोंगपाल,कोयला भट्टी और सुदूरवर्ती कुमा कोलेंग में सीआरपीएफ की 227 वीं बटालियन तैनात है।

इनकी आंखों में देश भक्ति का गजब का जूनून है,कभी नक्सली हमलों से थर्राने वाला सुकमा का यह क्षेत्र अब खुशियों से रोशन है। आज़ादी का जश्न इस इलाके में खूब मनाया जा रहा है। सीआरपीएफ की 227 बटालियन  के जांबाज़ हर घर तिरंगा का जश्न मनाने घोर नक्सली इलाकें में निकल पड़े है। राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर स्थित तोंगपाल में बाज़ार रोशन है। कन्या और बालक हॉस्टल समेत तेंदुपत्ता की मंडी भी लगती है। 227 का एक बेस कैम्प कोयला भट्टी में भी है। इसके पूर्व में नजदीक की चंदामेटा की पहाड़िया है जो नक्सलियों की शरण स्थली मानी  जाती थी। इसके पास ही कटे कल्याण की पहाड़ियां है,जहां हिडमा समेत कई नक्सली कभी छुपे रहते थे।

झीरम घाटी में 25 मई 2013 को नक्सलियों ने सलवा जुडूम के संस्थापक महेंद्र कर्मा,पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ल,कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं समेत 27 लोगों की हत्या कर दी थी इस वीभत्स घटना के बाद सीआरपीएफ की बटालियन 227 को यहां भेजा गया था।

 22 अप्रैल 2013 को भोपाल में स्थापित इस बटालियन ने सुकमा में साल 2014 के अंतिम महीने से काम करना शुरू किया.जब से यह बटालियन इस इलाके में तैनात हुई है,नक्सलियों पर इसका ऐसा खौफ है कि नक्सली पिछले आठ सालों में बटालियन के एक भी जवान पर एक भी हमला करने में न तो कामयाब हो पाए है और न ही बटालियन  ने उन्हें ऐसा कोई अवसर दिया है। यह ऐसे इलाके है जहां हर समय नक्सली हमले का खौफ बना रहता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने जिन 405 कुख्यात नक्सलियों की पहचान की है,उसमे से अधिकांश इन्हीं इलाकों में प्रभावशील माने जाते है. इन नक्सलियों पर 5 हजार से लेकर 25 लाख तक के इनाम घोषित किए गए है। तोंग्पाल में 227 बटालियन का हेड क्वाटर्र है। कुछ सालों पहले तक तोंगपाल में नक्सलियों के झंडे लगे होते थे और नक्सली खुलेआम घूमते थे। लेकिन अब यहां हर गुरुवार को बाज़ार हाट लगता है. स्कूल और कालेज खुल गए है।

227 का एक बेस कैम्प सुकमा के सुदूरवर्ती इलाके कुमा कोलेंग में है जिसके दक्षिण पश्चिम दिशा में उड़ीसा के नक्सल प्रभावित मलकानगिरी की  कुख्यात पहाड़ियां है। इन इलाकों में नक्सल की कुख्यात बस्तर डिविजन प्रभावशील रही है। मलकानगिरी के कलेक्टर आर वी कृष्णा और सुकमा जिले के कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन का अपहरण  इन्हीं इलाकों में नक्सलियों ने किया था।

राष्ट्रीय राजमार्ग 30 की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस बटालियन के पास है। जब से इस बटालियन को यहां तैनात किया गया है, कोई भी नक्सली हमला कामयाब नहीं हो सका है। बटालियन ने कई दुर्गम और खतरनाक नक्सली प्रभाव वाले इलाकों में रोड निर्माण में सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई। यह समूचा इलाका बिजली की सुविधा से महरूम था लेकिन अब यह रोशन हो गया है। बटालियन इस क्षेत्र के बच्चों को पुलिस और सेना में भर्ती होने के लिए जरूरी प्रशिक्षण सुविधा भी उपलब्ध करा रही है,इसके परिणाम सामने आ रहे है और नक्सली इससे परेशान है।

इस बार द्वारा 78वां स्वतंत्रता दिवस पर  हर घर तिरंगा महोत्सव का जश्न  227 वाहिनी के कमान्डेंट मनीष कुमार भारती की अध्यक्षता में पूरे जोश खरोश से मनाया गया। जिसमें द्वितीय कमान अधिकारी संजीव सिंह और नवीन कुमार यादव,उप कमान्डेंट बृज मोहन राठौर,वाहिनी के समस्त अधीनस्थ अधिकारी और जवान सम्मिलित हुए। तिरंगा हाथों में निकले ये जांबाज़ सुकमा के इस नक्सली इलाके की सडकों और पगडंडियों पर बेखौफ निकल पड़े और नक्सलियों को यह सन्देश दिया की देश की आन बान और शान से खिलवाड़ करने वालों की खैर नहीं,यदि किसी ने आँख उठाकर देखा भी तो उसे खत्म कर देंगे।

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