युद्धविराम की युद्धनीति
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युद्धविराम की युद्धनीति

राष्ट्रीय सहारा

युद्ध विराम को लेकर यह माना जाता है कि यह शत्रुता को कम करने का प्रयास होता है तथा इससे युद्ध के स्थायी समाधान की तरफ़ बढ़ने का संकेत होता,हालांकि इससे युद्ध की स्थिति खत्म नहीं हो जाती। और फिर जब युद्द विराम इस्राइल और उसके प्रतिद्वंदी देशों के बीच हो तो आशंकाएं बरकरार रहती है।

दरअसल  इसराइल और ईरान समर्थित हथियारबंद समूह हिज़्बुल्लाह के बीच एक युद्धविराम समझौता हुआ है। अमेरिका,फ़्रांस,संयुक्त राष्ट्र,लेबनान और इसराइल मिलकर ब्लू लाइन के उस समझौते को लागू करने जा रहा है जिसे मध्यपूर्व में शांति स्थापना की  उम्मीदों के तौर पर देखा जा रहा है।इस समझौते कि शर्तों के अनुसार साठ दिनों में हिज़्बुल्लाह अपने लड़ाकों और हथियारों को ब्लू लाइन के बीच से हटा लेगा। इजरायल और लेबनान के बीच एक सीमांकन रेखा है जिसे ब्लू लाइन कहा जाता है,संयुक्त राष्ट्र द्वारा करीब ढाई दशक पहले खींची गई यह रेखा कोई आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय सीमा नहीं बल्कि एक सीमांकन रेखा है।जिसे 1920 के दशक में ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा लेबनान,सीरिया और फिलिस्तीन के बीच स्थापित किया गया था। बाद में इस्राइल के लिए यह बेहद खास बन गई। ब्लू लाइन दक्षिण लेबनान में है और यह इलाका इजरायल पर हमलों के लिए बेस कैंप की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इस क्षेत्र में हिज़्बुल्लाह बहुत मजबूत है। यह शिया बाहुल्य क्षेत्र है और ईरान इसका इस्तेमाल इस्राइल पर दबाव बनाने के लिए करता रहा है। 2010 में,ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने दक्षिणी लेबनान का दौरा किया था। इज़राइल और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों ने इस यात्रा की निंदा करते हुए इसे  युद्द भड़काने की कोशिश बताया गया था। अहमदीनेजाद का स्वागत लेबनान में ईरान के शिया मुस्लिम सहयोगी हिजबुल्लाह के हजारों समर्थकों ने किया था,जिसे दक्षिण अमेरिका,यूरोपीय संघ,अरब लीग,संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल द्वारा आंशिक या पूर्ण रूप से आतंकवादी संगठन करार दिया गया है।

हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच चल रही जंग की वजह से दक्षिणी लेबनान से बड़ी संख्या में लोग अपनी जान बचाने के लिए उत्तरी लेबनान चले गए थे।वहीं संघर्ष विराम की घोषणा होने के बाद अब लोगों को शांति की उम्मीद है और उन्होंने वापस दक्षिणी लेबनान में स्थित अपने घरों की ओर लौटना शुरू कर दिया है।सामान से लदे कारों में सवार लोग दक्षिणी लेबनान की ओर वापस लौट रहे हैं।इस क़दम से इसराइल की उत्तरी सरहद में रहने वाले 60 हज़ार से ज़्यादा इसराइली नागरिकों की घर वापसी का रास्ता खुल  गया है।ये लोग जंग शुरू होने के बाद से सरहदी इलाक़े के अपने घरों में नहीं लौट सके हैं।यह समझौता गाजा पट्टी में चल रहे युद्ध पर लागू नहीं है जहां इजरायल अभी भी अक्टूबर 2023 में दक्षिणी इजरायल में समूह के सीमा पार छापे के जवाब में हमास आतंकवादियों से लड़ रहा है। इस समय हिज़्बुल्लाह गहरे दबाव में है उसके कम्युनिकेशन नेटवर्क पर हमला करने से इसराइल की रणनीतिक तौर पर जीत हुई है। इजरायल युद्ध में बड़ी जीत का दावा कर सकता है,जिसमें हिजबुल्लाह के शीर्ष नेता हसन नसरल्लाह और उसके अधिकांश वरिष्ठ कमांडरों की हत्या के साथ साथ ही व्यापक आतंकवादी ढांचे का विनाश शामिल है।इजराइल  ने साफ किया है कि यदि हिजबुल्लाह समझौते की शर्तों का उल्लंघन करता है तो वह उस पर हमला करने का अधिकार रखता है।अब लेबनान की सेना दक्षिण में  पांच हज़ार सैनिकों को तैनात करेगी।हिज़्बुल्लाह एक प्रभावशाली शिया मुस्लिम राजनीतिक पार्टी और सशस्त्र समूह है।लेबनान की संसद और सरकार दोनों में इसकी महत्वपूर्ण उपस्थिति है तथा यह देश की सबसे शक्तिशाली सशस्त्र सेना को नियंत्रित करता है।इसे कई वर्षों से ईरान से आर्थिक और सैन्य दोनों तरह से मज़बूत समर्थन प्राप्त है। यह सीरियाई राष्ट्रपति बशर अलअसद का भी एक मज़बूत सहयोगी है। लेबनान की सेना से कहीं अधिक हिज़्बुल्लाह शक्तिशाली है,ऐसे में हिज़्बुल्लाह को नियंत्रित करना उनके लिए आसान नहीं होगा।

हमास ने मिस्र,कतर और तुर्की के मध्यस्थों को सूचित  किया है कि वह  भी युद्ध विराम समझौते और कैदियों की अदला-बदली के लिए गंभीर समझौते के लिए तैयार है। जाहिर है ग़ज़ा  भी सीज़फ़ायर क़रीब है। मगर अब हालात फिर वैसे हो गए हैं कि जहां से चीज़ों को बेहतर कर पाना मुश्किल नज़र आता है।  हमास ग़ज़ा पट्टी से हमेशा के लिए इसराइल को बाहर निकालना चाहते हैं,साथ ही इसराइली बंधकों को छोड़े जाने के बदले वो फ़लस्तीनी क़ैदियों की रिहाई चाहते हैं।दूसरी तरफ़ इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू हमास पर जीत हासिल करने के लिए संकल्पित है।

इजराइल ने हिज़्बुल्लाह से  युद्द विराम समझौता कर खुद की सेना को एक बार फिर व्यवस्थित होने का अवसर दिया है। 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद हमास ने 254 इजराइलियों को बंधक बनाया था। पहले चरण की बातचीत के बाद 154 इजराइली बंधक को रिहा हो चुके हैं। लेकिन 100 लोग अभी भी हमास की कैद में हैं। वहीं ईरान को लेकर भी इजराइल किसी ठोस योजना पर काम करना चाहता है। इजराइल यह भी सुनिश्चित कर रहा है की हिज़्बुल्लाह सरहद के पास किसी आधारभूत  ढांचे का निर्माण न करें और न ही रॉकेट लॉन्चर  या टनल ब्लू लाइन के आसपास बनाए।ऐसा लगता है कि हिज़्बुल्लाह अपने संगठन को फिर से मजबूत करने के लिए समय देना चाहता है और बदली हुई वैश्विक परिस्थितियों में ईरान भी इस पर सहमत हुआ है।

युद्ध नीति का उद्देश्य युद्ध में विजय प्राप्त करना और अपनी सैन्य शक्ति का प्रभावी उपयोग करना होता है।इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच युद्द विराम दोनों को राहत दे रहा है लेकिन यह भविष्य के भीषण युद्द की तैयारी के तौर पर भी देखा जाना चाहिए।अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह समझना होगा की जब तक ग़ज़ा में जंग जारी है,तब तक मध्यपूर्व  में हालात बेहतर नहीं होंगे। ठोस कूटनीति के ज़रिए इजराइल फिलीस्तीन समस्या का समाधान निकालने का रास्ता ढूंढना ही होगा।

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