जनसत्ता
सीरिया को एक राष्ट्र के तौर पर बचाएं रखने के लिए देश में एक ऐसी समावेशी सरकार की जरूरत है जो विभिन्न राजनीतिक,भाषाई,जातीय और धार्मिक समूहों में समन्वय स्थापित कर संघर्ष की संभावनाओं को पूरी तरह खत्म कर दे। सीरिया कई जातीय और धार्मिक समूहों का घर है,जिनमें कुर्द,अर्मेनियाई, असीरियन,ईसाई,ड्रुज़,अलावाइट शिया और अरब सुन्नी शामिल हैं,जिनमें से सुन्नी मुस्लिम आबादी का बहुमत है। सीरियाई समाज में बहुलता और मध्यपूर्व में उसकी रणनीतिक स्थिति के कारण अमेरिका,तुर्की,इजराइल,ईरान,रूस,चीन,यूरोप तथा आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट इस देश में अपने प्रभाव को कायम रखना चाहते है। इस जटिल स्थिति से निकलने और अपने देश के व्यापक हितों की रक्षा करना में असद नाकाम रहे थे और अब यह चुनौती सीरिया के सत्ताधारी विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम के सामने भी है। असद सरकार के पतन के बाद सीरिया के सबसे मजबूत विद्रोही समूह के नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी ने सभी के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करने का वादा किया है तथा देश में व्यापक सहमति का भरोसा तो दिलाया है। लेकिन उनके एक कदम ने सीरिया और दुनिया को आशंकित कर दिया है।
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