#राष्ट्रीय सहारा
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खुद की कूटनीति को नकारने का जोखिम….

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप अंतरराष्ट्रीय राजनीति में दो धारी कूटनीति एक अत्यंत व्यावहारिक और प्रभावी उपकरण माना जाता है। विशेषकर तब जब कोई देश अपने हितों को बहुपक्षीय रूप से सुरक्षित करना चाहता है। यह नीति न केवल रणनीतिक लाभ दे सकती है,बल्कि विश्व मंच पर एक देश की स्थिति को भी मजबूत भी कर सकती है। […]

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रणनीतिक निवेश मध्यपूर्व

राष्ट्रीय सहारा  मध्यपूर्व का रणनीतिक और आर्थिक महत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है और यह समूचा क्षेत्र वैश्विक राजनीति,अर्थव्यवस्था और रणनीतिक दृष्टि से बेहद खास माना जाता है। इस क्षेत्र का विशेष महत्व कई पहलुओं से जुड़ा हुआ है,जिनमें भूगोल,ऊर्जा संसाधन,ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक राजनीति में इसकी स्थिति शामिल है।ट्रंप की अपने दूसरे कार्यकाल की पहली बड़ी यात्रा में […]

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यूरोप में विविधता,असमानता और नस्लीय प्रतिनिधित्व पर खुली बहस

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप      चुनिंदा लोगों को चुनने की प्रक्रिया एक असमानता-जनक मॉडल बन जाती है, जो सामाजिक और राजनीतिक एकता को बाधित करती है तथा संकीर्णता और हिंसा को बढ़ावा देती है। इसलिए कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने कर्मचारियों की नस्लीय और जातीय विविधता के आंकड़े सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करती हैं। यूरोप एक ऐसा […]

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भौगोलिक चुनौतियां फिर उजागर

राष्ट्रीय सहारा                                                                एक सक्षम सुरक्षा नीति वही है जो भूगोल की वास्तविकताओं के साथ तालमेल रखे। भारत की भौगोलिक स्थिति उसे सामरिक रूप से […]

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आरक्षण भोगी अभिजात्य वर्ग और अंबेडकर

राष्ट्रीय सहारा डॉ.अंबेडकर भारत के संभवतः सबसे ज्यादा पढ़े लिखे और विशिष्ट अकादमिक डिग्री हासिल करने वाले शख्सियत थे। वे भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भी बन सकते थे,लेकिन यदि उन्हें यह पेशकश की गई होती तो वे इसे शायद ही स्वीकार करते। इस बात की पूरी संभावना है की इससे वे यह कहकर […]

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वैश्विक व्यवस्थाओं में वक्फ

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप   तेरहवीं शताब्दी में एक विद्वान हुआ करते थे मार्को लोम्बार्डो।  उन्होंने धर्म और राजनीति के संबंधों पर एक दिलचस्प बात कहीं थी,जो अब भी कहावतों में सुनाई पड़ती है।  मार्को लोम्बार्डो ने कहा था,रोम में दो सूर्य हुआ करते थे,एक दुनिया का मार्ग दिखाता था और दूसरा ईश्वर का मार्ग।  लेकिन समय […]

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  बिम्सटेक अब सार्क का विकल्प

             राष्ट्रीय सहारा                                      शक्ति संतुलन अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने वाला महत्वपूर्ण राजनीतिक सिद्धांत है,जिसका उद्देश्य विभिन्न देशों या शक्ति समूहों के बीच एक ऐसा संतुलन बनाना है,जिससे कोई भी एक देश या समूह अत्यधिक शक्तिशाली न हो और दूसरे […]

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सकते में सर्वसत्तावाद

 राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप  जब सरकार,विरोधी आवाज़ों को दबाती है तो यह अधिनायकवाद की ओर एक कदम होता है। दुनिया के कई देशों में ऐसी अधिनायकवादी और सर्व सत्तावादी सरकारों को व्यापक जनविरोध का सामना करना पड़ रहा है जिन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता में आने के बाद भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित […]

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मप्र में दक्षिण भारतीय भाषाओं में शिक्षा 

राष्ट्रीय सहारा    मध्य प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा नीति में एक बड़ा बदलाव करते हुए कई दक्षिण भारतीय भाषाओं को राज्य शिक्षा की मुख्य धारा में शामिल कर बेहद सकारात्मक संदेश दिया है। अब राज्य के कॉलेजों में हिंदी,अंग्रेजी,संस्कृत और उर्दू के अलावा,बंगाली,मराठी,तेलुगु,तमिल,गुजराती और पंजाबी जैसी भारतीय भाषाओं में भी शिक्षा दी जाएगी। इस […]

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सैन्य शासन की आशंका 

राष्ट्रीय सहारा  बांग्लादेश में लाखों मजदूर सड़कों पर है। ये मजदूर गारमेंट फैक्ट्रियों के बंद होने से परेशान हैं। जो फैक्ट्रियां चल रही हैं,वहां काम करने वाले मजदूरों को वेतन नहीं मिल रहा है। मजदूरों के लगातार विरोध प्रदर्शन के कारण कई फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं। निवेशक  बांग्लादेश छोड़कर जा रहे है जबकि मजदूर कारखाने को […]

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