क्वाड देशों में अंतर्विरोध    
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 क्वाड देशों में अंतर्विरोध    

जनसत्ता

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा एक मजबूत और स्थायी तंत्र है,जो शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करती है। भारत,अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के हिन्द प्रशांत में गहरे आर्थिक और सामरिक हित है जिन्हें चीन से लगातार चुनौती मिल रही है। क्वाड इन चारों देशों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक रणनीतिक गठबंधन है जिसे आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया है। इस गठबंधन का मुख्य उद्देश्य इंडो पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा, आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करना है। क्वाड शक्ति संतुलन की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है,यह सदस्य देशों के बीच राजनीतिक और सैन्य संबंधों को मजबूत करता है,जो क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने में सहायक है।

 

करीब दो दशक से स्थापित इस समूह के शीर्षस्थ नेतृत्व के बीच पिछले चार पांच वर्षों से नियमित रूप से बैठकें और संवाद की प्रक्रिया तो चल रही है,लेकिन सदस्य देशों भारत,अमेरिका,जापान और ऑस्ट्रेलिया की राजनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताएं अलग अलग होने से,इस समूह के राष्ट्रों के बीच ही अंतर्विरोध देखा जा रहा है।   यही कारण है की क्वाड का प्रभाव न तो सामरिक और कूटनीतिक स्तर पर दिखाई पड़ता है और न ही चीन से निपटने के लिए कोई प्रभावी कार्ययोजना और दीर्घकालिक रणनीति आगे बढ़ सकी है। हाल ही अमेरिका में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन में दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण पर चिंता तो जताई गई लेकिन चीन का उल्लेख करने को लेकर आपसी मतभेद भी दिखाई दिए। वहीं अमेरिका का रुख भारत को आशंकित करने वाला रहा। भारत में खालिस्तानी गतिविधियों को लेकर सुरक्षा चिंताएं रही है और इसकी गंभीरता का एहसास अमेरिका को भी है। इसके बाद भी भारत के प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की यात्रा के ठीक पहले खालिस्तानी समर्थकों के साथ अमेरिकी प्रशासन ने व्हाइट हाउस में एक बैठक की। अमेरिका में कई समूह मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और अमेरिकी प्रशासन इसका इस्तेमाल वैश्विक स्तर पर राजनीतिक दबाव बढ़ाने के लिए करता है। खालिस्तानी आतंकी पन्नू की हत्या की साज़िश को लेकर न्यूयॉर्क की एक अदालत में भारत  के कई लोगों को समन जारी किया था। इस समन में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल,निखिल गुप्ता और पूर्व रॉ प्रमुख सामंत गोयल जैसे शीर्ष अधिकारियों के नाम हैं। अमेरिकी अदालत और बाइडेन प्रशासन के कदम भारत विरोध और भारत के सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्तियों की छवि धूमिल करने तथा भारत की एकता और अखंडता को चुनौती देने के तौर पर देखे जाने चाहिए। पन्नू के पास अमेरिका के साथ कनाडा की भी नागरिकता है,तथा अमेरिका और कनाडा के मजबूत द्विपक्षीय संबंध है। कनाडा की जमीन खालिस्तानियों के लिए सुरक्षित मानी जाती है तथा कनाडा की राजनीति में भी कई पृथकतावादी खालिस्तानी नेता हावी है। ऐसे में अमेरिका का रुख कनाडा समर्थक और भारत विरोधी दिखाई पड़ रहा है।

आमतौर पर यह माना  जाता है कि भारत और अमेरिका के संबंध हाल के वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं। दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास,हथियारों की बिक्री और रक्षा प्रौद्योगिकी का आदान प्रदान हो रहा है। दोनों देश एक दूसरे के लिए महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार हैं तथा कई मुद्दों पर साझा हित भी रखते है। इन सबके बाद भी कई मामलों में अमेरिका  की कूटनीति भारत की परेशानियां बढ़ा रही है। खासकर भारत के पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट में अमेरिका की भूमिका उभरना और इसके बाद अंतरिम सरकार को अमेरिकी आर्थिक मदद से भारत की सुरक्षा चुनौती बढ़ गई है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अमेरिकी सहयोग से उत्साहित है और वह पाकिस्तान से सामरिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की ओर आगे बढ़ रही है। हिन्द महासागर से लगे बांग्लादेश में चीन के बंदरगाह है और भविष्य में चीन,पाकिस्तान और बांग्लादेश का सुरक्षा घेरा भारत के साथ क्वाड के अन्य देशों की चुनौतियां भी बढ़ा सकता है। बांग्लादेश हिंद महासागर में दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग के केंद्र में है।  शेख हसीना के सत्ता में रहने से भारत ने बांग्लादेश और चीन के सामरिक सहयोग को एक सीमा से आगे नहीं जाने दिया था। अब बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता से जाने के बाद पाकिस्तान और चीन का समर्थन करने वाली राजनीतिक ताकतों को अमेरिकी मदद ने क्वाड की सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा को ही ध्वस्त कर दिया है।

बांग्लादेश की रणनीतिक स्थिति उसे हिन्द महासागर के सुरक्षा में एक प्रमुख भूमिका निभाने का अवसर देती है और राजनीतिक बदलाव के बाद अब इसका फायदा चीन को मिलने की संभावनाएं बढ़ गई है। क्वाड के एक और साझेदार ऑस्ट्रेलिया से भी भारत के रिशतें स्थिर नहीं है। 2020 में ऑस्ट्रेलिया ने दो भारतीय नागरिकों को जासूसी के आरोप में निष्कासित कर दिया था और अब क्वाड सम्मेलन के दौरान अमेरिका की यात्रा पर आएं ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने मीडिया के सामने इसे कूटनीतिक तरीके से उठाने की बात स्वीकारी। बीते साल कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार के एजेंटों का हाथ हो सकता है। ऐसा लगता है कि ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री कनाडा के साथ खड़े दिखाई दे रहे है। इसका कारण यह भी है कि ये सभी देश फाइव आइज़ नामक एक खुफिया गठबंधन के सदस्य है जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, और अमेरिका के साथ न्यूज़ीलैंड और ब्रिटेन शामिल हैं। ये सभी इस गठबंधन के अंतर्गत खुफिया जानकारी का व्यापक आदान प्रदान करते हैं। वहीं यहां यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि क्वाड जैसे बहुआयामी सुरक्षा संगठन के केंद्र में रहने वाले भारत के अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ मजबूत संबंध होने के बाद भी,इन दोनों देशों ने खालिस्तानी आतंकियों पर दबाव डालने के लिए भारत की मदद करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इन सबके बीच क्वाड देशों की चीन के साथ आर्थिक निर्भरता भी आपसी संबंधों के अलग अलग आयाम प्रदर्शित करती है। सीमा पर भारत और चीन के जटिल संबंधों के बाद भी आर्थिक मोर्चे पर स्थितियां अलग है और चीन भारत का बड़ा व्यापारिक भागीदार है। इसी प्रकार ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था के लिए चीन एक महत्वपूर्ण बाजार है तथा ऑस्ट्रेलिया से चीन को खनिज,कृषि उत्पाद और अन्य संसाधनों का निर्यात किया जाता है। ऑस्ट्रेलिया अमेरिका का गैर नाटो सहयोगी देश होने के बाद भी चीन से संतुलित संबंधों का हिमायती रहा है। वहीं जापान और अमेरिका के बेहद मजबूत संबंध है। 1960 की जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच पारस्परिक सहयोग और सुरक्षा की संधि दोनों देशों के मध्य आपसी सहयोग का आधार है। इसके तहत अमेरिका जापान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है,जबकि जापान अमेरिकी सैनिकों को अपने क्षेत्र में तैनात करने की अनुमति देता है। अमेरिका और जापान रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं,जिसमें नई तकनीकों का विकास और साझा करना शामिल है। इससे जापान की सैन्य क्षमताओं में वृद्धि हो रही है। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है की जापान और चीन के संबंधों में कोई अलगाव है। चीन और जापान के बीच व्यापारिक संबंध बहुत मजबूत हैं। चीन जापान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और जापान की अनेक कंपनियां चीन में भारी निवेश करती हैं। जापान की तकनीकी और औद्योगिक क्षमताएं चीन के औद्योगिक विकास में बहुत मददगार है।

दरअसल क्वाड समूह में चीन को लेकर अमेरिका ज्यादा मुखर दिखाई पड़ता है। अमेरिका चीन को एक प्रमुख रणनीतिक प्रतिस्पर्धी मानता है। इसका मुख्य कारण चीन की तेजी से बढ़ती सैन्य शक्ति,आर्थिक प्रभाव और वैश्विक स्तर पर उसकी विस्तारवादी नीतियां हैं। अमेरिका ने कई चीनी तकनीकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं तथा तिब्बत,शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकार और लोकतंत्र की स्थिति पर चिंता जताई है।  अमेरिका चीन  के वैश्विक प्रभाव को रोकना चाहता है और इसीलिए उसने क्षेत्रीय सुरक्षा गठबंधनों को तरजीह दी है। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती दादागिरी दुनिया के लिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि विश्व व्यापार का एक बड़ा हिस्सा यहीं से गुजरता है। यह समुद्री मार्ग चीन,जापान,कोरिया और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के लिए आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है। इस क्षेत्र में विशाल ऊर्जा संसाधन,जैसे तेल और गैस और मछली के संसाधन मौजूद हैं जो क्षेत्रीय देशों के लिए आर्थिक महत्व रखते हैं। यह क्षेत्र चीन,वियतनाम, फिलीपींस,मलेशिया और ब्रुनेई के बीच स्थित है जिससे यह भौगोलिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो जाता है। दक्षिण चीन सागर में समुद्री सीमाओं और अधिकारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय कानून और संधियों का पालन एक बड़ा मुद्दा है,जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करता है। चीन अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को नजरअंदाज करता  है तथा दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे क्षेत्र पर अपने दावे प्रस्तुत करता है। चीन ने अन्य देशों पर दबाव बढ़ाने के लिए दक्षिण चीन सागर में कई द्वीपों का सैन्यीकरण किया है और अपने जंगी जहाजों को तैनात कर दिया है।

अमेरिका ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए सहयोग बढ़ाया है और क्वाड उसी का प्रतिनिधित्व करता है। क्वाड का महत्व वैश्विक सुरक्षा,आर्थिक विकास और लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण में है। यह एक रणनीतिक मंच है जो क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर संयुक्त प्रतिक्रिया को बढ़ावा देता है और चारों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करता है। क्वाड,विशेषकर चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। दक्षिण चीन सागर में चीन की चुनौती एक जटिल मुद्दा है जो क्षेत्रीय सुरक्षा,आर्थिक हित और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर रहा है। यह स्थिति वैश्विक शक्ति संतुलन की दृष्टि से बेहद जटिल है। मुक्त,स्पष्ट और समृद्ध इंडो पैसिफिक क्षेत्र स्थापित करने के क्वाड के उद्देश्य को पूरा करने के लिए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत,सबसे ताकतवर देश अमेरिका,आर्थिक महाशक्ति जापान और हिन्द तथा प्रशांत महासागर से घिरे ऑस्ट्रेलिया के बीच दीर्घकालीन स्तर पर आपसी विश्वास तथा व्यापक आर्थिक तथा सामरिक सहयोग  की जरूरत है। इसका अभाव क्वाड के उद्देश्य को खत्म कर रहा है।

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