राष्ट्रीय सहारा
कथित इस्लामिक राष्ट्रवाद की स्थापना,जातीय संघर्ष,राजनीतिक असहमति, वैधानिक व्यवस्थाओं में अपारदर्शिता तथा भेदभाव,विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने की परम्पराएं और सत्तारूढ़ पार्टी का अधिनायकवाद जैसे मुद्दे बांग्लादेश की राजनीतिक संस्कृति का प्रमुख हिस्सा रहे है। बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति के बारे में यह कहा जाता है कि इसके नेताओं का विश्वास संसदीय परम्पराओं और चर्चाओं में कम रहा है। सैन्य और साम्प्रदायिक शक्तियों से अभिशिप्त इस देश में पक्ष और विपक्ष के नेताओं में गहरा अविश्वास और असहमति होती है। सत्तारूढ़ पार्टी विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल देती है,लिहाजा देश में पक्ष और विपक्ष के बीच सड़कों पर शक्ति संघर्ष होता है जिससे समूची लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित रहती है। विपक्षी दल सरकार के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करते हैं,जिसके कारण राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा बढ़ती है। पिछले वर्ष शेख हसीना के विरोध को विपक्ष का व्यापक समर्थन हासिल हुआ था और इसमें प्रमुख भूमिका छात्रों के समूह,स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन की थी। अब इसी छात्र समूह ने नई राजनीतिक पार्टी नेशनल सिटिजन पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में हाथ आजमाने की घोषणा की है। स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन समूह ने सिविल सेवा नौकरी कोटा के खिलाफ बांग्लादेश में व्यापक अभियान चलाया था। युवाओं को इस छात्र समूह का व्यापक समर्थन हासिल है और यही इसकी असल ताकत है।
बांग्लादेश में किसी मध्यमार्गी नये राजनीतिक दल की जरूरत को लगातार महसूस किया जा रहा था क्योंकि वर्तमान में कार्यरत राजनीतिक दल अपनी नीतियों के कारण विवादित रहे है और लोकतान्त्रिक प्रक्रियाओं को बाधित भी करते रहे है। देश की प्रमुख पार्टी अवामी लीग ने धर्मनिरपेक्षता,राष्ट्रवाद,लोकतंत्र और समाजवाद के चार स्तंभों पर आधारित पार्टी की राजनीतिक विचारधारा ने 1971 में देश के पहले संविधान में निहित सिद्धांतों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा एक धर्मनिरपेक्ष और समावेशी बांग्लादेश की स्थापना के लिए मंच तैयार किया। लेकिन आगे चलकर इस पार्टी की नेता शेख हसीना ने सत्ता पर शिकंजा बनाएं रखने की राजनीति को भी पोषित किया जो उनके विरोध और सत्ता खोने का प्रमुख कारण भी बना। बांग्लादेश की राजनीति आशंकाओं से ग्रस्त रही है और सत्तारूढ़ पार्टियों ने विपक्ष के नेताओं को जेल में डालने की नीति को लगातार आजमाया है। अवामी लीग की नेता शेख हसीना के कार्यकाल में देश के प्रमुख विपक्षी दल बीएनपी के नेता नजरबंद रखे गए या उन्हें जेल में डाल दिया गया था। कुछ गिरफ्तारी से बचने के लिए भूमिगत हो गए थे। इस दौरान बीएनपी की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया भी जेल में थी और वे चुनावी मैदान में थी ही नहीं। लिहाजा पिछले आम चुनावों में एक बार फिर अवामी लीग की नेता शेख हसीना का देश का प्रधानमंत्री बनना तय हो गया था। देश की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के अधिकांश सहयोगी दलों ने इन आम चुनाव का बहिष्कार किया था। यह भी दिलचस्प है कि इन आम चुनावों का आयोजन तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की देखरेख में ही किया गया था और उन्होंने किसी अंतरिम सरकार की देखरेख में आम चुनावों की विपक्ष की मांग को ख़ारिज कर कर दिया था।
- बांग्लादेश के एक और प्रमुख राजनीतिक दल बीएनपी को रुढ़िवादी दल माना जाता है जो दक्षिणपंथी दलों को एकजुट करती रही है। इसे भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थन माना जाता है। बीएनपी के कार्यकाल के दौरान सत्तावादी ताकतों को मजबूती मिली और शेख हसीना को जेल में डाल दिया गया था। रुढ़िवादी और इस्लामिक व्यवस्था कायम करने को प्रतिबद्ध जमात-ए-इस्लामी नामक राजनीतिक दल का भी बांग्लादेश के बहुसंख्यक इस्लामी समाज पर गहरा प्रभाव है। इसके बारे में कहा जाता है कि यह बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तान के साथ था। जमात एक तरह से स्वतंत्र बांग्लादेश का विरोध करता रहा है।
इस समय बांग्लादेश बदलावों और आशंकाओं से गुजर रहा है। देश का वैधानिक ढांचा अस्त व्यस्त हो गया है,अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़े है,पुलिस व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और कट्टरपंथी इस्लामिक शक्तियां हावी हो गई है। धार्मिक और सांस्कृतिक विविधताओं के कारण बांग्लादेश में असहमति और राजनीतिक संघर्ष का दायरा व्यापक रूप से फैला हुआ है जो राजनीतिक स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है। इन सबके बीच बांग्लादेश में लोकतंत्र के हालात चुनौतीपूर्ण रहे हैं,जहां राजनीतिक अस्थिरता,भ्रष्टाचार और सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ दमन जैसे मुद्दे प्रमुख रूप से मौजूद हैं। हालांकि,संविधान में लोकतांत्रिक सिद्धांतों की परिकल्पना की गई है,लेकिन व्यावहारिक रूप में बांग्लादेश में लोकतंत्र को संरक्षित रखने के लिए अधिक पारदर्शिता,स्वतंत्र संस्थाओं और निष्पक्ष चुनावों तथा व्यवस्थाओं की आवश्यकता है।
नाहिद इस्लाम ने नई राजनीतिक पार्टी का पार्टी का प्रमुख उद्देश्य दूसरे गणराज्य की स्थापना को बताया है। एक गणराज्य के रूप में बांग्लादेश का संविधान आदर्श माना जाता है जहां सभी धर्मों के साथ समानता का व्यवहार होता है। नाहिद इस्लाम के दूसरे गणतन्त्र की स्थापना के दावों से इन आशंकाओं को बल मिल सकता है की कहीं वे इसे शरिया कानून पर आधारित इस्लामिक देश तो नहीं बनाना चाहते है। याद रहे की शेख़ मुजीब-उर-रहमान ने एक राष्ट्र-राज्य के रूप में बांग्लादेश की बुनियाद धर्मनिरपेक्षता की रखी थी। इस समय बांग्लादेश में पाकिस्तान को दुश्मन माना जाए या भारत को इस पर बहस हो रही है। बांग्लादेश की कई राजनीतिक पार्टियां मुक्ति संग्राम में भारत की भूमिका पर सवाल उठा रही हैं। नेशनल सिटिजन पार्टी का नेतृत्व कर रहे नाहिद इस्लाम ने जिस नये बांग्लादेश को स्थापित करने का वादा किया है उसमें भारत और पाकिस्तान का समर्थन जैसे मुद्दे गौण रहने की बात कहीं है। यदि नाहिद वास्तव में मध्यमार्ग की राजनीति करना चाहते है तो उन्हें कट्टरपंथी ताकतों से समान दूरी बनाएं रखने की जरूरत होगी। उन्हें तालिबान की तर्ज पर छात्र राजनीति से बचना होगा। नाहिद इस्लाम भारत का समर्थन भले ही नहीं करें लेकिन यदि वे धर्मनिरपेक्ष और समावेशी व्यवस्था पर आधारित बांग्लादेश के निर्माण की और बढ़ते है तो यह सबके हित में होगा।

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