विकसित बांग्लादेश का सपना और भारत की चुनौती
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 विकसित बांग्लादेश का सपना और भारत की चुनौती

जनसत्ता

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वैदेशिक संबंधों को लेकर बेहद यथार्थवादी दृष्टिकोण अपना रखा है जिसके अंतर्गत यह  माना जाता है की विदेश नीति संबंधी निर्णय राष्ट्रीय हित के आधार पर लिए जाना चाहिए न कि नैतिक सिद्धांतों और भावनात्मक मान्यताओं के आधार पर। दरअसल भारत की कूटनीतिक,सैन्य और आर्थिक मदद से अस्तित्व में आया बांग्लादेश 2025 में चीन से कूटनीतिक संबंधों की स्वर्ण जयंती समारोहपूर्वक मनाने जा रहा है। शेख हसीना सरकार ने इसकी आधिकारिक घोषणा भी कर दी है। यह भी दिलचस्प है की 1971 में बांग्लादेश की एक स्वतंत्र देश के रूप में संयुक्त राष्ट्र की मान्यता को रोकने के लिए चीन ने सुरक्षा परिषद में वीटो का प्रयोग किया था। लेकिन बदलती वैश्विक स्थितियों को भांपते हुए बांग्लादेश चीन के साथ रणनीतिक और सहकारी साझेदारी को लगातार मजबूत कर रहा है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत से संबंधों को नियंत्रित करके चीन की और देख रही है,इसके पीछे उनका बांग्लादेश का 2041 का विजन है।

बांग्लादेश  भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का अभिन्न अंग  होकर बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शेख हसीना ने 9 मार्च 2021 को पूर्वोत्तर को बांग्लादेश से जोड़ने वाले मैत्री सेतु का उद्घाटन किया था। इस मैत्री सेतु को उस सिलीगुड़ी गलियारे का विकल्प माना गया जो भारत की अखंडता की रक्षा के लिए बेहद खास माना जाता है। चीन और बांग्लादेश के बीच ऐसे कई मैत्री सेतु बांग्लादेश में प्रभाव में पहले से ही है।  चीन ने बांग्लादेश में एक मैत्री पुल का इस प्रकार निर्माण किया है,इसमें स्थानीय संस्कृति को ध्यान में  रखते हुए इस्लामी और चीनी विशेषताओं से सुसज्जित किया है। यह चीन की स्थानीय लोगों को विश्वास में लेने की रणनीति भी हो सकती है जिसका उपयोग वह भारत विरोध के लिए भी कर सकता है। बांग्लादेश में चीन का निवेश स्टॉक बढ़कर लगभग  डेढ़ बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है। लगभग सात सौ चीनी कंपनियां बांग्लादेश में काम कर रही हैं।  यह भी माना जाता है की इससे स्थानीय स्तर पर लाखों लोगों को रोजगार हासिल हुआ है।  बांग्लादेश चीन की वन बेल्ट वन परियोजना का प्रमुख साझेदार बन गया है और इसे विज़न 2041 और स्मार्ट बांग्लादेश के सपने के साकार होने का बड़ा कारण बताया जा रहा है। बेल्ट एंड रोड सहयोग को  वैश्विक विकास पहल,वैश्विक सुरक्षा पहल और वैश्विक सभ्यता पहल से जोड़कर चीन बांग्लादेश को आकर्षित करने मे सफल रहा है।

बांग्लादेश से व्यापारिक संबंध मजबूत बनाने के लिए चीन ने वहां के बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश के साथ उर्जा संसाधनों की सप्लाई में मदद का प्रस्ताव दिया है। इसके साथ ही वो दोनों देशों की मुद्राओं के  आसान आदान प्रदान  के लिए भी पहल कर रहा है। यह उसकी युआन कूटनीति का परिचायक है। शेख हसीना के विज़न की शुरुआत करीब डेढ़ दशक पहले  हुई,चीन इसमें प्रमुख भागीदार बनाया गया और इसके विभिन्न चरण निर्धारित किए गए। 2009 में,प्रधानमंत्री शेख हसीना ने डिजिटल बांग्लादेश की अवधारणा पेश की,जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और शासन में सुधार के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना था। हाई-टेक पार्कों,डिजिटल केंद्रों की स्थापना और बंगबंधु सैटेलाइट के प्रक्षेपण ने तकनीकी उन्नति के प्रति देश की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया। यह विजन 2041 तक बांग्लादेश को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने  और अग्रणी बनने की क्षमता निर्माण पर आधारित है।  2009 का विजन 2021 तक माध्यम वर्ग आय हासिल करने,2031 तक गरीबी पूर्ण समाप्त करना और उच्च माध्यम हासिल करना तथा 2041 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए गरीबी को मिटाना है। यह विज़न आर्थिक विकास को गति देने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में नवाचार,उद्यमशीलता और डिजिटलीकरण के महत्व पर ज़ोर देता है। डिजिटल बांग्लादेश 2041 रोडमैप और चौथी औद्योगिक क्रांति रणनीति जैसी पहल जटिल चुनौतियों का समाधान करने और नए अवसरों को खोलने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता,ब्लॉकचेन और इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स सहित उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने की दिशा में देश के मार्ग को रेखांकित करती हैं। यह विजन समृद्ध,विकसित और तकनीकी रूप से परिष्कृत बनाने की आकांक्षा रखता है।

बांग्लादेश को डिजिटिल बनाने की दिशा में चीनी फ़ोन निर्माता कंपनी ख़्वावे लगातार  काम कर रही है। अमरीका  ने साफ कहा है कि 5जी उपकरणों के ज़रिए चीन ख़्वावे का इस्तेमाल जासूसी के लिए कर सकता है। इसमें कंपनी के मालिक रेन के संबंध पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से रहे है। रेन 1983 तक चीनी सेना के नौ साल तक सदस्य रहे। वो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य भी हैं। बांग्लादेश भारत के साथ लगभग 4100 किलोमीटर भूमि सीमा साझा करता है, इसकी सीमा भारतीय राज्यों पश्चिम बंगाल,असम,मेघालय और त्रिपुरा के साथ है।

भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र सिलीगुड़ी गलियारा नामक एक बहुत ही संकीर्ण भूमि पट्टी के माध्यम से शेष भारत से जुड़ा हुआ है,सिक्किम और भूटान के रास्ते चीन से निकटता के कारण यह गलियारा भारत के लिए रणनीतिक अतिसंवेदनशील है। इस संकीर्ण रास्ते से नेपाल,बांग्लादेश और भूटान भी जुड़े हुए है।  सिलीगुड़ी के जरिये पूर्वोत्तर की कनेक्टिविटी की वजह से हमारी बांग्लादेश पर रणनीतिक निर्भरता काफी बढ़ गई है। डोकलाम में चीनी सक्रियता की वजह से भी बांग्लादेश पर हमारी निर्भरता काफी बढ़ जाती है। ये इलाका भूटान के नजदीक है। भूटान के नजदीक होने की वजह से हमारे लिए बांग्लादेश की भूमिका और ज्यादा बढ़ जाती है । बांग्लादेश के नवनिर्माण और विकास में भारत की महती भूमिका होने के बाद भी बांग्लादेश भारत को राजनीतिक मित्र  तथा चीन को बांग्लादेश के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक मित्र बताता है।

भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए ख़्वावे का सीमाई इलाकों में प्रभावशील रहना चिंताजनक है। अमरीका अपने यहाँ कंपनियों को ख़्वावे के साथ व्यापार करने पर प्रतिबंध लगा चुका है और चाहता है कि उससे जुड़ी सहयोगी कंपनियों को भी 5जी नेटवर्क से हटाया जाए। ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड ने भी अमरीका की तरह क़दम उठाए हैं। चीन के 2017 के नेशनल इंटेलिजेंस लॉ  के अनुसार किसी भी संगठन को राष्ट्र के ख़ुफ़िया काम में समर्थन और सहयोग देना आवश्यक है’।  इसका मतलब है कि चीन ख़्वावे को किसी काम के लिए आदेश दे सकता है। अत: अमेरिका या भारत की इसे लेकर आशंका निर्मूल नहीं है।

2030 तक बांग्लादेश सशस्त्र बलों के पूर्ण आधुनिकीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। इसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी पर प्रभाव स्थापित करने और एशिया में एक मजबूत राष्ट्र बनने के लिए सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण करना है। चीन रक्षा क्षेत्र में बांग्लादेश का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता  है। दोनों देशों के बीच सहयोग सैन्य हार्डवेयर,समुद्री गश्ती जहाज,कोरवेट,टैंक,लड़ाकू जेट के साथ ही सतह से हवा में मार करने वाली और जहाज रोधी मिसाइलों तक बढ़ गया है। भारत की हिन्द प्रशांत रणनीति की दृष्टि से बांग्लादेश बेहद महत्वपूर्ण है। वहीं पूर्वोत्तर में अलगाववादी विद्रोहियों पर दबाव बनाएं रखने के लिए बांग्लादेश के सहयोग की भारत को सदैव जरूरत होगी। बांग्लादेश ऐतिहासिक रूप से प्राचीन हिंद प्रशांत संपर्क का हिस्सा रहा है तथा विशाल वैश्विक महासागरीय साझा क्षेत्र में  स्थित हिंद प्रशांत क्षेत्र में बसे बंगाल की खाड़ी में मुक्त समुद्री मार्ग के संचालन के लिए बांग्लादेश की भूमिका बढ़ जाती है। बांग्लादेश के नौसैनिक मामलों में चीन की भागीदारी बढ़ रही है। हिंद महासागर क्षेत्र चीन की समुद्री रेशम मार्ग पहल में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। बांग्लादेश से सहयोग बढ़ाकर उसने अपनी स्थिति को हिन्द प्रशांत क्षेत्र मे बेहद मजबूत कर लिया है। वर्तमान में बांग्लादेश बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में एक सक्रिय भागीदार है  जबकि भारत  इसका हिस्सा नहीं है। हाल ही में शेख हसीना की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हरित साझेदारी,डिजिटल भागीदारी,समुद्री अर्थव्यवस्था और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर बनी सहमति तो बनी है लेकिन बांग्लादेश के चीन से भी ऐसे ही समझौते भारत को आशंकित करते है। ढाका विश्वविद्यालय में  चीनी अध्ययन केंद्र,आर्थिक और बैंकिंग क्षेत्र में सहयोग,व्यापार और निवेश,डिजिटल अर्थव्यवस्था,बुनियादी ढांचे के विकास,आपदा प्रबंधन से जुड़ी योजनाओं में चीनी कंपनियों की भूमिका लगातार बढ़ रही है।

चीन ने बांग्लादेश के साथ मिलकर इन्फॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट को काफी हद तक पूर्ण कर लिया है। चिटगांव क्षेत्र में एक स्मार्ट सिटी बनाने की योजना समेत  ऊर्जा आपूर्ति  और नदी परियोजनाओं मे चीन की दिलचस्पी से साफ है की चीन बांग्लादेश के विकसित राष्ट्र बनाने के सपने का प्रमुख भागीदार बन गया है।  भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता जल बंटवारे को लेकर काफी लंबे अरसे से विवाद का समाधान नहीं हुआ है,अब चीन तीस्ता परियोजना को पूरा करने की इच्छा जता चूका है। तीस्ता परियोजना में  चीन की भूमिका उसे भारतीय सीमा के बहुत करीब ले आएगी और उसका दायरा सिलीगुड़ी कॉरीडोर के  करीब तक होगा। चीन बांग्लादेश से सहयोग कर भारत पर लगातार दबाव भी बना रहा है।

प्रधान मंत्री शेख हसीना बांग्लादेश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए जिस विजन 2041 पर काम कर रही है उसमें उनकी कूटनीति चीन की तरफ झुकी  हुई नजर आती है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना बीजिंग में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात  कर वापस अपने देश लौट चूकी है। इस दौरान दोनों देशों ने 21 समझौतों,सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए तथा अपने रणनीतिक सहयोगात्मक संबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए सात और परियोजनाओं की घोषणा की है।  बांग्लादेश के विजन 2041 की योजना के चार मुख्य आधार तय किए गए है। सुशासन,लोकतंत्रिकरण,विकेन्द्रीकरण और क्षमता निर्माण। चीन की कर्ज नीति के चलते दुनिया के कई देशों में सुशासन और लोकतांत्रिक सरकारों को गहरी चोट पहुंची है। बेहद गरीबी से उबार कर शेख हसीना का अपने देश को विकसित देश बनाने का  सपना तो अच्छा है लेकिन उसमें चीन की व्यापक भागीदारी बांग्लादेश के भविष्य के लिए तो दुविधापूर्ण है ही, भारत की एकता और अखंडता के लिए भी समस्या बढ़ सकती है।

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