राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप
दुनियाभर की आधुनिकीकृत शासन व्यवस्थाओं में भी सामाजिक,सांस्कृतिक और आर्थिक तौर से तमाम तबक़ों में खाई साफ़ तौर पर दिखती है। इसका असर देश के राजनीतिक जीवन और व्यवस्थाओं को खासा प्रभावित करता है। इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि आप,लंदन में रहते हैं या दिल्ली,बीजिंग,मास्को या न्यूयॉर्क में। आप समाज के जिस तबक़े का हिस्सा हैं,उससे निकल पाना आपके लिए बेहद मुश्किल है।
भारतीय समाज जाति और धर्म के आधार पर बंटा है वहीं दुनिया के कई देश आर्थिक आधार पर विभाजित भले ही हो। लेकिन तरक्कीपसंद ब्रिटिश समाज में सामाजिक दर्जा लोगों का भविष्य तय करता है तो लोकतंत्र,समानता और सामाजिक न्याय की गारंटी देने वाला अमेरिका नस्लीय असमानताओं और अन्याय की समस्या से रोज जूझता है। सामाजिक पृष्ठभूमि के राजनीतिक प्रभाव से अभिशिप्त साम्यवादी चीन भी है तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत की व्यवस्था भी इससे अलग नहीं है।
मसलन ब्रिटेन को दुनिया का सबसे उदारवादी देश माना जाता है लेकिन यहां भी सामाजिक हैसियत का असर राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर देखने को मिलता है। संविधानिक राजशाही को सिर का ताज समझने वाले इस देश में ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री बनना,परम्परावादी ब्रिटिश समाज में क्रांतिकारी बदलाव की तरह पेश किया गया हो लेकिन हकीकत यह भी है कि ब्रिटिश पूंजीपतियों में ऋषि सुनक अव्वल ही है। यूरोपीय संगठन,ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर इकॉनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट ने ब्रिटिश समाज के भेदभाव पर उंगली उठाई है। संगठन का कहना है कि ब्रिटेन में लोगों के लिए अपने से ऊपर के तबक़े में जा पाना बेहद मुश्किल है। ब्रिटिश व्यवस्था को पूंजीपति काफी हद तक प्रभावित करते है और रिश्वत का कारोबार यहां बेहद मजबूत स्थिति में है। इसी को मद्देनजर रखकर संसद में रिश्वत अधिनियम 2010 को लाया गया था। यूनाइटेड किंगडम की संसद द्वारा पारित कानून का एक टुकड़ा है जो रिश्वतखोरी से संबंधित आपराधिक कानून को संबोधित करता है। यह अधिनियम रिश्वतखोरी से संबंधित सभी पहले से मौजूद वैधानिक और आम कानून प्रावधानों को रिश्वतखोरी,रिश्वत दिए जाने,विदेशी सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने और एक व्यावसायिक संगठन की ओर से रिश्वतखोरी को प्रतिबंधित करने में असमर्थता के साथ प्रतिस्थापित करता है। इसे पुराने और अप्रासंगिक कानून का बेहतर रूप बताया गया।
यह भी दिलचस्प है कि पिछले साल ब्रिटेन से दुनिया के तीस लोगों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की,जिन्हें उसने भ्रष्ट राजनीतिक हस्तियां,मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता और संघर्ष-संबंधी यौन हिंसा के अपराधी के रूप में वर्णित किया। इसमें रूस,म्यांमार,माली,दक्षिण सूडान तथा ईरान के अधिकारी शामिल थे। इस घटना के कुछ महीनों बाद ही ऋषि सुनक पर ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे है। सुनक पर आरोप है कि नए बजट प्रविधान से उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति को लाभ मिल रहा है। अक्षता को बच्चों की देखभाल करने वाली कंपनी के जरिये लाभ हो रहा है। बजट प्रविधान से इस कंपनी को लाभ होने की संभावना है। अक्षता मूर्ति के कोरू किड्स लिमिटेड से जुड़े हितों को लेकर जांच शुरू हुई है।
पूंजीवाद और सामाजिक असमानता का भयावह रूप अमेरिकी समाज में भी नजर आता है जिसे अब्राहम लिंकन जैसे कुछ उदाहरण देकर ढंकने का प्रयास तो किया जाता है,पर हकीकत सामने आ ही जाती है। अमेरिका के सबसे मजबूत राजनीतिक दल रिपब्लिकन पार्टी पर जूनियर और सीनियर बुश का लंबे समय तक प्रभुत्व हो या डेमोक्रेटिक पार्टी पर बिल क्लिंटन और उनके बाद हिलेरी क्लिंटन का प्रभाव हो। संयुक्त राज्य अमेरिका के 41 वें राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश को बेहद परम्परावादी माना जाता था और उन्होंने खाड़ी युद्द में अपनी भूमिका से इसे साबित भी किया वहीं उनके पुत्र जूनियर बुश ने अमेरिका के 43वें राष्ट्रपति के रूप में अपने दादा के कार्यो को ही आगे बढ़ाया। उन्होंने सामाजिक रूप से रूढ़िवादी प्रयासों जैसे कि आंशिक-जन्म गर्भपात प्रतिबंध अधिनियम और विश्वास-आधारित पहलों पर जोर दिया। बुश ने तालिबान को उखाड़ फेंकने, अल-कायदा को नष्ट करने और ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के लिए 2001 में अफगानिस्तान पर आक्रमण का आदेश दिया।
अमेरिका में भ्रष्टाचार रोकने के लिए मजबूत कानून है जिसे अमेरिकन एंटी-करप्शन एक्ट कहा जाता है। लॉबिंग,पारदर्शिता और अभियान वित्त कानूनों में सुधार करके अमेरिकी राजनीति में पैसे के प्रभाव को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किए गए यह मॉडल कानून का एक टुकड़ा है। इसे 2011 में पूर्व संघीय चुनाव आयोग के अध्यक्ष ट्रेवर पॉटर द्वारा दर्जनों रणनीतिकारों,लोकतंत्र सुधार नेताओं और राजनीतिक स्पेक्ट्रम के संवैधानिक वकीलों के परामर्श से तैयार किया गया था। यह राजनीतिक भ्रष्टाचार के लिए प्रमुख योगदानकर्ताओं के रूप में मानी जाने वाली प्रथाओं को सीमित करने या अवैध करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह अमेरिकी सरकार को भ्रष्ट करने से रोकता है।
अमेरिका के 45 वे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चुनावों में विजय होना सवालों में रहा और वे अमेरिकी जांच एजेंसियों की निगाहों में वे अपने पूरे कार्यकाल में घिरे रहे। देश के सबसे बड़े अख़बार द वॉशिंगटन पोस्ट ने उनका एक ऑडियो सार्वजनिक किया था जिसमें वे जॉर्जिया के शीर्ष चुनाव अधिकारी ब्रैड रैफ़ेंसपर्गर से करीब एक घंटा बात करते हुए अपनी जीत खातिर वोट जुगाड़ करने के लिए कह रहे हैं। देश में ट्रम्प के खिलाफ आपराधिक मामलों के सिवाय भी कई मामलें दर्ज है। ट्रम्प पर 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पोर्न फिल्म अभिनेत्री स्टॉर्मी डेनियल्स को किए गए गुप्त धन भुगतान से संबंधित एक घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए आरोपित किया गया है। इन सबके बाद भी ट्रम्प आज़ाद है और अमेरिकी शासन व्यवस्था के सर्वोच्च पद पर उनका दावा कभी कमजोर नजर नहीं आता। डोनाल्ड ट्रंप का रियल एस्टेट सेक्टर में बहुत बड़ा कारोबार है। डोनाल्ड ट्रंप का साम्राज्य यानी उनकी निजी संपत्ति,ब्रांड बिजनेस,गोल्फ कोर्स और क्लब,आदि अरबों का है। ट्रंप के बाद भी उनके परिवार का प्रभाव अमेरिका की सत्ता में होगा,इसकी संभावनाएं भरपूर है।
चीन के सबसे शक्तिशाली नेताओं में शुमार शी जिनपिंग भी शक्तिशाली साम्यवादी नेता शी झोंगक्सुन के बेटे है। शी झोंगक्सुन एक चीनी साम्यवादी क्रांतिकारी और चीन जनवादी गणराज्य में बाद के राजनीतिक अधिकारी थे। उन्हें चीनी नेतृत्व की पहली और दूसरी पीढ़ी में माना जाता है। 1930 के दशक में उत्तर-पश्चिमी चीन में कम्युनिस्ट गुरिल्ला ठिकानों की स्थापना से लेकर 1980 के दशक में दक्षिणी चीन में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत तक चीनी कम्युनिस्ट क्रांति और पीपुल्स रिपब्लिक के विकास में उन्होंने जो योगदान दिया,वह कई और व्यापक हैं। शी जिनपिंग सत्ता में बने रहने के लिए अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को भ्रष्टाचार के कड़े कानूनों का उपयोग करके कुचल रहे है। चीन वर्तमान में चीनी साम्यवादी दल द्वारा एकात्मक मार्क्सवादी-लेनिनवादी एक-दलीय समाजवादी गणराज्य के रूप में शासित है। यह शासन का अधिनायकवादी रूप है। शी जिनपिंग के देश के राष्ट्रपति बनने के बाद कई नेताओं पर कड़ी कार्रवाई हुई है। इसमें देश के पूर्व रेल मंत्री लियु झिजुन को भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग का दोषी करार देते हुए मौत की सजा तक सुनाई जा चूकी है।
राजनीतिक विकास के आधार पर दुनिया के विभिन्न देशों में जो व्यवस्थाओं को अपनाया गया है उसमें राजनीतिक लोकतंत्र,नाममात्र का लोकतंत्र,आधुनिकीकृत स्वेच्छा तंत्र,सर्वाधिकारवादी गुट तंत्र या परम्परागत गुट तंत्र प्रमुख है। दुनियाभर की शासन व्यवस्थाओं में विभिन्नता होने के बाद भी वह पारम्परिक सामाजिक प्रतिष्ठा से बूरी तरह प्रभावित है। जिसके कारण वंशवाद अपरिहार्य नजर आता है और इससे प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी प्रभावित होती है। भ्रष्टाचार को लेकर देशों में कड़े कानून तो है लेकिन इससे राजनीतिक नेतृत्व के प्रभावित होने की संभावनाएं बेहद कम ही होती है।
#ब्रह्मदीप अलूने
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