सांस्कृतिक कूटनीति से मजबूत रणनीतिक और आर्थिक संबंधों के संदेश
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सांस्कृतिक कूटनीति से मजबूत रणनीतिक और आर्थिक संबंधों के संदेश

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप 

लिथुआनिया यूरोप महाद्वीप के उत्तरी भाग में बाल्टिक सागर के किनारे स्थित एक देश है। यह तीन बाल्टिक देशों में से सबसे बड़ा है। भारत पूर्वी यूरोप में महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्रों के प्रवेश द्वार के रूप में लिथुआनिया की रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाने की कूटनीतिक कोशिशें लगातार कर रहा है। भक्ति और विरासत के महाकुम्भ में दुनिया भर के कई देशों के राजनयिकों ने भाग लिया और गंगा स्नान किया। भारत में लिथुआनिया की राजदूत डायना मिकेविकिएने ने महाकुम्भ में शामिल होकर कहा की यह सौभाग्य है कि मैं भारत में हूं। यह दृश्य मेरी आंखों और आत्मा के लिए गौरवान्वित करने वाला है। यह निश्चित रूप से भारतीय धरोहर और संस्कृति को दर्शाता है,जिस पर गर्व होना चाहिए। लिथुआनियाई और संस्कृत भाषाएं दोनों देशों के बीच भाषायी समानताएं साझा करती हैं। ईसाई प्रधान लिथुआनिया में प्रकृति की पूजा की जाती है और त्रिमूर्ति परकुनास,पैट्रिम्पास एवं पिकुओलिस का गहरा सम्मान किया जाता है। भारत से करीब छह हजार किलोमीटर दूर स्थित इस देश से भारत की सांस्कृतिक सामीप्यता को लिथुआनिया की राजदूत ने भी महसूस किया।

प्रयागराज महाकुम्भ में भारत में अर्जेंटीना के राजदूत मारियानो काउचिनो  भी शामिल हुई। उन्होंने आध्यात्मिक अनुभव का अद्भुत साक्षात्कार करते हुए कहा कि मैं इस महत्वपूर्ण समारोह में भाग लेकर प्रसन्न हूं। यहां की परंपराओं का पालन करके बहुत खुशी भी हो रही है। अर्जेंटीना दक्षिण अमेरिका में स्थित एक देश है। क्षेत्रफल एवं जनसंख्या की दृष्टि से दक्षिणी अमरीका का ब्राजील देश के बाद द्वितीय विशालतम देश है। अर्जेंटीना में भारतीय संस्कृति,योग,ध्यान,दर्शन, अध्यात्म,नृत्य और संगीत के प्रति प्रशंसा और प्रभाव शायद किसी भी अन्य देश से कहीं अधिक है। आर्ट ऑफ लिविंग,ब्रह्मकुमारी,राम कृष्ण मिशन,शिवानंद योग और इस्कॉन जैसे भारतीय संगठनों के असाधारण अनुयायी हैं। वैज्ञानिक विकास की होड़ में भारत की मजबूती के लिए अर्जेंटीना का बड़ा महत्व है।  लिथियम धरती के अंदर नमकीन जलाशयों और सख्त चट्टानों से निकाला जाता है।  ये ऑस्ट्रेलिया,चिली और अर्जेंटिना जैसे देशों में बड़ी मात्रा में पाया जाता है। ऊर्जा परिवर्तन के लिए लिथियम को सबसे महत्वपूर्ण और इकलौते खनिज के तौर पर जाना जाता है। दुनिया का आधे से अधिक लिथियम का भंडार दक्षिणी अमेरिका के तीन देशों चिली,बोलीविया और अर्जेंटीना में है। इन तीनों ही देशों को लिथियम ट्राएंगल कहा जाता है। अर्जेंटीना में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लिथियम का भंडार है जबकि उसके पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम का रिज़र्व और चौथा सबसे बड़ा उत्पादन केंद्र है। भारत और अर्जेंटीना के बीच लिथियम की खदान के लिए एक बेहद अहम समझौता हुआ है और भारत की सरकारी कंपनी खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड अर्जेंटीना के केतामार्का प्रांत में पांच खदानों का विकास करेगी और खनन कर रही है। प्रयागराज महाकुम्भ में अमेरिका,रूस,यूक्रेन,जापान,जर्मनी,फ्रांस,ब्राजील,मलेशिया,न्यूजीलैंड,इटली,कनाडा,स्विट्जरलैंड,थाईलैंड,फिजी,फिनलैंड,गयाना,मॉरीशस,सिंगापुर,संयुक्त अरब अमीरात,श्रीलंका,दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों के राजनयिकों और अन्तर्राष्ट्रीय दलों ने भाग लिया। यूरोपीय संघ,दक्षेस,नाटो,क्वाड,हिम तक्षेस,जी-,जी-20 और ब्रिक्स के देशों के बीच व्यापक रणनीतिक प्रतिद्वंदिता और राजनतिक मतभेद होने के बाद भी भारत के आध्यामिक उत्सव में सभी के शामिल होने के व्यापक और गहरे संदेश है।

अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। विभिन्न देश अपनी सुरक्षा के लिए दूसरे समान सोच वाले राष्ट्रों के साथ मिलकर काम करते है। संकट की घड़ी में,युद्द के समय आदि एक दूसरे के साथ होते है। संयुक्तराष्ट्र,नाटो,सिएटो या वारसा पैक्ट या आर्थिक आधार पर जो देश साथ साथ आये है उनके आर्थिक,सामाजिक या राजनीतिक हित रहे है। लेकिन इसमें से कोई भी संगठन  वैश्विक स्तर पर सार्वभौमिकता या सांस्कृतिक समन्वय स्थापित करने में सफल नहीं हो सका है और आज यह सबसे बड़ी जरूरत बन गया है। दो वर्ष पहले भारत ने जी-20 की अध्यक्षता शुरू करने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया से कहा था कि भारत एक पृथ्वी,एक परिवार,एक भविष्य की भावना पर आधारित एकता को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा। भारत ने आध्यात्म और शांति के कुंभ में सभी के सामूहिक गंगा स्नान को सुनिश्चित करने से  वैश्विक स्तर पर यह संदेश गया कि भारत वैश्विक स्तर पर धार्मिक और सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देता है,जो एकता और शांति का संदेश फैलाता है। यह देखने में आया है कि दुनिया के कई भागों में सांस्कृतिक टकराव बढ़ा है और इससे आसन्न मानवीय संकट उठ खड़ा हुआ है। एशिया,अफ्रीका और यूरोप के कई देशों में आंतरिक और बाह्य रूप से सांस्कृतिक एवं धार्मिक पहचान  हिंसक संघर्षों का मुख्य कारण बनती जा रही है। भारत अनादि काल से संस्कृति,आस्था,आस्तिकता और धर्म का महान उपदेशक देश है। ऐसे में कुंभ के संदेश मानवता की रक्षा के लिए सभी को संकल्पित करते है। 

 

कुंभ एक बड़े सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जागरूकता का हिस्सा है। विदेशों में भी कई लोग इसे एक आध्यात्मिक यात्रा के रूप में मानते हैं,जो उन्हें आत्मज्ञान,शांति और संतुलन प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। भारतीय योग,ध्यान और प्राचीन साधनाओं के प्रति बढ़ती रुचि भी कुंभ मेले के प्रति विदेशों में आकर्षण का एक कारण है। दुनिया के कई देशों के लोग कुंभ मेले को देखकर आनन्दित और अचम्भित हुए है,इससे भारत में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीदें बढ़ गयी है। धार्मिक पर्यटन  का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक,आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत बड़ा है। यह पर्यटकों को न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है,बल्कि विभिन्न प्रकार से समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान भी करता है। जब लोग विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों से एक ही स्थान पर इकट्ठा होते हैं तो यह आपसी समझ,सहिष्णुता, और सम्मान को प्रोत्साहित करता है।  धार्मिक पर्यटन स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा स्तंभ है। तीर्थयात्रियों के आने से स्थानीय व्यापार,होटल,रेस्टोरेंट,परिवहन,गाइड  सेवाएं और अन्य उद्योगों को लाभ होता है। भारत में धार्मिक पर्यटन से होने वाली आय ग्रामीण क्षेत्रों में भी बुनियादी  ढांचे और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा  दे सकती है। पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटकों से आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं, जिससे सामाजिक विकास होता है। वैदेशिक हस्तियों के कुंभ में शामिल होने से भारत में धार्मिक पर्यटन के सुदृढ़ होने और इससे आर्थिक लाभ बढने की उम्मीदों को मजबूती मिली है।   प्रयागराज महाकुंभ का आयोजन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण  रहा है, यह सामाजिक,सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत फायदेमंद है। महाकुंभ से जुड़े सामाजिक और सांस्कृतिक लाभों के साथ-साथ यह पर्यटकों के लिए भी एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है जो भारत की पहचान को वैश्विक स्तर पर उजागर करता है।

भारत के रणनीतिक,राजनीतिक और आर्थिक हित विभिन्न आयामों में विस्तृत हैं और यह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा,विकास और वैश्विक स्तर पर प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत के रणनीतिक,राजनीतिक और आर्थिक हित आपस में जुड़े हुए हैं और देश के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा,वैश्विक राजनीतिक प्रभाव और आर्थिक समृद्धि के लिए रणनीतिक और नीति-निर्माण की दिशा में निरंतर प्रयास कर रहा है। इन हितों को संतुलित करना और वैश्विक बदलावों के साथ तालमेल बनाए रखना भारत के लिए चुनौतियां और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है। कुंभ का सांस्कृतिक आयोजन भारत के लिए अपने वैश्विक संबंधों को व्यापकता देने का अवसर था,जिसे सांस्कृतिक कूटनीति के जरिए बखूबी योजनापूर्वक अंजाम भी दिया गया। 

दुनिया के कई देशों के राजनयिकों और धर्मावलम्बियों का प्रयागराज कुंभ में शामिल होने से भारत की अंतर्राष्ट्रीय साख को  मजबूती मिली है। यह एक संकेत है कि भारत एक शक्तिशाली और सम्मानित देश है जिसकी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर दुनिया भर में सम्मानित है। प्रयागराज में करोड़ों  धर्मावलम्बियों के शामिल होने और इस आयोजन के शांतिपूर्ण सम्पन्न होने से दुनिया में भारत के प्रति भरोसा बढ़ा है। सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश भारत की विविधता सबसे बड़ी ताकत है और  दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भी है। कुंभ में वैश्विक नेताओं की दिलचस्पी और भागीदारी के स्पष्ट संदेश है कि  भारत के प्रति विश्व की दृष्टि सकारात्मक और सम्मानजनक है। इसकी बढ़ती आर्थिक शक्ति,राजनीतिक प्रभाव,सांस्कृतिक विरासत और रणनीतिक क्षमता ने भारत को वैश्विक मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है।

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