#जनसत्ता
article

सीरिया का भविष्य

जनसत्ता सीरिया को एक राष्ट्र के तौर पर बचाएं रखने के लिए देश में एक ऐसी समावेशी सरकार की जरूरत है जो विभिन्न राजनीतिक,भाषाई,जातीय और धार्मिक समूहों में समन्वय स्थापित कर संघर्ष की संभावनाओं को पूरी तरह खत्म कर दे। सीरिया कई जातीय और धार्मिक समूहों का घर है,जिनमें कुर्द,अर्मेनियाई, असीरियन,ईसाई,ड्रुज़,अलावाइट शिया और अरब सुन्नी […]

Read More
article

बांग्लादेश की कूटनीति और भारत

जनसत्ता  राजनीतिक बदलाव किसी देश के राजनीतिक निर्णयों,रणनीतियों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को किस प्रकार प्रभावित कर सकते है इसका बड़ा  उदाहरण बांग्लादेश है। शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने  देश की वैदेशिक नीति में अभूतपूर्व बदलाव कर पाकिस्तान के साथ सामरिक,राजनीतिक और नागरिक संबंधों को प्राथमिकता से बहाल […]

Read More
article

भारत चीन संबंधों का भविष्य

जनसत्ता  भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध एक संवेदनशील मुद्दा है।  दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक,आर्थिक और राजनीतिक संबंध हैं,वहीं सीमा विवाद और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा ने इन संबंधों को प्रभावित किया है। दोनों देशों में वार्ता के माध्यम से सीमा मुद्दों को सुलझाने की कोशिशें कई बार हुई है लेकिन ऐतिहासिक कारण और अलग […]

Read More
article

 क्वाड देशों में अंतर्विरोध    

जनसत्ता अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा एक मजबूत और स्थायी तंत्र है,जो शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करती है। भारत,अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के हिन्द प्रशांत में गहरे आर्थिक और सामरिक हित है जिन्हें चीन से लगातार चुनौती मिल रही है। क्वाड इन चारों देशों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक […]

Read More
article

युद्दग्रस्त देश और भारतीय कूटनीति

जनसत्ता किसी भी राष्ट्र के राष्ट्रीय हित परिवर्तनशील हो सकते है,स्वाभाविक रूप से इसका प्रभाव वैदेशिक संबंधों पर भी दिखाई पड़ता है। भारत और रूस के बीच कूटनीतिक और सामरिक संबंधों की प्रतिबद्धता का सुनहरा इतिहास रहा है। रूस के धुर विरोधी देश यूक्रेन में भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की यात्रा को संतुलन की […]

Read More
article

 विकसित बांग्लादेश का सपना और भारत की चुनौती

जनसत्ता बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वैदेशिक संबंधों को लेकर बेहद यथार्थवादी दृष्टिकोण अपना रखा है जिसके अंतर्गत यह  माना जाता है की विदेश नीति संबंधी निर्णय राष्ट्रीय हित के आधार पर लिए जाना चाहिए न कि नैतिक सिद्धांतों और भावनात्मक मान्यताओं के आधार पर। दरअसल भारत की कूटनीतिक,सैन्य और आर्थिक मदद से अस्तित्व […]

Read More
article

तालिबान के प्रति बदलता रुख

जनसत्ता  रणनीति की दृष्टि से जो नीति उपयुक्त हो,वहीं नीति सर्वोत्तम होगी। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में यथार्थवाद का सिद्धांत सबसे प्रभावकारी माना जाता है तथा तालिबान की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता में ताकतवर देशों का यथार्थवादी दृष्टिकोण साफ दिखाई दे रहा है। हाल ही में तालिबान के महत्वपूर्ण नेता और आतंकी सिराजुद्दीन हक़्क़ानी ने अपने शिष्टमंडल के […]

Read More
article

संकट में फिलिस्तीन राष्ट्र का सपना

जनसत्ता क्षेत्र विस्तारवाद का अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में बहुत महत्व रहा है। राजनीतिक सत्ताएं इसे सैन्यवादी विचारधारा से पोषित करती है जिसके अनुसार  यह माना जाता है कि शक्ति से ही शान्ति आती है। मध्यपूर्व में इस्राइल विस्तारवाद की रणनीति को आत्मसात कर चूका है वहीं फिलिस्तीन की विभाजित सत्ताओं पर हावी हमास शक्ति और आक्रमण को […]

Read More
article

भारत ईरान संबंधों का भविष्य

जनसत्ता ईरान,यूरेशिया और हिन्द महासागर के मध्य एक प्राकृतिक प्रवेश द्वार है,जिससें भारत रूस और यूरोप के बाजारों तक आसानी से पहुंच सकता है। एशिया महाद्वीप की दो महाशक्तियां भारत और चीन की सामरिक प्रतिस्पर्धा समुद्री परिवहन और पारगमन की रणनीति पर देखी जा सकती है। चीन की पर्ल ऑफ स्प्रिंग के जाल को भेदने […]

Read More
article

अस्थिर म्यांमार और भारत की मुश्किलें

जनसत्ता                   म्यांमार का भू राजनैतिक महत्व भारत को अपने इस दक्षिण पूर्व एशियाई पड़ोसी देश के प्रति अति यथार्थवादी वैदेशिक नीति के संचालन के लिए मजबूर करता है। म्यांमार में  लोकतांत्रिक शक्तियों और सेना के बीच सत्ता संघर्ष की दशकों पुरानी जटिल स्थितियों में भी भारत ने बेहद संतुलनकारी नीति को अपनाया है लेकिन […]

Read More
X