#जनसत्ता
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म्यांमार में लोकतांत्रिक शासन की बहाली भारत की जरूरत

जनसत्ता भारत की पहली प्राथमिकता म्यांमार में लोकतांत्रिक शासन की बहाली और आंग सान सू की जेल से रिहाई होना चाहिए। अभी सैन्य सरकार  गहरे दबाव में है और देश को टूटने से बचाने के लिए वह भारत की मध्यस्थता को स्वीकार  करने को मजबूर होगी। म्यांमार के आम लोगो और गांधीवादी नेता आंग सान […]

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 सीरिया में गृहयुद्द की आशंका

 जनसत्ता                अल-क़ायदा और इस्लामिक स्टेट की छाया में रहने वाले सीरिया के सत्तारूढ़ संगठन हयात तहरीर अल-शाम या एचटीएस की पृष्ठभूमि को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे कि उसके नेतृत्व में सीरिया का भविष्य क्या होगा। एचटीएस के नेता अबू मोहम्मद अल जुलानी अपनी छवि को जिहादी लड़ाके से बदल कर आधुनिक और […]

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बदलता वैश्विक परिदृश्य

जनसत्ता                       महाशक्तियों का यह विश्वास रहा है कि सहायता कूटनीति,विदेश नीति के लक्ष्यों को सुगम बनाती है। कई दशकों से विश्व व्यवस्था पर हावी अमेरिकी वर्चस्ववाद को डॉलर कूटनीति ने बहुत बढ़ावा दिया लेकिन अब ट्रम्प सहायता की कूटनीति को नियन्त्रण और संतुलन के आधार पर जिस प्रकार आगे ले जाना चाहते है,उससे  विश्व […]

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अमेरिका में निरंकुशता के संकेत

जनसत्ता                   रुढ़िवाद और उदारवाद के बीच वैचारिक संघर्ष इतिहास की हकीकत रहा है लेकिन यह नकारात्मक दृष्टि से राजनीतिक सत्ता का कवच धारण करके हिंसक संघर्ष की और बढ़ने लगे तो किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था का विध्वंस हो सकता है। अमेरिका में रुढ़िवादी ईसाईयों की पहली पसंद बनकर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे डोनाल्ड […]

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सीरिया का भविष्य

जनसत्ता सीरिया को एक राष्ट्र के तौर पर बचाएं रखने के लिए देश में एक ऐसी समावेशी सरकार की जरूरत है जो विभिन्न राजनीतिक,भाषाई,जातीय और धार्मिक समूहों में समन्वय स्थापित कर संघर्ष की संभावनाओं को पूरी तरह खत्म कर दे। सीरिया कई जातीय और धार्मिक समूहों का घर है,जिनमें कुर्द,अर्मेनियाई, असीरियन,ईसाई,ड्रुज़,अलावाइट शिया और अरब सुन्नी […]

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बांग्लादेश की कूटनीति और भारत

जनसत्ता  राजनीतिक बदलाव किसी देश के राजनीतिक निर्णयों,रणनीतियों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को किस प्रकार प्रभावित कर सकते है इसका बड़ा  उदाहरण बांग्लादेश है। शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने  देश की वैदेशिक नीति में अभूतपूर्व बदलाव कर पाकिस्तान के साथ सामरिक,राजनीतिक और नागरिक संबंधों को प्राथमिकता से बहाल […]

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भारत चीन संबंधों का भविष्य

जनसत्ता  भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध एक संवेदनशील मुद्दा है।  दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक,आर्थिक और राजनीतिक संबंध हैं,वहीं सीमा विवाद और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा ने इन संबंधों को प्रभावित किया है। दोनों देशों में वार्ता के माध्यम से सीमा मुद्दों को सुलझाने की कोशिशें कई बार हुई है लेकिन ऐतिहासिक कारण और अलग […]

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 क्वाड देशों में अंतर्विरोध    

जनसत्ता अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा एक मजबूत और स्थायी तंत्र है,जो शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करती है। भारत,अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के हिन्द प्रशांत में गहरे आर्थिक और सामरिक हित है जिन्हें चीन से लगातार चुनौती मिल रही है। क्वाड इन चारों देशों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक […]

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युद्दग्रस्त देश और भारतीय कूटनीति

जनसत्ता किसी भी राष्ट्र के राष्ट्रीय हित परिवर्तनशील हो सकते है,स्वाभाविक रूप से इसका प्रभाव वैदेशिक संबंधों पर भी दिखाई पड़ता है। भारत और रूस के बीच कूटनीतिक और सामरिक संबंधों की प्रतिबद्धता का सुनहरा इतिहास रहा है। रूस के धुर विरोधी देश यूक्रेन में भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की यात्रा को संतुलन की […]

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 विकसित बांग्लादेश का सपना और भारत की चुनौती

जनसत्ता बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वैदेशिक संबंधों को लेकर बेहद यथार्थवादी दृष्टिकोण अपना रखा है जिसके अंतर्गत यह  माना जाता है की विदेश नीति संबंधी निर्णय राष्ट्रीय हित के आधार पर लिए जाना चाहिए न कि नैतिक सिद्धांतों और भावनात्मक मान्यताओं के आधार पर। दरअसल भारत की कूटनीतिक,सैन्य और आर्थिक मदद से अस्तित्व […]

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