#भारत
article भारत मे आतंकवाद

भारी पड़ेगी तालिबान से दोस्ती

नवभारत टाइम्स अफ़गानिस्तान की भौगोलिक,सामाजिक और राजनीतिक जटिलताओं के बीच कूटनीतिक हित साधना कभी आसान नहीं हो सकता लेकिन भारत के रणनीतिक हित विशाल हिंदूकुश की पर्वत श्रृंखलाओं तथा मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के चौराहें पर स्थित इस देश मे इतने गहरे है कि संबंधों की बेहतरी के रास्ते तलाशने की कोशिशें कभी खत्म […]

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असामान्य अमेरिकी नीति

राष्ट्रीय सहारा   अमेरिकी विदेश नीति अमेरिकी प्रभुत्व पर आधारित रही है जिसमें इस तथ्य पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है की विदेशों में अग्रणी भूमिका  बनाएं रखने में कौन सा देश उसका सबसे ज्यादा सहयोगी है तथा इस भागीदारी को और कैसे पुख्ता किया जा सकता है। दुनिया के सबसे ताकतवर देश की विदेश […]

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आशंकित भारत की वैदेशिक नीति में बदलाव की दरकार  

हस्तक्षेप,राष्ट्रीय सहारा  अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर कहा करते थे कि दोस्त बदले जा सकते हैं मगर पड़ोसी नहीं। वाजपेयी की कूटनीति सीधी और स्पष्ट  रही और पड़ोसी देशों को लेकर उनमें शक्ति,सामरिक दृष्टिकोण और संवाद की गहरी समझ शामिल थी। वाजपेयी देश की आंतरिक राजनीति की छाया में वैदेशिक नीति को प्रभावित न होने देने […]

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बांग्लादेश की कूटनीति और भारत

जनसत्ता  राजनीतिक बदलाव किसी देश के राजनीतिक निर्णयों,रणनीतियों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को किस प्रकार प्रभावित कर सकते है इसका बड़ा  उदाहरण बांग्लादेश है। शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने  देश की वैदेशिक नीति में अभूतपूर्व बदलाव कर पाकिस्तान के साथ सामरिक,राजनीतिक और नागरिक संबंधों को प्राथमिकता से बहाल […]

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अंग्रेजों की भविष्यवाणी को भारत के संविधान ने जब गलत साबित  कर दिया…

संविधान दिवस-26 नवम्बर   जे.ई.वेल्डन कलकत्ता के पूर्व बिशप थे। भारत की आज़ादी के प्रश्न पर 1915 में उन्होने कहा था की,भारत से ब्रिटिश साम्राज्य का अंत एक अकल्पनीय घटना होगी। जैसे ही अंतिम ब्रिटिश सिपाही बंबई या कराची के बंदरगाह से रवाना होगा,हिंदुस्तान परस्पर धार्मिक और नस्लीय समूह के लोगों का अखाड़ा बन जाएगा। […]

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भारत चीन संबंधों का भविष्य

जनसत्ता  भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध एक संवेदनशील मुद्दा है।  दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक,आर्थिक और राजनीतिक संबंध हैं,वहीं सीमा विवाद और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा ने इन संबंधों को प्रभावित किया है। दोनों देशों में वार्ता के माध्यम से सीमा मुद्दों को सुलझाने की कोशिशें कई बार हुई है लेकिन ऐतिहासिक कारण और अलग […]

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  ब्रिक्स में अब पुतिनवाद

राष्ट्रीय सहारा अधिनायकवादी नेताओं की वैश्विक नीतियां उनके शासन के लक्ष्यों से प्रभावित होती हैं। वे अपने लिए रणनीतिक साझेदार ढूँढते हैं और  अक्सर उन देशों के साथ संबंध स्थापित करते हैं जो उनके विरोधियों के खिलाफ खड़े होते हैं। यह स्थिति उन्हें वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद करती है। […]

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कहीं बेहतर है गुटनिरपेक्षता

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप                                                       सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता को लेकर भारत का मानना है कि उसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश होने के नाते वैश्विक मंच पर अपनी आवाज […]

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विकसित देशों में भी एक साथ चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं..

राष्ट्रीय सहारा,हस्तक्षेप चुनावी खर्च को नियंत्रित करने के लिए कई देशों में नियम और कानून होते हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे। एक देश एक चुनाव की प्रक्रिया को समय,लागत, राजनीतिक स्थिरता,भागीदारी और प्रभावी प्रबंधन की दृष्टि से बेहतर माना जाता है। हालांकि इसे लागू करना आसान नहीं है और विकसित देश […]

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 क्वाड देशों में अंतर्विरोध    

जनसत्ता अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में सामूहिक सुरक्षा की अवधारणा एक मजबूत और स्थायी तंत्र है,जो शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करती है। भारत,अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के हिन्द प्रशांत में गहरे आर्थिक और सामरिक हित है जिन्हें चीन से लगातार चुनौती मिल रही है। क्वाड इन चारों देशों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक […]

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