#बांग्लादेश
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बांग्लादेश में हिन्दूओं पर हमलों से किसे होगा फायदा…?          

सुबह सवेरे   बांग्लादेश के रंगपुर ज़िले में पैग़ंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक पोस्ट के आरोप में कई हिंदू परिवारों के घरों को निशाना बनाया गया।घटना के बाद कई लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। ऐसे तथ्य सामने आएं है जिसके अनुसार मस्जिद के लाउडस्पीकर से लोगों को हमले के […]

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 जमात-ए-इस्लामी की गिरफ्त में बांग्लादेश

हरिभूमि   भाषा,सांस्कृतिक अधिकार,धर्मनिरपेक्षता,शिक्षा,मानवाधिकार और लोकतंत्र की बुनियाद पर टिके बांग्लादेश का भविष्य कट्टरपंथ के अंधेरे में घिरता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत के पड़ोस में स्थित यह देश अब कट्टरपंथी  संगठन जमात-ए-इस्लामी की पूरी गिरफ्त में आ चूका है। जमात-ए-इस्लामी राजनीतिक दल से कहीं ज्यादा इस्लामिक मूल्यों पर आधारित एक वैचारिक संगठन है […]

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बांग्लादेश को लेकर भारत की विदेश नीति कैसी हो….

नवभारत टाइम्स  हम पीछे मुड़कर देखे तो पिछले साल तक भारत और बांग्लादेश के सम्बन्ध बेहद मजबूत थे और दोनों देशों के बीच आर्थिक,सामाजिक,सांस्कृतिक और रणनीतिक समन्वय उम्मीदों के बढ़ा रहा था।  5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होते ही दोनों देशों के सम्बन्ध अब निम्नतर स्थिति में पहुंच गए है। इसका […]

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म्यांमार में लोकतांत्रिक शासन की बहाली भारत की जरूरत

जनसत्ता भारत की पहली प्राथमिकता म्यांमार में लोकतांत्रिक शासन की बहाली और आंग सान सू की जेल से रिहाई होना चाहिए। अभी सैन्य सरकार  गहरे दबाव में है और देश को टूटने से बचाने के लिए वह भारत की मध्यस्थता को स्वीकार  करने को मजबूर होगी। म्यांमार के आम लोगो और गांधीवादी नेता आंग सान […]

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सैन्य शासन की आशंका 

राष्ट्रीय सहारा  बांग्लादेश में लाखों मजदूर सड़कों पर है। ये मजदूर गारमेंट फैक्ट्रियों के बंद होने से परेशान हैं। जो फैक्ट्रियां चल रही हैं,वहां काम करने वाले मजदूरों को वेतन नहीं मिल रहा है। मजदूरों के लगातार विरोध प्रदर्शन के कारण कई फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं। निवेशक  बांग्लादेश छोड़कर जा रहे है जबकि मजदूर कारखाने को […]

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आज़ाद बलूचिस्तान की आग

राष्ट्रीय सहारा  भारतीय सांस्कृतिक एकता की जादुई हकीकत को नजरअंदाज कर,इस्लामिक राष्ट्रवाद की कपोल कल्पित अवधारणा के बूते भाषा,क्षेत्र,जातीय और सांस्कृतिक विविधता के खत्म होने तथा एकरूपता में बंधने की मोहम्मद अली जिन्ना की सोच को पश्तूनों ने शुरूआती दौर में ही गलत ठहरा दिया था। 1971 में पृथक बांग्लादेश ने उसे आइना दिखाया और […]

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 बांग्लादेश में नया राजनीतिक दल

राष्ट्रीय सहारा कथित इस्लामिक राष्ट्रवाद की स्थापना,जातीय संघर्ष,राजनीतिक असहमति, वैधानिक व्यवस्थाओं में अपारदर्शिता तथा भेदभाव,विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने की  परम्पराएं और सत्तारूढ़ पार्टी का अधिनायकवाद जैसे मुद्दे बांग्लादेश की राजनीतिक संस्कृति का प्रमुख हिस्सा रहे है। बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति के बारे में यह कहा जाता है कि इसके नेताओं का विश्वास संसदीय […]

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बांग्लादेश की कूटनीति और भारत

जनसत्ता  राजनीतिक बदलाव किसी देश के राजनीतिक निर्णयों,रणनीतियों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को किस प्रकार प्रभावित कर सकते है इसका बड़ा  उदाहरण बांग्लादेश है। शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने  देश की वैदेशिक नीति में अभूतपूर्व बदलाव कर पाकिस्तान के साथ सामरिक,राजनीतिक और नागरिक संबंधों को प्राथमिकता से बहाल […]

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article भारत मे आतंकवाद

कूटनीति का मस्तिष्क खुफियां तंत्र ही जब बेदम हो जाएं…

राष्ट्रीय सहारा सैकड़ों वर्ष पहले कौटिल्य ने कहा था की किसी राज्य का कल्याण उसकी सक्रिय विदेश नीति पर निर्भर करता है। भारत की वैदेशिक संबंधों को लेकर कौटिल्य की भू-रणनीतिक अंतर्दृष्टि से यह प्रतिबिम्बित होता है की किसी देश के पास विभिन्न राज्यों से साथ राजनयिक संबंधों की एक विस्तृत प्रणाली होना चाहिए और […]

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article भारत मे आतंकवाद

बांग्लादेशी हिंदू-आखरी जंग….

लोकमत                                            बांग्लादेशी हिंदू-जिंदगी की आखरी जंग….                                                         […]

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