बिम्सटेक अब सार्क का विकल्प
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  बिम्सटेक अब सार्क का विकल्प

             राष्ट्रीय सहारा         

                         

  शक्ति संतुलन अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने वाला महत्वपूर्ण राजनीतिक सिद्धांत है,जिसका उद्देश्य विभिन्न देशों या शक्ति समूहों के बीच एक ऐसा संतुलन बनाना है,जिससे कोई भी एक देश या समूह अत्यधिक शक्तिशाली न हो और दूसरे देशों पर उसका दबाव न बने। यह सिद्धांत राजनीतिक स्थिरता और युद्धों के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बिम्सटेक,क्षेत्रीय बहुपक्षीय संगठन है।  यह बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती और समीपवर्ती क्षेत्रों में स्थित देशों का प्रतिनिधित्व करता है,दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच सम्पर्क मार्ग बनाता है तथा हिमालय तथा बंगाल की खाड़ी की पारिस्थितिकी को भी जोड़ता है। भारत के लिए यह रणनीतिक और भू राजनैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण संगठन है जिसे चीन और पाकिस्तान के प्रभाव से दूर रखकर पड़ोसी देशों से बेहतर और स्थित सम्बन्ध बनाएं जा सकते है। प्रधानमंत्री मोदी की सहयोगात्मक पहल से यह संगठन सार्क का बेहतर विकल्प बनता हुआ दिखाई दे रहा है। 

बिम्सटेक के  सदस्य देशों में भारत,बांग्लादेश,श्रीलंका,म्यांमार,थाईलैंड,भूटान और नेपाल शामिल हैं। इसमें से अधिंकाश देश दक्षिण एशिया के है। करीब आठ सालों से दक्षिण एशिया के देशों के महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन सार्क का कोई सम्मेलन आयोजित नहीं हुआ है और भारत और पाकिस्तान के खराब रिश्तों के चलते यह संगठन अब अप्रासंगिक हो गया है। वहीं नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी पड़ोसी पहले’ नीति और एक्ट ईस्ट नीति के एक हिस्से के रूप में बहु क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग या बिम्सटेक के लिए बंगाल की खाड़ी पहल पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है जो सार्क का बेहतर विकल्प बन सकता है। खासकर बिम्सटेक में पाकिस्तान के न होने से विभिन्न देशों के बीच राजनीतिक निर्णयों में बेहतर समझबूझ देखने को मिल सकती है। 

बैंकॉक में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात से दोनों देशों के रिश्तें पटरी पर लौटने की उम्मीद पुनः बंध गई है। भारत और बांग्लादेश दोनों पड़ोसी देश है और दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष कूटनीतिक संबंधों के महत्व को बेहतर तरीके से समझते है। बांग्लादेश के लिए भारत बहुत महत्वपूर्ण देश है और बांग्लादेश का कोई भी राजनीतिक दल इसे नकार नहीं सकता,वहीं बांग्लादेश की भू रणनीतिक स्थिति भारत की सामरिक सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। बांग्लादेश बिम्सटेक और बीबीआईएन पहलों का महत्वपूर्ण घटक है,रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के निकट स्थित है तथा दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। भारत और बांग्लादेश के बीच सुविधाजनक व्यापार समझौता है। दोनों ही देश एशिया प्रशांत व्यापार समझौते,सार्क अधिमान्य व्यापार समझौते और दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते के सदस्य हैं,जो व्यापार के लिए टैरिफ व्यवस्था को नियंत्रित करते हैं।

म्यांमार के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं,जो सुरक्षा,व्यापार और क्षेत्रीय स्थिरता के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। भारत म्यांमार को  पूर्व की ओर देखों नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानता है। म्यांमार की रणनीतिक स्थिति दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित है और यह कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। म्यांमार की  सीमाएं भारत,चीन,थाईलैंड,लाओस,  बांग्लादेश और अंडमान सागर से जुड़ी हुई हैं,जिससे यह देश क्षेत्रीय राजनीति और वैश्विक रणनीतिक मामलों में एक अहम स्थान रखता है।

इस समय न बांग्लादेश में लोकप्रिय सरकार है और न ही  म्यांमार में है। इन दोनों देशों में सैन्य प्रभाव वाली सरकारें है और यह स्थिति चीन जैसे साम्यवादी देश के लिए मुफीद नजर आती है। म्यांमार में गृहयुद्ध की  वजह से भारत के उत्तरी पूर्वी राज्यों में उग्रवाद,आतंकवाद और ड्रग तस्करी का जोखिम बढ़ गया है। म्यांमार की स्थिरता से भारत की  करोड़ों डॉलर लागत वाली कलादान मल्टीमॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट परियोजना के लिए भी ख़तरा पैदा हो गया है। ये परियोजना,पूर्वी तट को उत्तरी पूर्वी राज्य से जोड़ने के लिहाज से काफ़ी अहम है।  म्यांमार की सैन्य सरकार और बाग़ी जातीय संगठनों के साथ रिश्तों में संतुलन बनाए रखना भारत के  लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है। वहीं बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण कट्टरपंथी ताकतें मजबूत हो रही है तथा इससे भारत के उत्तरपूर्व के कई राज्यों की आंतरिक सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान म्यांमार के वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से भी भारत के प्रधानमंत्री की मुलाकात हुई तथा दोनों देशों के बीच  द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के साथ कनेक्टिविटी,क्षमता निर्माण,बुनियादी ढांचे के विकास और अन्य क्षेत्रों पर चर्चा हुई।

बांग्लादेश और म्यांमार के राष्ट्र प्रमुखों से भारतीय प्रधानमंत्री की मुलाकात बहुप्रतीक्षित थी और कूटनीतिक दृष्टि से बेहद जरूरी भी थी। भारत दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली देश है और इसके कारण वह इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसका क्षेत्रीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। भारत का प्रभाव दक्षिण एशियाई देशों में शिक्षा,कला,साहित्य और संगीत के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है। भारत का दक्षिण एशिया में अत्यधिक महत्व है,जो उसके राजनीतिक,आर्थिक और सामाजिक प्रभाव से स्पष्ट होता है। बिम्सटेक का एक प्रमुख उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है। यह विभिन्न क्षेत्रों जैसे व्यापार,निवेश,परिवहन, ऊर्जा और संसाधनों के साझा उपयोग में सहयोग को प्रोत्साहित करता है। बिम्सटेक माध्यम से, सदस्य देश जलवायु परिवर्तन,प्राकृतिक आपदाओं, पारिस्थितिकी और सतत विकास जैसे मुद्दों पर मिलकर काम कर सकते हैं। यह संगठन साझा संसाधनों का उपयोग और उनके संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करता है जिससे सभी सदस्य देशों का लाभ हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिम्सटेक को मजबूत करने के लिए कई पहलों का प्रस्ताव रखा है। भारत आपदा प्रबंधन,सतत समुद्री परिवहन,पारंपरिक चिकित्सा और कृषि में अनुसंधान और प्रशिक्षण पर भारत में बिम्सटेक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करेगा। भारत के द्वारा हर साल बिम्सटेक बिजनेस समिट आयोजित करने की पेशकश भी बहुत महत्वपूर्ण है। उम्मीद है बिम्सटेक के सदस्य देशों में आपसी समझबूझ बढ़ेगी तथा बांग्लादेश और म्यांमार में लोकतंत्र स्थापित होगा। अंतत: भारत के पड़ोसी देशों में स्थिरता भारत के हित में है और बिम्सटेक उसका बेहतर माध्यम बनता हुआ दिखाई दे रहा है।   

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