भौगोलिक चुनौतियां फिर उजागर
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भौगोलिक चुनौतियां फिर उजागर

राष्ट्रीय सहारा                                                               

एक सक्षम सुरक्षा नीति वही है जो भूगोल की वास्तविकताओं के साथ तालमेल रखे। भारत की भौगोलिक स्थिति उसे सामरिक रूप से अत्यंत संवेदनशील बनाती है। सीमाओं की लंबाई,विविधता और जटिल भू-परिस्थितियां देश की सुरक्षा नीति को बहुआयामी और लचीला बनने के लिए बाध्य करती हैं।  भारत का भूगोल सुरक्षा सिद्दांतों के प्रतिकूल नजर आता है और इसीलिए कई बार यह चुनौती भी बन जाता है। कश्मीर में सुरक्षा दस्तों की व्यापक तैनाती के बाद भी पहलगाम में आतंकी हमला भारत की भौगोलिक और रणनीतिक चुनौतियों को एक बार फिर सामने लाया है।

पहलगाम सीधे नियंत्रण रेखा पर नहीं है,न ही यह पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित है। यह कश्मीर में स्थित है,जो पीर पंजाल रेंज, किशनगंगा गॉर्ज और हिमालय की पर्वतमाला जैसी प्राकृतिक बाधाओं से घिरा हुआ है। यहां बड़ी संख्या में प्रमुख वन पाए जाते हैं जिनमें लगभग  नब्बे फीसदी शंकुधारी पेड़ हैं। कोलाहोई ग्लेशियर, जो लिद्दर नदी को बनाए रखता है,इस क्षेत्र के लिए एक जीवन रेखा और एक गलियारा है जो घाटी को उच्च ऊंचाई और संभावित रूप से एलओसी मार्गों से जोड़ता है। पहलगाम एलओसी से बिल्कुल सटा हुआ नहीं है लेकिन यह दक्षिण-पूर्व में स्थित है जो इसे पीर पंजाल रेंज के माध्यम से पीओके से घुसपैठ के गलियारों की सामरिक सीमा में रखता है। इसी का फायदा उठाकर आतंकी पहलगाम में भीषण नरसंहार कर भागने में सफल हो गए।  

भारत की  पन्द्रह हजार किमी से अधिक लंबी ज़मीनी सीमा है जो पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश से लगती है। इनमें से कई  सीमाएं दुर्गम और हिमालयी क्षेत्र में हैं,भौगोलिक कारणों से यह पूरी तरह से अभेद्य नहीं। वहीं नेपाल,बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाएं खुली हुई है। इतनी लंबी और विविध भौगोलिक सीमाएँ पारंपरिक सीमित सैन्य हस्तक्षेप वाली नीति के विरुद्ध हैं। उन्हें सुरक्षित रखना मुश्किल है और अधिक आक्रामक रणनीतियों की आवश्यकता होती है।

भारत की सुरक्षा चुनौतियां बहुआयामी और जटिल हैं। इन चुनौतियों का समाधान  केवल सैन्य ताकत से नहीं,बल्कि राजनयिक कुशलता,तकनीकी विकास, आंतरिक स्थिरता और वैश्विक सहयोग से ही संभव हो सकता है। पाकिस्तान भारत की सुरक्षा चुनौती को इसलिए सबसे ज्यादा बढ़ाता है क्योंकि वह गैर पारम्परिक तरीके से भारत से युद्द लड़ता है। इन युद्धों से निपटने के लिए जरूरी है कि हमारी रणनीति बहु-आयामी हो जिसमें  तकनीक,कूटनीति,जनता और सुरक्षा बलों का एकीकृत प्रयास  शामिल है। पाकिस्तान राजनीतिक और संविधानिक रूप से एक नाकाम राष्ट्र है तथा उसकी नीतियां कट्टरपंथी ताकतों को पोषित करती रही है,वहीं  भारत एक उभरती वैश्विक शक्ति होने के साथ-साथ, एक भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामरिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील राष्ट्र है।

पहलगाम  में हुए आतंकी हमलें के बाद भारत ने फौरी तौर पर पाकिस्तान से राजनयिक संबंधों को सीमित करते हुए कई प्रतिबंध लगायें है लेकिन पाकिस्तान से निपटने के लिए व्यापक और दीर्घकालीन ठोस कार्य योजना पर कार्य करने की जरूरत है। इसमें  खुफिया एजेंसियों का आधुनिकीकरण,सटीक डेटा विश्लेषण, मानवीय दृष्टिकोण, आतंकवादियों के पुनर्वास,सामाजिक समर्थन, कंटीली तारों का निर्माण ,हाई-टेक निगरानी प्रणालियां,ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल, पाकिस्तान में आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरों और आतंकी ठिकानों पर दबाव  के साथ ही साथ सैन्य, कूटनीतिक, कानूनी, और आंतरिक सुरक्षा  उपाय शामिल है।

वहीं  भारत इन तथ्य से भी नहीं इंकार कर सकता की देश के भूगोल ने भारत की रक्षात्मक रणनीति को व्यापक प्रभावित किया है अत: भारत को  रक्षात्मक से आक्रामक रक्षा की और बढ़ने की जरूरत है। पाकिस्तान की आपूर्ति लाईन को समुद्र के रास्ते बाधित कर उस पर  मनौवैज्ञानिक सैन्य दबाव बढ़ाया जा सकता है।   पाकिस्तान की समुद्र रणनीति मुख्य रूप से भारत के समुद्र में घुसपैठ और सामरिक नियंत्रण पर केंद्रित है। भारत पाकिस्तान के समुद्री मार्गों या समुद्री ठिकानों पर हमला  कर पाकिस्तान की सामरिक आपूर्ति  राखों को प्रभावित कर सकता है। पाकिस्तान का समुद्री बल भारत के मुकाबले अपेक्षाकृत कमजोर है और चीन की मदद मिलने की आशंका इसलिए भी खत्म हो जाएगी क्योंकि यहां क्वाड के देश भारत के साथ है। पाकिस्तान की नौसेना भारतीय नौसेना के मुकाबले छोटे आकार और पुराने उपकरणों से लैस है। भारत के पास विकसित तकनीकी प्रणालियां,न्यूक्लियर पनडुब्बियां,आधुनिक युद्धपोत और सर्वश्रेष्ठ विमानवाहक पोत हैं,जो पाकिस्तान के मुकाबले उसे अधिक ताकतवर बनाते हैं। भारत के पास अरब सागर और अंडमान-निकोबार जैसे समुद्री रास्तों पर पूर्ण नियंत्रण है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह  भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करते हैं और पाकिस्तान की समुद्री गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करते हैं। इससे  भारत का समुद्री नियंत्रण बढ़ सकता है। इसके साथ साइबर हमलों का इस्तेमाल करके पाकिस्तान की सैन्य और सरकारी प्रणालियों को निशाना  बनाना जा सकता है। पाकिस्तान के सैन्य और सरकारी ढांचे पर हमला करके उसकी कार्य क्षमता को बाधित किया जा सकता है।

सामरिक शक्ति,रक्षा नीति और रणनीतिक संतुलन के मामले में भारत पाकिस्तान से कहीं आगे है लेकिन इसके बाद भी भारत को सीमित युद्द की रणनीति पर काम करना ज्यादा बेहतर परिणाम दे सकता है। ख़ुफ़िया और अन्य एजेंसियों के जरिए पाकिस्तान के भीतर आतंकी नेटवर्क में घुसपैठ, स्लीपर सेल्स, या ड्रोन,स्नाइपर अटैक के माध्यम से इसके नेतृत्व खत्म करने की रणनीति बेहतर परिणाम दे सकती है। सर्जिकल स्ट्राइक,एयर स्ट्राइक, और साइबर हमले जैसे सीमित सैन्य विकल्प सामरिक रूप से प्रभावी हो सकते हैं जबकि सीमित संघर्ष के रूप में इनसे पाकिस्तान को संदेश दिया जा सकता है कि भारत आतंकवाद और सीमा पार घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं करेगा।

पहलगाम में हुए आतंकी हमलें के बाद भारत को व्यापक अंतर्राष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है। इसमें इस्लामिक दुनिया भी शामिल है। पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता और आतंकियों को समर्थन की नीति के चलते वहां के परमाणु प्रतिष्ठानों को अंतर्राष्ट्रीय निगरानी और सुरक्षा में लेने के लिए भी दबाव बढ़ाया जा सकता है। अंतत: कूटनीतिक और रणनीतिक दबाव की नीति पाकिस्तान से सीधे युद्द के खतरे को टाल सकती है तथा इससे भारत की एक जिम्मेदार राष्ट्र की छवि पुख्ता ही होगी।

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