न्यू नार्मल रणनीति
article भारत मे आतंकवाद

 न्यू नार्मल रणनीति

जनसत्ता

                      

भारत की संप्रभुता,सुरक्षा और संसाधनों की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यू नार्मल रणनीति अपनाने की घोषणा की है। भारत की भू राजनैतिक चुनौतियों और नई परिस्थितियों में संतुलन स्थापित करने वाली इन नीति के केंद्र में पाकिस्तान है। जब देश वैश्विक मंच पर अपने हितों की रक्षा,सुरक्षा सुनिश्चित करने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को संतुलित रखने का प्रयास करते हैं तो इसके पीछे एक ठोस रणनीति काम करती है। वहीं भारत की सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए  पाकिस्तान के साथ न्यू नार्मल रणनीति पर आगे बढ़ने के संकेत भारत की परम्परागत कूटनीति से अलग हटकर बेहद यथार्थवादी है।

भारत-पाकिस्तान संबंधों का भविष्य जटिल और बहुआयामी चुनौतियों से भरा हुआ है जिसमें भू-राजनीतिक हित,आतंकवाद, कश्मीर और द्विराष्ट्रवाद शामिल है। भारतीय विदेश नीति के लिए सबसे विकट चुनौती पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों की रही है। पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा संकट भारत का धर्म निरपेक्ष राज्य होना है और भारत में करोड़ों मुसलमानों का सामान्य जीवन पाकिस्तान की स्थापना को औचित्यहीन बनाता है। इन सबके बीच आंतरिक अशांति और राजनीतिक अस्थिरता से जूझते पाकिस्तान में सेना का सर्वसत्तावाद हावी रहा है। यह एक ऐसी राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को दर्शाता है,जिसमें सेना या सैन्य नेतृत्व को अत्यधिक या पूर्ण राजनीतिक शक्ति प्राप्त हो जाती है और वह देश के शासन,नीतियों व निर्णयों को नियंत्रित करने लगती है।

बलूचिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान की सीमा पर स्थित ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में गहरी अशांति से पाकिस्तान सेना बेहाल है और उसकी जन स्वीकार्यता को गहरा झटका लगा है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने 17 अप्रैल 2025 को ओवरसीज पाकिस्तानियों के एक सम्मेलन में द्वि-राष्ट्रवाद सिद्धांत को पुनः उभारते हुए पाकिस्तान की स्थापना का वैचारिक आधार स्पष्ट किया और भारत को चुनौती दी थी। जनरल मुनीर की यह टिप्पणी पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और सैन्य प्रतिष्ठा को मजबूत करने के लिए और पाकिस्तान की आंतरिक और बाहरी राजनीति में एक मजबूत इस्लामी पहचान स्थापित करने के प्रयास के रूप में देखी गई। पहलगाम में हुए आतंकी हमलें में धर्म के आधार पर गोली मारने की घटना में यह स्पष्ट संदेश था की जनरल मुनीर,जिया उल हक़ के नक्शें कदम पर चलकर भारत की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को खतरें में डालना चाहते है। भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमलें का जवाब देते हुए पाकिस्तान के अंदर स्थित कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया ।

अब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर शांति है लेकिन भारत राजनयिक सम्बन्ध पाकिस्तान के साथ पूरी तरह खत्म करने की और बढ़ रहा है। दुश्मन देश से संबंधों की रणनीति संतुलन,सतर्कता और दूरदर्शिता की मांग करती है। न तो अत्यधिक नरमी सही है,न ही हर समय टकराव। सबसे बुद्धिमान नीति वही है जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए संवाद और प्रतिरोध,दोनों के लिए तैयार रहे। हालांकि भारत की संवाद की नीति को पाकिस्तान ने हमेशा कमजोरी ही समझा। करीब एक दशक से भारत ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता,तब तक कोई सार्थक संवाद संभव नहीं है। यह नीति प्राकृतिक न्याय,आत्मसम्मान और राष्ट्रीय सुरक्षा पर आधारित है।

भारत की असल चुनौती पाकिस्तान में राजनीतिक सत्ता का कमजोर होना है। भारत का संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाएं मज़बूत हैं,जबकि पाकिस्तान में ऐसा बिल्कुल नहीं है। भारतीय सेना राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करती और अपनी भूमिका को सीमित रखती है,वहीं पाकिस्तान की सेना देश की राजनीति को नियंत्रित करती है। भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 के विभाजन के बाद से संबंधों में तनाव बना रहा है। पाकिस्तान ने कई बार प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से भारत की सुरक्षा,शांति और अखंडता को चुनौती दी है। ये चुनौतियां केवल सैन्य नहीं हैं,बल्कि राजनीतिक,कूटनीतिक,आर्थिक और वैचारिक स्तर पर भी हैं। पाकिस्तान की भूमि का उपयोग भारत विरोधी आतंकवादी संगठनों  को प्रश्रय के तौर पर किया जाता है। पाकिस्तान द्वारा बार-बार सीमा उल्लंघन और सीज़फायर तोड़ना तथा आम नागरिकों और सैनिकों पर गोलीबारी और घुसपैठ की कोशिशें लगातार होती रहती हैं। पाकिस्तान से फेक करेंसी और नशीली दवाओं की तस्करी के ज़रिए भारत की आंतरिक अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे को कमजोर करने की साजिशें लगातार की जाती रही है। पाकिस्तान न्यूक्लियर ब्लैकमेल की नीति पर चलकर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देता है।  

अब जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने न्यू नार्मल रणनीति पर आगे बढ़ने के संकेत दिए है तो भारत के संभावित कूटनीतिक और रणनीतिक कदम तथा उनके सामने आने वाली चुनौतियां एक दूसरे के सामने होगी।   पाकिस्तान के साथ  राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध समाप्त करने का अर्थ बेहद साफ है कि पाक में दूतावास और राजनयिक कार्यालयों को बंद करना,राजदूतों और कर्मचारियों  की वापसी,सरकारों के बीच कोई भी आधिकारिक बातचीत या संपर्क समाप्त,द्विपक्षीय वार्ताएं,शिखर सम्मेलन,संवाद सब स्थगित या रद्द हो सकते  हैं,व्यापार,रक्षा,,शिक्षा,विज्ञान जैसे सभी द्विपक्षीय समझौते स्थगित या निरस्त किए जा सकते हैं तथा वीजा सेवाएं और लोगों की आवाजाही पर भी रोक लग सकती है।  इसमें अधिकांश कदम वर्तमान में प्रभाव में है।   

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए राजनयिक संबंधों को पूरी तरह खत्म करने की ओर कदम बढ़ाएं,वहीं पाकिस्तान के साथ 1960 के सिंधु जल समझौते को तुरंत प्रभाव से निलंबित रखने का फ़ैसला किया है। सिंधु जल समझौता छह नदियों ब्यास,रावी,सतलुज,सिंधु,चिनाब और झेलम के पानी के इस्तेमाल को लेकर नियम तय किए गए थे।  इस समझौते के तहत पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों चिनाब, झेलम और सिंधु से संपूर्ण जल प्राप्त होता है,वहीं भारत को सतलुज,व्यास और रावी नदियों का जल प्राप्त होता है।  पाकिस्तान के सबसे सशक्त सूबे पंजाब और सिंध प्रांत पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से चिनाब, झेलम और सिंधु के पानी पर निर्भर है।  सिंधु जल प्रवाह का सम्बन्ध चार देशों चीन,भारत,पाकिस्तान और अफगानिस्तान से है। पाकिस्तान के नियंत्रण वाली नदियों का प्रवाह पहले भारत से होकर आता है।  संधि के अनुसार भारत को उनका उपयोग सिंचाई, परिवहन और बिजली उत्पादन करने की अनुमति है। अर्थात् जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण करने की अनुमति देता है। भारत ने इस शर्त का फायदा लेते हुए कई नदियों और सहायक नदियों पर जल विद्युत् परियोजनाओं की शुरुआत कर बेहद रणनीतिक कदम उठायें है। भारत पाक के बीच संघर्ष में चीन ने पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा के पक्ष में खड़े रहने की बात कहीं थी और अब सिंधु जल समझौते पर उसका रुख देखना दिलचस्प होगा। इन नदियों का आरम्भ चीन प्रशासित तिब्बत से होता है और यह स्थिति भारत के रणनीतिक कदमों को प्रभावित कर सकती है। भारत ने साफ कहा है की भारत पीओके को पाकिस्तान से वापस लेने पर बात करेगा,वहीं  चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भारत की संप्रभुता को चुनौती देता है क्योंकि यह पाक-अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है।

पाकिस्तान सेना ने इस देश के अस्तित्व में आने के बाद आधे से ज्यादा समय से तानाशाही के जरिये सीधा राज किया है और वह  किसी भी कीमत पर देश की सत्ता को अपने शिकंजे में रखती है। इन सबके बीच पाकिस्तान की सेना अब अमेरिका से कहीं ज्यादा चीन के करीब आ गयी है। इसके कई आर्थिक और राजनीतिक कारण है। चीन और पाकिस्तान दोनों से भारत के सीमा विवाद है और युद्द भी हो चूके है। पाकिस्तान भारत से सीधे युद्द में कई बार पराजित हो चूका है,इसलिए उसने चीन से कूटनीतिक,आर्थिक और सैन्य सम्बन्ध स्थापित करके भारत की चुनौतियों को बढ़ाया है। पाकिस्तान की जमीन,संस्कृति,पर्यटन,कृषि,संप्रभुता,संसाधन,बंदरगाह, अर्थव्यवस्था,स्टॉक एक्सचेंज,समुद्र और आसमान पर चीन का कब्जा बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान चीनी मॉडल पर आधारित ऐसा देश बनने की ओर तेजी से अग्रसर  है जिसकी हर जरूरत चीन से पूरी होगी और देश पर चीन का पूरा नियंत्रण भी होगा। इस्लामाबाद में 50 हजार से ज्यादा चीनी रह रहे है,पाकिस्तान के स्कूलों में मंदारिन को अनिवार्य कर दिया गया है। बैंकों में युआन के लेन देन को आसान बनाया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग,मेट्रो और अन्य यातायात के प्रबंधन की जिम्मेदारियां चीनी कम्पनियां उठा रही है। विकास के मास्टर प्लान के अंतर्गत पाकिस्तान की हजारों एकड़ जमीन चीन को सौंप दी गई है जिस पर वह फसल उगाएगा। चीन सीपीईसी परियोजना के जरिए निर्माण के साथ पाक के ऊर्जा संकट को दूर करने का दावा भी कर रहा है,इसके लिए चीन पूरे पाक में कई परियोजनाएं संचालित कर रहा है। चीन सेंट्रल एशिया,दक्षिणी-पूर्वी एशिया और मध्य-पूर्व में अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है। पाकिस्तान इसका महत्वपूर्ण अंग है।

अरबों डॉलर दांव पर लगाने के बाद पाकिस्तान को सुरक्षित रखने की चीनी मजबूरियां है। चीन के साथ गठजोड़ करके पाकिस्तान भारत के सुरक्षा तंत्र को भविष्य में भी चुनौती दे सकता है,इसमें चीन के भी साझा हित हो सकते है। भारत की भू-राजनीतिक स्थिति  उसे एशिया के केंद्र में एक रणनीतिक शक्ति बनाती है। उत्तर में हिमालय,दक्षिण में हिंद महासागर,पश्चिम में पाकिस्तान और अफगानिस्तान, और पूर्व में चीन,बांग्लादेश व म्यांमार है। यह स्थिति भारत को अनेक अवसरों और चुनौतियों दोनों से जोड़ती है। चीन पाकिस्तान गठजोड़ को ध्यान में रखते हुए भारत को ऐसी कूटनीतिक और रणनीतिक नीतियां अपनानी  होगी जो राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ अन्य हितों की पूर्ति भी कर सके। भारत को अमेरिका,रूस,जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ  मजबूत द्विपक्षीय संबंध,रक्षा, तकनीक,ऊर्जा और अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग तथा रणनीतिक साझेदारियां बढ़ाना होगी। एक्ट ईस्ट नीति पर काम करते हुए दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी एशिया में भारत की भूमिका को  बढ़ाते हुए हिन्द प्रशांत में चीन के प्रभाव को संतुलित  करने वाली ताकतों के साथ अग्रणी भूमिका निभाना होगा। वहीं पड़ोसी देशों बांग्लादेश,भूटान,नेपाल,श्रीलंका,अफगानिस्तान और मालदीव से राजनीतिक,सांस्कृतिक और आर्थिक सम्बन्ध मजबूत रखने होंगे।

न्यू नार्मल रणनीति भारत की आक्रामक कूटनीति और सैन्य रणनीति का प्रतिबिम्ब है। पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करके भारत ने अपने मजबूत इरादों को दिखाया है लेकिन दीर्घकालीन स्तर पर यह नीति तभी असर दिखा पायेगी जब भारत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और चीनी साम्राज्यवाद के खिलाफ,कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर व्यापक वैश्विक सहयोग तथा विश्वसनीय सैन्य और आर्थिक भागीदारी बढ़ाने में सफल हो पायेगा।

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