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भारत की नई अफगान नीति

जनसत्ता   कूटनीति एक गतिशील और बहुआयामी प्रक्रिया है। तालिबान प्रशासित अफगानिस्तान में भारत के  तकनीकी मिशन को दूतावास में बदलने के निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है की बदलते वैश्विक परिदृश्य में कूटनीति अपेक्षाकृत ज्यादा व्यावहारिक और यथार्थवादी हो गई है और भारत ने भी इसे स्वीकार कर लिया है। अफ़ग़ानिस्तान दक्षिण एशिया,मध्य एशिया […]

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article गांधी है तो भारत है

इस रावण से तो बापू भी हार गए…!

      सुबह सवेरे              बापू बहुत आसान थे लिहाजा उनका जीवन भी बहुत आसान हो गया था।   वे स्वयं की बुनी हुई खादी की साधारण धोती और साधारण चप्पल पहनते थे। सर्दियों में वे साधारण ऊनी शॉल का उपयोग करते थे,उनका भोजन फल,मूंगफली और बकरी का दूध था। लंदन में एक पत्रकार ने पूछा,आप इतने बड़े […]

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अब भारतीय  प्रतिभाओं की पहली पसंद है जर्मनी

 राष्ट्रीय दैनिक जागरण                   अमेरिका की डिजिटल अर्थव्यवस्था केवल आर्थिक समृद्धि का आधार नहीं है, बल्कि यह वैश्विक तकनीकी नेतृत्व और रणनीतिक प्रभाव का प्रमुख स्तंभ भी है। ट्रम्प वीजा प्रक्रिया को जटिल बनाकर भारतीय प्रतिभाओं को अमेरिका में रोकने की कोशिशें तो कर रहे है लेकिन इससे न केवल अमेरिका की डिजिटल अर्थव्यवस्था बर्बाद […]

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नेपाल में असंतोष और भारत की चुनौती

जनसत्ता नेपाल का आधुनिक राजनीतिक इतिहास जनता के निरंतर संघर्ष,आकांक्षाओं और असंतोष की गाथा है। राजतंत्र से लोकतंत्र और फिर गणराज्य तक की यात्रा में नेपाली जनता ने बार-बार सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज़ बुलंद की है। जनता ने निरंकुश राजतंत्र को चुनौती देकर करीब ढाई सौ साल पुरानी व्यवस्था को उखाड़ फेंका था और […]

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भारत की विदेश नीति की नई चुनौती

जनसत्ता                                                                                            कूटनीति का एक प्रमुख दायित्व यह होता है कि […]

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तानाशाहों के युद्दोंमाद से क्यों डरता है यूरोप

    नवभारत,भोपाल        यूरोप का राजनीतिक इतिहास तानाशाही और लोकतंत्र के बीच निरंतर संघर्ष का है। 1917 की रूसी क्रांति,1920–30 के दशक का फासीवाद और 1933 के बाद का नाज़ीवाद ऐसे दंश है जिससे यूरोप अब भी कराहता है और दहशत में रहता है। यह दौर यूरोप को उस अंधकार में ले गया था […]

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चीन से सहयोग की कूटनीतिक चुनौती

जनसत्ता द्विपक्षीय सम्बन्धों में सहयोग और प्रतिस्पर्धा के गुण कूटनीतिक जटिलताओं को दिखाते है,भारत और चीन इसके पर्याय है। एशिया की दो महान शक्तियां एक दूसरे की पड़ोसी है,सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से दोनों देश एक दूसरे से जुड़े हुए है लेकिन सीमा विवाद ऐसी लक्ष्मण रेखा है जो राजनीतिक सम्बन्धों को सामान्य होने नहीं […]

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अमेरिका के पास भारत का कोई विकल्प नहीं

 पीपुल्स समाचार  कोई भी देश वैश्विक ताक़त बड़ी और मज़बूत अर्थव्यवस्था के आधार पर बनता है। ट्रम्प इस बात को बखूबी जानते है,इसीलिए उन्होंने भारत की सामरिक स्वायत्ता को खत्म करने के लिए टैरिफ का दांव खेल दिया है। दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की […]

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article गांधी है तो भारत है

ट्रम्प की भारत से बिदाई तय है

                   सुबह सवेरे                    प्रत्येक राष्ट्र का यह मौलिक अधिकार है की वह अपनी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अपने भौगोलिक वातावरण,प्राकृतिक संसाधनों,वन,जल,खनिज,मानव संसाधन और कृषि  का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करें। आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे और उचित दामों पर वस्तुओं  की उपलब्धता से आम जनता को खुशहाल करें। महात्मा गांधी के लिए […]

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रूस पर निर्भरता

          दैनिक जागरण,राष्ट्रीय                    कम्युनिस्ट रूस और दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के आपसी मजबूत सम्बन्ध पश्चिम को हैरान और परेशान करते रहे है,यह समस्या दशकों पुरानी है। रूस के साथ सामरिक और आर्थिक संबंध मजबूत रहने से भारत पूंजीवादी दुनिया की महत्वाकांक्षी नीतियों के शिकंजे […]

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